कानपुर: शहर के 101 परिषदीय व उच्च परिषदीय विद्यालयों (सभी सरकारी) में पढ़ने वाले पांच हजार से अधिक बच्चों को अब नया स्कूल मिल जाएगा. अभी तक यह बच्चे किराए के भवनों में संचालित हो रहे स्कूलों में मजबूरीवश पढ़ाई कर रहे थे. इन भवनों में न तो बच्चों के लिए पेयजल की सुविधा थी, न शौचालय की.
अगर शिक्षक या विभागीय अफसर किसी तरह का कोई प्रबंध कराने का प्रयास करते तो मकान मालिक कब्जे की नीयत को दर्शाते हुए कोर्ट का दरवाजा खटखटा दे रहे थे. हालांकि डीएम विशाख जी ने अपनी देखरेख में अधीनस्थ व अनुभवी अफसरों की एक कमेटी बनाई और फिर कानपुर बेसिक शिक्षा विभाग (Basic education department in kanpur) ने इन स्कूलों के बच्चों को नगर क्षेत्र में संचालित 130 नए स्कूलों में शिफ्ट करने का फैसला किया.
पीडब्ल्यूडी से हुआ था सर्वे, अधिकतर भवन जर्जर व कभी भी गिर सकते: शहर में जो 101 स्कूल किराए के भवनों में संचालित हो रहे थे, उन्हें लेकर डीएम विशाख जी ने लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) से सर्वे कराया था. जिसमें यह बात सामने आई थी, कि उनमें से अधिकतर भवन जर्जर स्थिति में हैं या फिर कभी भी उनकी दीवारें ढह सकती हैं. स्कूलों को शिफ्ट करने की स्थिति में पीडब्ल्यूडी विभाग की रिपोर्ट को एक ठोस आधार माना गया.
इनमें से प्रेमनगर विकासखंड के 35 विद्यालय ऐसे सामने आए, जिनकी स्थिति बहुत ज्यादा खराब थी. हालांकि, इस मामले पर कुछ संगठन के पदाधिकारियों ने अपना विरोध भी जताया है. अभी तक 101 स्कूलों का संचालन किराए के भवनों में हो रहा था, जहां बच्चों व शिक्षकों को कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता था. हालांकि, अब सभी स्कूलों के बच्चों को नए स्कूलों (आसपास के) में शिफ्ट कर देंगे. जो पदाधिकारी विरोध कर रहे हैं, उन्हें यह सोचना चाहिए कि अगर बच्चों को कुछ होता है तो उसका जिम्मेदार कौन होगा. कानपुर में 101 सरकारी स्कूल के पांच हज़ार छात्रों को नया स्कूल मिलेगा.
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