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कन्नौज की बेटी बनी पेश किया मिसाल, यूनीसेफ ने भी दिया सम्मान

घर की बेड़ियां तोड़कर काव्या ने स्वच्छता की ओर ऐसा कदम बढ़ाया जो सामाजिक बदलाव के लिए मील का पत्थर साबित हुआ. काव्या ने न केवल अपने गांव को खुले में शौच मुक्त कराया बल्कि जिले को खुले में शौच मुक्त कराने में बड़ी भूमिका निभाई.

कन्नौज की बेटी काव्या सिंह.
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Published : Mar 16, 2019, 12:23 PM IST

कन्नौज: कहते हैं कि कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प से कुछ भी हासिल किया जा सकता है. ऐसा ही कुछ कर दिखाया है कन्नौज के अति पिछड़े गांव की रहने वाली काव्या सिंह ने. महज 24 साल की उम्र में काव्या सिंह आज लोगों के लिए मिसाल बन चुकी हैं.

देखें विशेष रिपोर्ट.

काव्या कहती हैं कि जब उन्होंने स्वच्छ भारत अभियान के बारे में सुना तो सबसे पहले अपने गांव खरगपुर को स्वच्छ बनाने की ठानी. घर-घर जाकर उन्होंने लोगों को खुले में शौच करने के नुकसान बताए. स्कूलों में बच्चों को स्वच्छता का पाठ पढ़ाया. काव्या की मेहनत रंग लाई और उन्होंने अपने गांव को खुले में शौच मुक्त करा दिया. काव्या के पांव यहीं नहीं रुके इसके बाद उन्होंने अपने विकासखंड को खुले में शौच मुक्त कराने में अहम भूमिका निभाई.

काव्या के अच्छे काम को देखते हुए उनको विश्व बैंक यूनिसेफ और पंचायती राज विभाग की ओर से प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया गया. काव्या का स्वच्छता सफर कन्नौज तक ही सीमित नहीं रहा. उन्होंने देश के कई राज्यों में जाकर स्वच्छता की अलख जगाई.

काव्या के लिए यह सफर आसान नहीं था. वह जब लोगों को स्वच्छता के लिए जागरुक करती थी तो लोग उनके ऊपर हंसते थे. इतना ही नहीं माता पिता भी उसके इस कार्य का विरोध करते थे, लेकिन काव्या ने हिम्मत नहीं हारी और लगातार लोगों को स्वच्छता का पाठ पढ़ाती गई. आज काव्या ने अपने गांव के साथ-साथ पूरे कन्नौज जिले का नाम भी रोशन कर दिया है.

कन्नौज: कहते हैं कि कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प से कुछ भी हासिल किया जा सकता है. ऐसा ही कुछ कर दिखाया है कन्नौज के अति पिछड़े गांव की रहने वाली काव्या सिंह ने. महज 24 साल की उम्र में काव्या सिंह आज लोगों के लिए मिसाल बन चुकी हैं.

देखें विशेष रिपोर्ट.

काव्या कहती हैं कि जब उन्होंने स्वच्छ भारत अभियान के बारे में सुना तो सबसे पहले अपने गांव खरगपुर को स्वच्छ बनाने की ठानी. घर-घर जाकर उन्होंने लोगों को खुले में शौच करने के नुकसान बताए. स्कूलों में बच्चों को स्वच्छता का पाठ पढ़ाया. काव्या की मेहनत रंग लाई और उन्होंने अपने गांव को खुले में शौच मुक्त करा दिया. काव्या के पांव यहीं नहीं रुके इसके बाद उन्होंने अपने विकासखंड को खुले में शौच मुक्त कराने में अहम भूमिका निभाई.

काव्या के अच्छे काम को देखते हुए उनको विश्व बैंक यूनिसेफ और पंचायती राज विभाग की ओर से प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया गया. काव्या का स्वच्छता सफर कन्नौज तक ही सीमित नहीं रहा. उन्होंने देश के कई राज्यों में जाकर स्वच्छता की अलख जगाई.

काव्या के लिए यह सफर आसान नहीं था. वह जब लोगों को स्वच्छता के लिए जागरुक करती थी तो लोग उनके ऊपर हंसते थे. इतना ही नहीं माता पिता भी उसके इस कार्य का विरोध करते थे, लेकिन काव्या ने हिम्मत नहीं हारी और लगातार लोगों को स्वच्छता का पाठ पढ़ाती गई. आज काव्या ने अपने गांव के साथ-साथ पूरे कन्नौज जिले का नाम भी रोशन कर दिया है.

Intro:गाँव की एक बेटी ने स्वच्छ भारत अभियान में किया ऐसा काम जो बन गयी एक मिशाल

कन्नौज। जिले के अतिपिछड़े इलाके स्तिथ एक छोटे से गाँव मे रहने वाली 24 वर्षीय काब्या सिंह ने घर की बेटियां को तोड़कर स्वच्छता की ओर ऐसा कदम बढ़ाया जो सामाजिक बदलाव के लिए मील का पत्थर साबित हुआ है काव्या ना ना केवल अपने गांव को खुले में शौच मुक्त कराया बल्कि जिले को खुले में शौच मुक्त कराने में बड़ी भूमिका निभाई काव्या के बेहतर काम को देखते हुए विश्व बैंक यूनिसेफ और पंचायती राज विभाग की ओर से प्रमाण पत्र देकर सम्मानित भी किया गया साथ ही पंचायती राज विभाग ने स्वच्छ भारत अभियान के अंतर्गत मास्टर ट्रेनर भी बना दिया अब काव्या प्रदेश के अधिकांश जिलों मैं जा कर स्वच्छ भारत अभियान के प्रति लोगों को जागरूक कर रही है साथ ही कई प्रदेशों में भी जाकर उसने लोगों को जागरूक किया है


Body:काव्या सिंह ने बताया कि स्वच्छ भारत अभियान के बारे में उसने सुना था और सबसे पहले उसने अपने गांव खरगपुर को स्वच्छ बनाने की ठानी गांव को पहले स्वच्छ बनाया गांव में रहने वाले लोगों के घरों में जाकर खुले में शौच करने के नुकसान को बताया स्कूलों में जाकर छोटे-छोटे बच्चों को स्वच्छता का पाठ पढ़ाया। साथ ही हाथ धोकर खाना खाना सिखाया। काव्या की मेहनत गांव में रंग लाई और उसने गांव को पूरी तरह से स्वच्छ बनाते हुए खुले में शौच मुक्त करा दिया। काव्या ने गांव के साथ-साथ अपने विकासखंड को खुले में शौच मुक्त कराने में अहम भूमिका निभाई काव्य के अच्छे काम को देखते हुए उसको विश्व बैंक यूनिसेफ और पंचायती राज विभाग की ओर से प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया गया काव्या का स्वच्छता सफर कन्नौज तक ही सीमित नहीं रहा वह देश के कई राज्यों में जाकर उसने स्वच्छता की अलख जगाई । काब्या जब लोगों को स्वच्छता के लिए जागरुक करती थी तो लोग उसके ऊपर हंसते थे। इतना ही नहीं माता पिता भी उसके कार्य का विरोध करते थे लेकिन काव्या ने हिम्मत नहीं हारी और लगातार लोगों को स्वच्छता का पाठ पढ़ाती गई आज काव्या ने अपने गांव के साथ-साथ कन्नौज जिले का भी नाम रोशन किया है


Conclusion:नित्य मिश्रा
कन्नौज
7007834088

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