झांसी: विजयदशमी यानी बुराई पर अच्छाई की जीत का दिन. असत्य पर सत्य की विजय. आज ही के दिन मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम रावण का वध किया था. जिसके बाद लोगों ने घी के दीपक जलाए. भगवान के आगमन पर तमाम प्रथाओं का प्रचलन होना शुरु हुआ. कहीं दीप जालाए गए तो कहीं गीत गाए गए. रामलीला का मंचन भी हुआ. मगर विजयदशमी पर बुंदेलखंड में एक अलग ही परंपरा है, जहां लोग पान खाते हैं.
दरअसल, पान यानी बीड़ा खाने का रिवाज यहां बड़ा पुराना है. कहते हैं कि चंदेल वंश के शासक आल्हा उदल के समय से बीड़ा चबाने का रिवाज रहा है. यहां दशहरे में घर पर आए अतिथियों का पान-सुपारी खिलाकर स्वागत किया जाता है. झांसी में दशहरे के दिन पान खाने का अपना अलग ही महत्व है. युवाओं ने हमें बताया कि हमारे यहां खास तौर पर दशहरे के दिन पान खाने का अलग ही चलन है. हम भले ही साल भर पान से दूर रहें पर दशहरे के दिन हम परिवार के साथ पान जरूर खाते हैं, और हम से जो भी मिलने आता है उसको हम पान खिलाते भी हैं .
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पान का महत्व बताते हुए युवा ने बताया कि हमारे यहां कभी भी कोई शुभ कार्य में पान खाने का रिवाज है, दशहरे के दिन पान खाकर लोग असत्य पर सत्य की जीत की खुशी को व्यक्त करते हैं और यह बीड़ा उठाते हैं कि वह हमेशा सत्य के मार्ग को चलेंगे. जानकार कहते हैं कि पान का पत्ता मान और सम्मान का प्रतीक है, इसलिए हर शुभ कार्य में इसका उपयोग किया जाता है.
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क्यों खाए जाता है पान
बीड़ा शब्द का भी अपना विशेष महत्व है जिसे कर्तव्य के रूप में बुराई पर अच्छाई की जीत से जोड़कर देखा जाता है, नवरात्रि में 9 दिन के उपवास करने पर पाचन क्रिया प्रभावित होती है, पान खाने से भोजन पचाने में आसानी होती है. दशहरे पर पान खाने का एक कारण यह भी है इस समय मौसम में बदलाव होता है ऐसे में स्वास्थ्य के लिए पान अच्छा होता है.