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कन्नौज: सोमवार को सिद्ध पीठ मंदिर के दर्शन को उमड़ा भक्तों का सैलाब

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Published : Jul 29, 2019, 5:30 PM IST

उत्तर प्रदेश के कन्नौज में सावन के दूसरे सोमवार को शिव भक्तों का जत्था कन्नौज के सिद्ध पीठ बाबा गौरी शंकर मंदिर के दर्शन को पहुंचा. श्रद्धालुओं की सुरक्षा में पुलिस प्रशासन काफी चौकन्ने नजर आए.

सिद्ध पीठ बाबा गौरी शंकर मंदिर के दर्शन को उमड़ा श्रद्धालुओं का सैलाब

कन्नौज: प्राचीन काल में कन्नौज को कान्यकुब्ज के नाम से भी जाना जाता था. इत्र की इस पावन नगरी में कन्नौज के सिद्ध पीठ बाबा गौरी शंकर का मंदिर है, जिसको पौराणिक भाषा में गौरी पीठ कहा जाता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार जहां-जहां माता सती के अंग गिरे थे, वहां शक्तिपीठों की स्थापना हुई थी. उसी क्रम में कान्यकब्ज यानी कन्नौज में भी मां गौरी का अंग गिरने से इस मंदिर की स्थापना हुई.

गैरी पीठ मंदिर का महत्व
सिद्ध पीठ बाबा गौरी शंकर मंदिर 51 शक्ति पीठ में से एक है. मंदिर में गौरी और शंकर अर्धनारीश्वर के रूप में स्थापित है. अर्धनारीश्वर यानी शिव का आधा अंग शिव के रूप में है और दूसरा रूप पार्वती के स्वरूप में है. इसका उल्लेख रामचरितमानस में भी किया गया है. मंदिर की ऐसी मानता है कि यहां जो भी भक्त मन्नत मांगता है, उसकी मन्नत पूरी होती है.

सिद्ध पीठ बाबा गौरी शंकर मंदिर के दर्शन को उमड़ा श्रद्धालुओं का सैलाब

सावन में शिव की भक्ति करने श्रद्धालु पहुंचे गौरी पीठ
गौरी शंकर मंदिर में दर्शन करने लोग दूर-दूर से आते हैं. सावन के दूसरे सोमवार को इत्र नगरी कन्नौज के गौरी पीठ मंदिर में देर शाम तक भक्तों की लंबी कतार लगी रही. मंदिर परिसर में कलाकारों ने बाबा गौरी शंकर मंदिर को झालरों से सजाया और फूलों की लड़ियों से मंदिर को भव्य और आकर्षक स्वरूप प्रदान किया. मंदिर की सजावट में अलग-अलग प्रजातियों के फूल मंगवाए गए थे. इस भव्य सजावट श्रृंगार के साथ बाबा गौरी शंकर मंदिर आकर्षक का केंद्र बना रहा.

भक्तों ने की शिव-शंभू की अराधना, पुलिस प्रशासन भी रहा चौकन्ना
सुबह होते ही मंदिर में हर-हर महादेव और भोलेनाथ के जयकारों की गूंज सुनाई देने लगी. भक्तों ने शिवलिंग का जलाभिषेक कर पूजा-अर्चना की. सावन के दूसरे सोमवार में भी भक्तों की ऐसी भीड़ देख पुलिस श्रद्धालिओं की सुरक्षा को लेकर काफी सख्त नजर आई. सिद्धपीठ मंदिरो के अलावा कई अन्य शिव मंदिरों की सुरक्षा व्यवस्था के लिए भी पुलिसकर्मी तैनात रहे.

कन्नौज: प्राचीन काल में कन्नौज को कान्यकुब्ज के नाम से भी जाना जाता था. इत्र की इस पावन नगरी में कन्नौज के सिद्ध पीठ बाबा गौरी शंकर का मंदिर है, जिसको पौराणिक भाषा में गौरी पीठ कहा जाता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार जहां-जहां माता सती के अंग गिरे थे, वहां शक्तिपीठों की स्थापना हुई थी. उसी क्रम में कान्यकब्ज यानी कन्नौज में भी मां गौरी का अंग गिरने से इस मंदिर की स्थापना हुई.

गैरी पीठ मंदिर का महत्व
सिद्ध पीठ बाबा गौरी शंकर मंदिर 51 शक्ति पीठ में से एक है. मंदिर में गौरी और शंकर अर्धनारीश्वर के रूप में स्थापित है. अर्धनारीश्वर यानी शिव का आधा अंग शिव के रूप में है और दूसरा रूप पार्वती के स्वरूप में है. इसका उल्लेख रामचरितमानस में भी किया गया है. मंदिर की ऐसी मानता है कि यहां जो भी भक्त मन्नत मांगता है, उसकी मन्नत पूरी होती है.

सिद्ध पीठ बाबा गौरी शंकर मंदिर के दर्शन को उमड़ा श्रद्धालुओं का सैलाब

सावन में शिव की भक्ति करने श्रद्धालु पहुंचे गौरी पीठ
गौरी शंकर मंदिर में दर्शन करने लोग दूर-दूर से आते हैं. सावन के दूसरे सोमवार को इत्र नगरी कन्नौज के गौरी पीठ मंदिर में देर शाम तक भक्तों की लंबी कतार लगी रही. मंदिर परिसर में कलाकारों ने बाबा गौरी शंकर मंदिर को झालरों से सजाया और फूलों की लड़ियों से मंदिर को भव्य और आकर्षक स्वरूप प्रदान किया. मंदिर की सजावट में अलग-अलग प्रजातियों के फूल मंगवाए गए थे. इस भव्य सजावट श्रृंगार के साथ बाबा गौरी शंकर मंदिर आकर्षक का केंद्र बना रहा.

भक्तों ने की शिव-शंभू की अराधना, पुलिस प्रशासन भी रहा चौकन्ना
सुबह होते ही मंदिर में हर-हर महादेव और भोलेनाथ के जयकारों की गूंज सुनाई देने लगी. भक्तों ने शिवलिंग का जलाभिषेक कर पूजा-अर्चना की. सावन के दूसरे सोमवार में भी भक्तों की ऐसी भीड़ देख पुलिस श्रद्धालिओं की सुरक्षा को लेकर काफी सख्त नजर आई. सिद्धपीठ मंदिरो के अलावा कई अन्य शिव मंदिरों की सुरक्षा व्यवस्था के लिए भी पुलिसकर्मी तैनात रहे.

Intro:कन्नौज का यह है ऐतिहासिक सिद्धि बाबा गौरी शंकर मंदिर

प्राचीन काल में कन्नौज को कान्यकुब्ज के नाम से जाना जाता था, जो अब इत्र नगरी कन्नौज के नाम से सुविख्यात है । इत्र की इस पावन नगरी में कन्नौज का सिद्ध पीठ बाबा गौरी शंकर मंदिर है, जिसको पौराणिक भाषा में गौरी पीठ कहा जाता है । इसके विषय में बताया जाता है कि जहां-जहां माता सती के अंग गिरे थे वहां- वहां शक्तिपीठों की स्थापना हुई थी, उसी क्रम में कान्यकब्ज यानी कन्नौज में भी मां गौरी का अंग गिरने से यह स्थान भी 51 शक्ति पीठ में शुमार किया जाता है । श्रद्धालु गौरी और शंकर दोनों को अर्धनारीश्वर के रूप में देखते हैं, अर्थात शिव का आधा अंग शिव के रूप में है और दूसरे रूप में पार्वती का स्वरूप है। जिसका उल्लेख रामचरितमानस में भी किया गया है। आइए देखते हैं कन्नौज से यह स्पेशल रिपोर्ट।


Body:सावन माह में शिव की भक्ति करने के लिए कन्नौज की सिद्ध पीठ बाबा गौरी शंकर मंदिर लोग दूर-दूर से आते हैं क्योंकि इस मंदिर की ऐसी मानता है कि यहां जो भी भक्त मन्नत मांगता है उसकी मन्नत पूरी होती है । सावन महीने के दूसरे सोमवार को इत्र नगरी कन्नौज के सिद्धपीठ बाबा गौरी शंकर मंदिर में देर शाम तक दर्शन को लेकर भक्तों की लंबी कतारें लगी रही । इस दौरान मंदिर परिसर में कलाकारों द्वारा बाबा गौरी शंकर मंदिर को ना सिर्फ बिजली की झालरों से सजाया गया, बल्कि फूलों की लड़ियों से मंदिर को भव्य और आकर्षक स्वरूप भी प्रदान किया गया । मंदिर को सजाने के लिए अलग-अलग प्रजातियों के फूल मंगवाए गए और सजावट में उनकी पत्तियों का भी खासा इस्तेमाल किया गया विशेष प्रकार के फूलों को छोड़कर सजावट के काम में लाया गया, जिसके चलते बाबा गौरी शंकर मंदिर परिसर में दूसरे प्रांत से लाए गए फूल भी अद्भुत छटा बिखेरते नजर आए बाबा गौरी शंकर मंदिर का भव्य श्रृंगार आकर्षक का केंद्र बना रहा।


Conclusion:सोमवार को सुबह होते ही हर हर महादेव और भोलेनाथ के जयकारों की गूंज सुनाने लगी । भक्त शिवलिंग का जलाभिषेक कर पूजा-अर्चना कर रहे थे, इसके साथ ही भक्तों की भीड़ को देखते हुए सावन के दूसरे सोमवार को भी पुलिस प्रशासन चौकन्ना रहा। सिद्धपीठ मंदिरो के अलावा कई शिव मंदिरों में सुरक्षा व्यवस्था के चलते पुलिसकर्मी तैनात रहे । सावन माह को लेकर कांवरियों में खासा उत्साह देखने को मिलता है, जिसके चलते शिवभक्त कांवरियों ने बाबा गौरी शंकर मंदिर में आकर बाबा की चौखट पर माथा टेका और भगवान शंकर के शिवलिंग के दर्शन के लिए लाइन में खड़े हो गए । सुबह से ही भक्तों की भीड़ को देखते हुए शिव भक्तों की दोपहर तक लंबी कतारें लगी रही। कुछ श्रद्धालु दूर से आए दर्शन की अभिलाषा लिए दोपहर तक दर्शन करने के लिए रुके रहे। जिससे भक्तों को दोपहर बाद भगवान शंकर के मंदिर के पट खुलने का इंतजार करना पड़ा। दूर दूर से आए भक्त मन में भगवान शंकर की भक्ति से ओतप्रोत थे और सावन महीने में भगवान शंकर की भक्ति का गुणगान कर रहे थे। भक्तों का कहना था कि सावन में शिव की भक्ति का जो आनंद मिलता है उसकी बात ही निराली है।

वन टू वन- रिपोर्टर पंकज श्रीवास्तव और श्रद्धालु

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