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IIT Kanpur : रोबोटिक वाहनों से होगी कोयला खनिज ढुलाई, कार्गो आधारित हाईपरलूप सिस्टम तैयार

कानपुर आईआईटी के विशेषज्ञों ने रोबोटिक वाहन तैयार किए हैं. इनसे कोयला और खनिज ढुलाई का काम आसान हो जाएगा. इसके अलावा इससे वायु प्रदूषण पर नियंत्रण भी लग पाएगा.

प्रो. बिशाख भट्टाचार्य
प्रो. बिशाख भट्टाचार्य
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Published : Feb 14, 2023, 12:31 PM IST

प्रो. बिशाख भट्टाचार्य ने रोबोटिक वाहन विकसित किया

कानपुर: आईआईटी कानपुर के विशेषज्ञों ने कुछ दिनों पहले भू-परीक्षक नामक ऐसी डिवाइस तैयार की थी, जिससे मृदा परीक्षण के सारे परिणाम एक झटके में सामने आ जाते थे. इसी तरह वाराणसी में गंगातट पर एक्वाफ्रंट नाम से जो डिवाइस तैयार की गई, उससे नावों का संचालन वायु प्रदूषण रहित रूप से हो गया. अब नवाचारों की कड़ी में आगे बढ़ते हुए आईआईटी कानपुर के विशेषज्ञों ने ऐसे रोबोटिक वाहन तैयार कर दिए हैं, जिनसे कोयला व खनिज ढुलाई का काम आसानी से हो सकेगा. इस कार्गो-आधारित हाइपरलूप सिस्टम की मदद से वायु प्रदूषण पर नियंत्रण लग सकेगा.

भौतिक हानि और ढुलाई के समय को कम करने की दिशा में यह एक उपयोगी कदम साबित होगा. आईआईटी कानपुर के मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर बिशाख भट्टाचार्य और अनुसंधान वैज्ञानिक कन्हैया लाल चौरसिया व यशस्वी सिन्हा द्वारा उक्त रोबोटिक वाहन विकसित किया गया. विशेषज्ञों का दावा है कि इस नई प्रणाली के प्रयोग से कोयले और खनिजों के परिवहन के तरीके में क्रांति आने की आशंका है.

कार्गो हाईपरलूप मोबिलिटी सिस्टम
कार्गो हाईपरलूप मोबिलिटी सिस्टम

120 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से काम करता है रोबोट

आईआईटी कानपुर के विशेषज्ञों ने बताया कि इस प्रणाली को ऊर्जा स्रोत के रूप में कम्प्रेस्ड हवा के साथ कोयले या घोल को एक छोर से दूसरे स्थान पर ले जाने के लिए डिजाइन किया गया है. इसमें रोबोट लगभग 120 किमी/घंटे की गति से काम कर सकता है और लोड किए गए ब्लॉक को निर्दिष्ट रिसीविंग/अनलोडिंग सब-सेक्शन में लगातार ट्रांसपोर्ट कर सकता है. यह एक सतत प्रक्रिया होगी. वर्कलोड और आवश्यकता के आधार पर श्रृंखला में एक से अधिक रोबोटिक वाहन संचालित हो सकते हैं. रोबोट में एक सटीक, विश्वसनीय और निरंतर वाहन पोजिशनिंग सिस्टम भी है. सुरंगों/पाइपलाइन जैसे विस्तारित जीपीएस-अस्वीकृत वातावरण में वैगन पोजिशनिंग के लिए यह सिस्टम हाइब्रिड मल्टी-सेंसर फ्यूजन रणनीति का प्रयोग करते हुए रोबोट पोजिशनिंग को प्राप्त करने में सक्षम है. सिस्टम में लगभग 107 किलोवाट की बिजली खपत होती है, जिसकी डिलीवरी दर 5.6 T/min/km है, जो कि 40 इंच के पाइप के अनुरूप है.

परिवहन के क्षेत्र में गेमचेंजर साबित होगी यह प्रणाली

आईआईटी कानपुर के निदेशक प्रोफेसर अभय करंदीकर ने कहा कि यह प्रणाली परिवहन के क्षेत्र में एक गेम-चेंजर है. कम ऊर्जा खपत और एक साथ पाइपलाइन निगरानी के अपने दोहरे लाभ के साथ यह तकनीक भूमिगत और ओपन-कास्ट खनन से उत्पादन और उत्पादकता में काफी सुधार करेगी. इस प्रणाली के प्रयोग के साथ ट्रकों और रेलवे वैगनों की संख्या में होने वाली भारी गिरावट, माल ढुलाई वाली पटरियों और रोडवेज पर दबाव को कम किया जा सकेगा. उन्होंने बताया कि आईआईटी कानपुर के इस नवाचार को योगी सरकार के पहले कार्यकाल में हुई ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट में प्रस्तुत किया जा चुका है और सभी ने इसे सराहा था.

यह भी पढ़ें: Agra fort: आगरा किले के दीवान ए आम में म्यूजिक की धमक से आईं दरारें, एएसआई में खलबली

प्रो. बिशाख भट्टाचार्य ने रोबोटिक वाहन विकसित किया

कानपुर: आईआईटी कानपुर के विशेषज्ञों ने कुछ दिनों पहले भू-परीक्षक नामक ऐसी डिवाइस तैयार की थी, जिससे मृदा परीक्षण के सारे परिणाम एक झटके में सामने आ जाते थे. इसी तरह वाराणसी में गंगातट पर एक्वाफ्रंट नाम से जो डिवाइस तैयार की गई, उससे नावों का संचालन वायु प्रदूषण रहित रूप से हो गया. अब नवाचारों की कड़ी में आगे बढ़ते हुए आईआईटी कानपुर के विशेषज्ञों ने ऐसे रोबोटिक वाहन तैयार कर दिए हैं, जिनसे कोयला व खनिज ढुलाई का काम आसानी से हो सकेगा. इस कार्गो-आधारित हाइपरलूप सिस्टम की मदद से वायु प्रदूषण पर नियंत्रण लग सकेगा.

भौतिक हानि और ढुलाई के समय को कम करने की दिशा में यह एक उपयोगी कदम साबित होगा. आईआईटी कानपुर के मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर बिशाख भट्टाचार्य और अनुसंधान वैज्ञानिक कन्हैया लाल चौरसिया व यशस्वी सिन्हा द्वारा उक्त रोबोटिक वाहन विकसित किया गया. विशेषज्ञों का दावा है कि इस नई प्रणाली के प्रयोग से कोयले और खनिजों के परिवहन के तरीके में क्रांति आने की आशंका है.

कार्गो हाईपरलूप मोबिलिटी सिस्टम
कार्गो हाईपरलूप मोबिलिटी सिस्टम

120 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से काम करता है रोबोट

आईआईटी कानपुर के विशेषज्ञों ने बताया कि इस प्रणाली को ऊर्जा स्रोत के रूप में कम्प्रेस्ड हवा के साथ कोयले या घोल को एक छोर से दूसरे स्थान पर ले जाने के लिए डिजाइन किया गया है. इसमें रोबोट लगभग 120 किमी/घंटे की गति से काम कर सकता है और लोड किए गए ब्लॉक को निर्दिष्ट रिसीविंग/अनलोडिंग सब-सेक्शन में लगातार ट्रांसपोर्ट कर सकता है. यह एक सतत प्रक्रिया होगी. वर्कलोड और आवश्यकता के आधार पर श्रृंखला में एक से अधिक रोबोटिक वाहन संचालित हो सकते हैं. रोबोट में एक सटीक, विश्वसनीय और निरंतर वाहन पोजिशनिंग सिस्टम भी है. सुरंगों/पाइपलाइन जैसे विस्तारित जीपीएस-अस्वीकृत वातावरण में वैगन पोजिशनिंग के लिए यह सिस्टम हाइब्रिड मल्टी-सेंसर फ्यूजन रणनीति का प्रयोग करते हुए रोबोट पोजिशनिंग को प्राप्त करने में सक्षम है. सिस्टम में लगभग 107 किलोवाट की बिजली खपत होती है, जिसकी डिलीवरी दर 5.6 T/min/km है, जो कि 40 इंच के पाइप के अनुरूप है.

परिवहन के क्षेत्र में गेमचेंजर साबित होगी यह प्रणाली

आईआईटी कानपुर के निदेशक प्रोफेसर अभय करंदीकर ने कहा कि यह प्रणाली परिवहन के क्षेत्र में एक गेम-चेंजर है. कम ऊर्जा खपत और एक साथ पाइपलाइन निगरानी के अपने दोहरे लाभ के साथ यह तकनीक भूमिगत और ओपन-कास्ट खनन से उत्पादन और उत्पादकता में काफी सुधार करेगी. इस प्रणाली के प्रयोग के साथ ट्रकों और रेलवे वैगनों की संख्या में होने वाली भारी गिरावट, माल ढुलाई वाली पटरियों और रोडवेज पर दबाव को कम किया जा सकेगा. उन्होंने बताया कि आईआईटी कानपुर के इस नवाचार को योगी सरकार के पहले कार्यकाल में हुई ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट में प्रस्तुत किया जा चुका है और सभी ने इसे सराहा था.

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