कानपुर: पूरे देश भर में कोरोना वायरस से हालात बेकाबू हो गए हैं. महानगर में लगातार संक्रमित मामले सामने आ रहे हैं. वहीं इलाज न मिल पाने के कारण लोगों की मौत हो रही है. अस्पतालों में न तो बेड है न मेडिकल स्टोर में दवाई. जिला प्रशासन भी कुछ बोलने को तैयार नहीं है. इस बार कोरोना की दूसरी लहर में सबसे ज्यादा दिक्कत ऑक्सीजन की है. पूरे देश में ऑक्सीजन की कमी के चलते लोग जान गवां रहे हैं. आलम यह है कि अब लोग खुद अपने परिजनों की जान बचाने के लिए ऑक्सीजन गोदामों में लाइन लगा कर जद्दोजहद करते दिखाई दे रहे हैं.
ईटीवी भारत के रियलिटी चेक में ऑक्सीजन की उपलब्धता को लेकर सरकारी दावों की पोल खुल गई है. लोग अपने मरीजों की एक-एक सांस के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं. लेकिन उनको ऑक्सीजन नहीं मिल पा रही है. कानपुर में प्रतिदिन औसतन 25 अस्पतालों में 60 से 65 टन की खपत है. लेकिन होम आइसोलेशन में भी कोरोना संक्रमितों की बड़ी संख्या है.
ऑक्सीजन की किल्लत लगातार बरकरार
कोरोना की दूसरी लहर ज्यादा खतरनाक है. मृत्यु दर काफी बढ़ गई है. कानपुर में सरकारी आंकड़ो के अनुसार बीते 24 घंटे में 25 मरीजों की मौत के साथ मरने वालों की संख्या 1085 के पार हो गई है. संक्रमित मरीजों में ऑक्सीजन की लगातार कमी हो रही है. लोगों को इस बार संक्रमण में सांस में लेने में तकलीफ हो रही है, जिसके लिए ऑक्सीजन की जरूरत पड़ रही है.
जिले में 25 अस्पताल निजी और सरकारी मिलाकर कोविड-19 का ईलाज कर रहे हैं. जिनकी निगरानी खुद सीएमओ कर रहे हैं. वहीं और कई अधिकारी भी इस कार्य में लगाए गए हैं. प्राइवेट नर्सिंग होम में जहां पर कोविड-19 का इलाज हो रहा है वहां पर नोडल अधिकारी नियुक्त किए गए हैं. इसके बावजूद भी ऑक्सीजन और बेड की कमी दूर होने का नाम नहीं ले रही है. अस्पताल प्रशासन तीमारदारों को सिलेंडर थमा कर खुद से ऑक्सीजन लाने के लिए कह रहा है. तीमारदार अपने मरीज को बचाने के लिए मजबूरी में सुबह से लाइनों में लगकर ऑक्सीजन के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं.
ऑक्सीजन के लिए लग रही लाइन
इतना ही नहीं आलम यह है कि ऑक्सीजन सिलेंडर को भरवाने के लिए लगी लंबी लाइनों को मैनेज करने के लिए पुलिस तक लगानी पड़ी है. सैकड़ों लोग सुबह से लाइनों में लगे हुए हैं. हालत यह है कि उनको यह तक नहीं पता है कि रात तक उनको ऑक्सीजन भी मिलेगी कि नहीं. लोगों ने बताया कि अस्पताल प्रशासन ने उनको अस्पताल से लेटर दे रखा है और खुद ही उनको भेज दिया है कि खुद से ऑक्सीजन लाएं और अपने मरीज की जान बचाएं. ऐसे में सवाल उठता है कि जब अस्पतालों में नोडल अधिकारी नियुक्त किए गए हैं तो यह जिम्मेदारी किसकी है कि वहां पर ऑक्सीजन की किल्लत को दूर करें.
सुबह से लाइन में लगे परिवार
परिवार के सब सदस्य लाइन में अलग-अलग ऑक्सीजन के प्लांटों में लगे हैं कि कहीं से ऑक्सीजन मिल जाए, जिससे वे अपने परिजनों की जान बचा सकें. वहीं ऑक्सीजन प्लांट में गैस भरने वालों की कमी का हवाला देकर गैस आवंटन का कार्य रोक दिया गया है.