कानपुर : आईआईटी कानपुर की इंक्यूबेटेड कंपनी नोवाअर्थ के संस्थापक ने मुर्गी के पंखों की मदद से कम्पोस्टेबल प्लास्टिक के उत्पाद तैयार किए हैं. इनसे पर्यावरण को कोई नुकसान भी नहीं पहुंचता है. आईआईटी के विशेषज्ञों से बातचीत के बाद पर्यावरण फ्रेंडली कटोरे जैसे इस उत्पाद को तैयार किया गया. इसका पेटेंट भी मिल चुका है. अगले साल प्लांट लगाकर बड़े पैमाने पर इन उत्पादों को तैयार करने की रणनीति तैयार की गई है.
आईआईटी कानपुर की इंक्यूबेटेड कंपनी नोवाअर्थ के संस्थापक सार्थक गुप्ता ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में बताया कि सिंगल यूज प्लास्टिक का क्या विकल्प हो सकता है?, यह सवाल कई दिनों से दिमाग में आ रहा था. इसे लेकर आईआईटी कानपुर के विशेषज्ञों से वार्ता हुई. इसके बाद पता चला कि मुर्गी के पंखों में केराटिन नामक प्रोटीन होता है. इसे प्रकृति का ही सोर्स माना जाता है. इस प्रोटीन से कंपोस्टेबल प्लास्टिक तैयार की जा सकती थी. इसके बाद आधुनिक मशीनों के जरिेए इस पर काम शुरू किया गया. कटोरे जैसा उत्पाद भी तैयार कर लिया गया है. इसका उन्हें पेटेंट भी मिल चुका है.
सिंगल यूज प्लास्टिक का बेहतर विकल्प : सार्थक ने बताया कि सरकार पिछले काफी समय से सिंगल यूज प्लास्टिक को बंद करना चाहती है. हालांकि बेहतर विकल्प सामने नहीं आ पा रहा था. इसी दिशा में कदम बढ़ाते हुए हमने सिंगल यूज प्लास्टिक का विकल्प तैयार कर लिया है. मुर्गी के पंखों के केराटिन से कंपोस्टेबल प्लास्टिक उत्पाद बनाया गया. इसका उपयोग करने के बाद हम इसे खाद के रूप में भी इस्तेमाल कर सकते हैं. जैसे, हम घरों में सेब, प्याज समेत अन्य फलों और सब्जियों के छिलकों को फेंक देते हैं, बाद में वह कंपोस्ट के रूप में बदल जाते हैं. एक ऐसी प्लास्टिक होगी, जिससे पर्यावरण को किसी तरह का नुकसान नहीं होगा.
जून 2024 में लगाएंगे अपना प्लांट : सार्थक ने बताया कि अब उनकी योजना आगामी जून 2024 में अपना प्लांट लगाने की है. जिससे इसे बढ़ावा मिले, और ज्यादा से ज्यादा कंपोस्टेबल प्लास्टिक के उत्पाद तैयार किए जा सकें. अगर कोई कंपनी इस उत्पाद (कंपोस्टेबल प्लास्टिक) को तैयार करना चाहेगी तो वह पनी टेक्नोलॉजी को नियमानुसार साझा भी कर सकते हैं.
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