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जयपुर के विशेषज्ञों की मदद से बिठूर के कुम्हार तैयार कर रहे डिजाइनर उत्पाद, मिलेगा वैश्विक मंच

IIT Kanpur के विशेषज्ञों ने कानपुर के बिठूर समेत आसपास के गांवों के कुम्हारों व किसानों के हुनर को वैश्विक मंच दिलाने का काम शुरू कर दिया है. IIT Kanpur कैम्पस में किसानों के बच्चों को शिक्षा देने के साथ ही हुनरमंद बनाने का सिलसिला भी लगातार जारी है.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Oct 11, 2023, 5:56 PM IST

जयपुर के विशेषज्ञ बिठूर के कुम्हारों से तैयार करा रहे उत्पाद

कानपुर: इस दीपावली पर आम लोग तो खुशी के साथ रोशनी के पर्व को मनाएंगे ही, यह दीपावाली शहर के गंगा किनारे बसी ऐतिहासिक धरोहर बिठूर के किसानों और कुम्हारों के लिए भी खास होगी. दरअसल, अभी तक वहां के कुम्हार जो उत्पाद बना रहे थे, उसमें उन्हें कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता था. लेकिन, अब कुम्हारों ने जयपुर स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट आफ क्राफ्ट एंड डिजाइन के विशेषज्ञों संग प्रशिक्षण हासिल कर लिया है.

बिठूर के कुम्हारों से तैयार करा रहे उत्पाद
बिठूर के कुम्हारों से तैयार करा रहे उत्पाद

जिसके बाद कुम्हार अब एक से बढ़कर एक डिजाइनर मिट्टी के दीये, करवा समेत अन्य उत्पादों को तैयार करेंगे. यह सब संभव हो पाया है, आईआईटी कानपुर कैम्पस में संचालित रणजीत सिंह रोजी शिक्षा केंद्र की वजह से. जिसकी देखरेख करने वाली रीता सिंह बताती हैं कि वह पिछले कई सालों से अपने टीम के सदस्यों संग बिठूर समेत कानपुर के आसपास के गांवों के बच्चों को शिक्षा मुहैया कराने का काम तो कर ही रही थीं. अब, उन्होंने किसानों व कुम्हारों की आजीविका को बढ़ाने का बीड़ा उठाया है. जिसमें वह कुम्हारों व किसानों को केंद्र में प्रशिक्षित करने के साथ ही, उनके उत्पादों को वैश्विक मंच देने की दिशा में कवायद कर रही हैं.

कुम्हारों को इंडियन इंस्टीट्यूट आफ क्राफ्ट एंड डिजाइन में प्रशिक्षण
कुम्हारों को इंडियन इंस्टीट्यूट आफ क्राफ्ट एंड डिजाइन में प्रशिक्षण
सोलर हाइड्रेशन से किसानों की सब्जियों को सूखा: इस पूरे मामले पर रणजीत सिंह रोजी शिक्षा केंद्र से जुड़े सौरभ सक्सेना ने बताया, कि अधिकतर किसानों से जब संवाद हुआ तो सामने आया कि उन्हें उनकी फसलों की सही कीमत नहीं मिल पाती थी। इससे उनका बहुत नुकसान होता था. हालांकि, अब हम किसानों की सब्जियों को लेकर पहले सोलर हाइड्रेशन व्यवस्था के तहत उन्हें सुखा रहे हैं. इसके बाद उनसे तरह-तरह के उत्पाद बनवाए जा रहे हैं. उन्होंने बताया कि हमने एक गंगा पोर्टल भी बनाया है. जिसमें कानपुर व आसपास के गांवों के किसानों के उत्पाद दिखते हैं और दुनिया भर के लोग इन उत्पादों की खरीदारी करते हैं. पूरे देशभर में जो हमारे केंद्र हैं, उनके माध्यम से हम लोगों तक आर्गेनिक सब्जियों से बने उत्पाद पहुंचा रहे हैं.

यह भी पढे़ं: चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय प्रतिभाशाली छात्र-छात्राओं को देगा कोचिंग, यूपीएससी समेत अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं की होगी तैयारी

यह भी पढे़ं: IIT Kanpur : केंद्रीय मंत्री ने आईआईटी कानपुर में बने आईजीएमएस पोर्टल को किया लॉन्च, पल भर में हल होंगी शिकायतें

जयपुर के विशेषज्ञ बिठूर के कुम्हारों से तैयार करा रहे उत्पाद

कानपुर: इस दीपावली पर आम लोग तो खुशी के साथ रोशनी के पर्व को मनाएंगे ही, यह दीपावाली शहर के गंगा किनारे बसी ऐतिहासिक धरोहर बिठूर के किसानों और कुम्हारों के लिए भी खास होगी. दरअसल, अभी तक वहां के कुम्हार जो उत्पाद बना रहे थे, उसमें उन्हें कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता था. लेकिन, अब कुम्हारों ने जयपुर स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट आफ क्राफ्ट एंड डिजाइन के विशेषज्ञों संग प्रशिक्षण हासिल कर लिया है.

बिठूर के कुम्हारों से तैयार करा रहे उत्पाद
बिठूर के कुम्हारों से तैयार करा रहे उत्पाद

जिसके बाद कुम्हार अब एक से बढ़कर एक डिजाइनर मिट्टी के दीये, करवा समेत अन्य उत्पादों को तैयार करेंगे. यह सब संभव हो पाया है, आईआईटी कानपुर कैम्पस में संचालित रणजीत सिंह रोजी शिक्षा केंद्र की वजह से. जिसकी देखरेख करने वाली रीता सिंह बताती हैं कि वह पिछले कई सालों से अपने टीम के सदस्यों संग बिठूर समेत कानपुर के आसपास के गांवों के बच्चों को शिक्षा मुहैया कराने का काम तो कर ही रही थीं. अब, उन्होंने किसानों व कुम्हारों की आजीविका को बढ़ाने का बीड़ा उठाया है. जिसमें वह कुम्हारों व किसानों को केंद्र में प्रशिक्षित करने के साथ ही, उनके उत्पादों को वैश्विक मंच देने की दिशा में कवायद कर रही हैं.

कुम्हारों को इंडियन इंस्टीट्यूट आफ क्राफ्ट एंड डिजाइन में प्रशिक्षण
कुम्हारों को इंडियन इंस्टीट्यूट आफ क्राफ्ट एंड डिजाइन में प्रशिक्षण
सोलर हाइड्रेशन से किसानों की सब्जियों को सूखा: इस पूरे मामले पर रणजीत सिंह रोजी शिक्षा केंद्र से जुड़े सौरभ सक्सेना ने बताया, कि अधिकतर किसानों से जब संवाद हुआ तो सामने आया कि उन्हें उनकी फसलों की सही कीमत नहीं मिल पाती थी। इससे उनका बहुत नुकसान होता था. हालांकि, अब हम किसानों की सब्जियों को लेकर पहले सोलर हाइड्रेशन व्यवस्था के तहत उन्हें सुखा रहे हैं. इसके बाद उनसे तरह-तरह के उत्पाद बनवाए जा रहे हैं. उन्होंने बताया कि हमने एक गंगा पोर्टल भी बनाया है. जिसमें कानपुर व आसपास के गांवों के किसानों के उत्पाद दिखते हैं और दुनिया भर के लोग इन उत्पादों की खरीदारी करते हैं. पूरे देशभर में जो हमारे केंद्र हैं, उनके माध्यम से हम लोगों तक आर्गेनिक सब्जियों से बने उत्पाद पहुंचा रहे हैं.

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