कानपुर: कहा जाता है, अगर किसी इंसान के अंदर कोई हुनर है और वह उसकी पहचान बखूबी रखता है तो निश्चित तौर पर एक दिन ऐसा आता है जब उस इंसान की पहचान पूरी दुनिया में बन जाती है. कुछ ऐसा ही कर दिखाया है शहर के कारोबारी अंकित अग्रवाल ने. अंकित ने मंदिरों में चढ़ाए जाने वाले फूलों को इकट्ठा कर न केवल धूपबत्ती-अगरबत्ती बनानी शुरू की बल्कि कृत्रिम चमड़ा भी तैयार कर लिया. उनका यह स्टार्टअब वेल्स के प्रिंस विलियम को बेहद पसंद आया है.
अंकित के इस हुनर को देखते हुए प्रिंस विलियम की ओर से उनके इस स्टार्टअप को दुनिया के सर्वश्रेष्ठ 15 स्टार्टअप में चुना गया और पुरस्कार स्वरुप लंदन के विंस्टर में उनका नाम अर्थशाट पुरस्कार के लिए चयनित हो गया है. इतना ही नहीं, अंकित को उक्त पुरस्कार के साथ ही 1.2 अमेरिकन मिलियन डालर की राशि भी मदद के रूप में मिलेगी ताकि वह अपने स्टार्टअप को विस्तार दे सकें.
ऐसे मिला आइडिया
अपनी इस सफलता व स्टार्टअप आइडिया का राज बताते हुए अंकित ने कहा कि साल 2015 के आसपास की बात है. मकर संक्रांति का दिन था और वह अपने दोस्त (चेक रिपब्लिक से आए थे) संग गंगा किनारे बैठे लोगों को देख रहे थे. लोग स्नान कर रहे थे और पूजा के बाद फूलों को वहीं चढ़ा दे रहे थे. घाटों के किनारों से लेकर आसपास बने मंदिरों में फूलों का ढेर लगा था तभी दोस्त ने कहा, कि यहां की सफाई के लिए जरूरी है कि फूलों का ही निस्तारण हो जाए. बस उसी समय अंकित ने अपने दोस्त की इस बात को स्टार्टअप आइडिया में बदला और आइआइटी कानपुर में साल 2016 में अपनी कंपनी-फूल डाट काम बना ली, फिर इसे इंक्यूबेटेड कराया और फूलों से ही अगरबत्ती, धूपबत्ती बनाने के बाद कृत्रिम चमड़ा तैयार कर दिया.
महिलाओं को मिला रोजगार: अंकित बताते हैं कि उनके इस काम के लिए कानपुर, अयोध्या, वाराणसी समेत कई अन्य शहरों से फूल रोजाना लाए जाते हैं. एक दिन में करीब 12 टन फूल इकट्ठा होते हैं, जिनसे कई चरणों में कवायद के बाद कृत्रिम चमड़े की शीट, अगरबत्ती व धूपबत्ती हम तैयार कराते हैं. उन्होंने बताया कि उनकी जो इकाइयां हैं वहां अधिक संख्या में महिलाएं कार्यरत हैं. अब, जल्द ही वह थर्माकोल का विकल्प तैयार करेंगे.