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कानपुर IIT की डॉ. बुशरा अतीक को शांतिस्वरूप भटनागर पुरस्कार, कैंसर पर किए हैं कई शोध

कानपुर आईआईटी की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. बुशरा अतीक को साल 2020 के लिए साइंस कैटेगरी में शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा. इस घोषणा के बाद आईआईटी के निदेशक प्रो. अभय करंदीकर ने ट्विटर और फेसबुक के माध्यम से उनकी इस उपलब्धि पर बधाई दी.

डॉ. बुशरा अतीक को मिलेगा शांतिस्वरूप भटनागर पुरस्कार.
डॉ. बुशरा अतीक को मिलेगा शांतिस्वरूप भटनागर पुरस्कार.
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Published : Sep 28, 2020, 4:21 AM IST

कानपुर: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान यानी आईआईटी कानपुर के नाम एक और बड़ी उपलब्धि जुड़ गई है. कैंसर पर कई तरह के शोध कर चुकीं आईआईटी कानपुर की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. बुशरा अतीक को साल 2020 के लिए साइंस कैटेगरी में शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा. पुरस्कार की घोषणा के बाद आईआईटी के निदेशक प्रो. अभय करंदीकर ने ट्विटर और फेसबुक के माध्यम से उनकी इस उपलब्धि पर बधाई दी. पुरस्कार के लिए डॉ. बुशरा का नाम तय हो गया है, लेकिन पुरस्कार मिलने की तारीख की घोषणा अभी नहीं हुई है.

शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय की ओर से दिया जाता है. एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. बुशरा वर्तमान में आईआईटी कानपुर के बायोलॉजिकल साइंसेज एंड बायो इंजीनियरिंग विभाग में कार्यरत हैं. उन्होंने फरवरी 2013 में आईआईटी को ज्वाइन किया था. तब से लेकर आज तक डॉ. बुशरा कैंसर के कारण और उसके निवारण पर काम कर रही हैं.

उन्होंने हाल ही में प्रोस्टेट कैंसर के रोगियों को पहले चरण में दी जाने वाली एंड्रोजन डिप्रिवेंशन थेरेपी पर आधारित खोज कर पता लगाया कि प्रोस्टेट कैंसर के मरीजों को दी जाने वाली एन्टी एंट्रोजन दवाओं को लंबे समय तक सेवन करना बहुत ही हानिकारक है. साथ ही शोध में उन्हें कई तरह की जीन और कोशिकाओं की गड़बड़ी का पता चला है, जिनकी प्रारंभिक दिक्कतें होने पर आगे चलकर ट्यूमर भी बन जाता है. गौरतलब है कि डॉ. बुशरा ने पुरुषों में होने वाले प्रोस्टेट कैंसर की वजह का पता लगाया था. इस उपलब्धि के लिए उन्हें 2018 में सीएनआर राव फैकल्टी अवार्ड से भी नवाजा जा चुका है.

कानपुर: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान यानी आईआईटी कानपुर के नाम एक और बड़ी उपलब्धि जुड़ गई है. कैंसर पर कई तरह के शोध कर चुकीं आईआईटी कानपुर की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. बुशरा अतीक को साल 2020 के लिए साइंस कैटेगरी में शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा. पुरस्कार की घोषणा के बाद आईआईटी के निदेशक प्रो. अभय करंदीकर ने ट्विटर और फेसबुक के माध्यम से उनकी इस उपलब्धि पर बधाई दी. पुरस्कार के लिए डॉ. बुशरा का नाम तय हो गया है, लेकिन पुरस्कार मिलने की तारीख की घोषणा अभी नहीं हुई है.

शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय की ओर से दिया जाता है. एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. बुशरा वर्तमान में आईआईटी कानपुर के बायोलॉजिकल साइंसेज एंड बायो इंजीनियरिंग विभाग में कार्यरत हैं. उन्होंने फरवरी 2013 में आईआईटी को ज्वाइन किया था. तब से लेकर आज तक डॉ. बुशरा कैंसर के कारण और उसके निवारण पर काम कर रही हैं.

उन्होंने हाल ही में प्रोस्टेट कैंसर के रोगियों को पहले चरण में दी जाने वाली एंड्रोजन डिप्रिवेंशन थेरेपी पर आधारित खोज कर पता लगाया कि प्रोस्टेट कैंसर के मरीजों को दी जाने वाली एन्टी एंट्रोजन दवाओं को लंबे समय तक सेवन करना बहुत ही हानिकारक है. साथ ही शोध में उन्हें कई तरह की जीन और कोशिकाओं की गड़बड़ी का पता चला है, जिनकी प्रारंभिक दिक्कतें होने पर आगे चलकर ट्यूमर भी बन जाता है. गौरतलब है कि डॉ. बुशरा ने पुरुषों में होने वाले प्रोस्टेट कैंसर की वजह का पता लगाया था. इस उपलब्धि के लिए उन्हें 2018 में सीएनआर राव फैकल्टी अवार्ड से भी नवाजा जा चुका है.

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