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हैलट अस्पताल में लागू हो रही है नई व्यवस्था, मरीजों के लिए बनेगी संजीवनी, जानिए कैसे?

कानपुर के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल हैलट अस्पताल में नई व्यवस्था लागू की जाएगी, जो मरीजों के लिए संजीवनी बनेंगी. इस व्यवस्था के तहत गंभीर मरीजों को फौरन इलाज मिलेगा.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Nov 17, 2023, 6:52 PM IST

कानपुर: हैलट अस्पताल में जब भी गंभीर मरीज पहुंचते हैं तो अक्सर उन्हें अपने इलाज के लिए इधर-उधर भटकना पड़ता है. इसकी मुख्य वजह है, अस्पताल में मरीजों की संख्या आवश्यकता से अधिक होना. हालांकि, अब इस समस्या का समाधान करने के लिए जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ.संजय काला ने एक ऐसा प्लान बनाया है, जो मरीजों के लिए संजीवनी साबित होगा. हैलट अस्पताल के इतिहास में पहली बार डॉक्टरों की एक क्यूआरटी यानी क्विक रिस्पांस टीम (Quick Response Team) बनने जा रही है. इस टीम में मेडिकल कॉलेज के नॉन पीजी डॉक्टरों को शामिल किया जाएगा. क्यूआरटी के जो डॉक्टर होंगे, उनके पास मोबाइल फोन होंगे और उनके नंबर अस्पताल में दिए जाएंगे. जैसे ही कोई गंभीर स्थिति वाला मरीज अस्पताल पहुंचेगा तो डॉक्टर उसके इलाज के लिए जल्दी ही सारी व्यवस्थाएं कराएंगे.

जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज प्राचार्य डॉ. संजय काला.
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज प्राचार्य डॉ. संजय काला.
पहले चरण में डॉक्टरों का समूह बनाएंगे: जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ.संजय काला ने बताया कि क्यूआरटी की व्यवस्था कराने से पहले वह सभी प्रशासनिक अफसरों और जिम्मेदार डॉक्टरों संग बैठक करेंगे. इसके बाद अस्पताल कैंम्पस में पहले चरण के दौरान डॉक्टरों का एक समूह बनेगा, जो क्यूआरटी की तरह ही काम करेगा. प्राचार्य डॉ. काला ने कहा कि अस्पताल आने वाले हर मरीज को बेहतर से बेहतर इलाज मिल सके. इसके लिए ही क्यूआरटी का प्लान बनाया गया है. इसके लिए जो टीम बनाई जाएगी, उसमें सभी डॉक्टरों को शामिल करने से पहले उनसे संवाद होगा. उनकी अनुमति के बाद टीम का गठन कराएंगे और फिर मरीजों को मदद मिलने लगेगी.

इसे भी पढ़े-हैलट अस्पताल में अब मरीजों के लिए पोर्टेबल आईसीयू, यूपी में पहली बार शुरू होने जा रही यह सुविधा


20 नवंबर मेडिकल कॉलेज पहुंचेंगे याचिका समिति के सदस्य: शहर के हैलट अस्पताल, उर्सला अस्पताल, डफरिन, जेके कैंसर समेत कई ऐसे अस्पताल हैं, जहां रोजाना ही सैकड़ों की संख्या में मरीज अपना इलाज कराने पहुंचते हैं. हालांकि, अधिकतर मरीजों को यह शिकायत रहती है कि उन्हें बेहतर इलाज नहीं मिलता. इसी तरह का एक मामला जब विधानसभा की याचिका समिति के पास पहुंचा तो, अब याचिका समिति के सदस्यों ने 20 नवंबर को कानपुर आने का फैसला किया है. जिसमें समिति के सदस्य शहर के सभी सरकारी अस्पतालों की व्यवस्थाओं को देखेंगे और मरीजों से बात करेंगे. फिर, समिति के सदस्य अपनी रिपोर्ट विधानसभा में प्रस्तुत करेंगे.

यह भी पढ़े-हैलट हॉस्पिटल का हाल: मुर्दों के नाम पर रेमडेसिविर इंजेक्शन की ब्लैक मार्केटिंग!

कानपुर: हैलट अस्पताल में जब भी गंभीर मरीज पहुंचते हैं तो अक्सर उन्हें अपने इलाज के लिए इधर-उधर भटकना पड़ता है. इसकी मुख्य वजह है, अस्पताल में मरीजों की संख्या आवश्यकता से अधिक होना. हालांकि, अब इस समस्या का समाधान करने के लिए जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ.संजय काला ने एक ऐसा प्लान बनाया है, जो मरीजों के लिए संजीवनी साबित होगा. हैलट अस्पताल के इतिहास में पहली बार डॉक्टरों की एक क्यूआरटी यानी क्विक रिस्पांस टीम (Quick Response Team) बनने जा रही है. इस टीम में मेडिकल कॉलेज के नॉन पीजी डॉक्टरों को शामिल किया जाएगा. क्यूआरटी के जो डॉक्टर होंगे, उनके पास मोबाइल फोन होंगे और उनके नंबर अस्पताल में दिए जाएंगे. जैसे ही कोई गंभीर स्थिति वाला मरीज अस्पताल पहुंचेगा तो डॉक्टर उसके इलाज के लिए जल्दी ही सारी व्यवस्थाएं कराएंगे.

जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज प्राचार्य डॉ. संजय काला.
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज प्राचार्य डॉ. संजय काला.
पहले चरण में डॉक्टरों का समूह बनाएंगे: जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ.संजय काला ने बताया कि क्यूआरटी की व्यवस्था कराने से पहले वह सभी प्रशासनिक अफसरों और जिम्मेदार डॉक्टरों संग बैठक करेंगे. इसके बाद अस्पताल कैंम्पस में पहले चरण के दौरान डॉक्टरों का एक समूह बनेगा, जो क्यूआरटी की तरह ही काम करेगा. प्राचार्य डॉ. काला ने कहा कि अस्पताल आने वाले हर मरीज को बेहतर से बेहतर इलाज मिल सके. इसके लिए ही क्यूआरटी का प्लान बनाया गया है. इसके लिए जो टीम बनाई जाएगी, उसमें सभी डॉक्टरों को शामिल करने से पहले उनसे संवाद होगा. उनकी अनुमति के बाद टीम का गठन कराएंगे और फिर मरीजों को मदद मिलने लगेगी.

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20 नवंबर मेडिकल कॉलेज पहुंचेंगे याचिका समिति के सदस्य: शहर के हैलट अस्पताल, उर्सला अस्पताल, डफरिन, जेके कैंसर समेत कई ऐसे अस्पताल हैं, जहां रोजाना ही सैकड़ों की संख्या में मरीज अपना इलाज कराने पहुंचते हैं. हालांकि, अधिकतर मरीजों को यह शिकायत रहती है कि उन्हें बेहतर इलाज नहीं मिलता. इसी तरह का एक मामला जब विधानसभा की याचिका समिति के पास पहुंचा तो, अब याचिका समिति के सदस्यों ने 20 नवंबर को कानपुर आने का फैसला किया है. जिसमें समिति के सदस्य शहर के सभी सरकारी अस्पतालों की व्यवस्थाओं को देखेंगे और मरीजों से बात करेंगे. फिर, समिति के सदस्य अपनी रिपोर्ट विधानसभा में प्रस्तुत करेंगे.

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