झांसीः झांसी में बीते दो माह में अचानक बिजली चोरी के रिकार्ड मुकदमे दर्ज किए गए हैं. दो महीने में बीते छह माह की तुलना में अधिक मुकदमे दर्ज किए गए. ये आंकड़े हैं बिजली चोरी निरोधक थाने के.
दरअसल, पावर कारपोरेशन की पहल पर सभी जिलों में बिजली चोरी निरोधक थाने स्थापित किए गए हैं. इनमें उत्तर प्रदेश पुलिस के स्टाफ को समायोजित किया गया है. झांसी में भी आईटीआई के पीछे पहाड़िया के पास बिजली चोरी निरोधक थाना बनाया गया है. इसमें स्टाफ तैनात हो गया और सारा काम ऑनलाइन शुरू हो गया. जिले के विद्युत नगरीय वितरण खंड प्रथम व द्वितीय ग्रामीण व मऊरानीपुर में कहीं भी बिजली चोरी का मामला सामने आता है, तो यहीं दर्ज किया जाता है.
थाना प्रभारी एसके सिंह ने बताया कि बिजली चोरों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के बाद शमन शुल्क व राजस्व वसूला जाता है. इसके भुगतान के बाद मुकदमे को खत्म कर दिया जाता है. उनके मुताबिक थाने में ज्यादातर मामले कटिया से बिजली चोरी, मीटर के पहले कट लगाकर बिजली चोरी, मीटर में गड़बड़ी कर बिजली के उपभोग और घरेलू कनेक्शन पर व्यावसायिक बिजली के इस्तेमाल के आते हैं.
बीते विधानसभा चुनाव की तैयारियों के चलते वर्ष 2021 में बकायेदारों पर ज्यादा सख्ती नहीं हो सकी. वर्ष 2021 में अक्टूबर में 114, नवंबर में 0, दिसम्बर में 01, वर्ष 2022 की जनवरी में 02, फरवरी में 01 एवं मार्च में 9 मुकदमे ही दर्ज किए गए. छह माह में कुल 127 मामले ही दर्ज हुए. योगी सरकार 2.0 के अस्तित्व में आते ही कार्रवाई तेज हो गई. अप्रैल में 515 और मई में 553 मुकदमे दर्ज किए गए. दो माह में कुल 1068 मुकदमे दर्ज किए गए. बीते छह माह की तुलना में यह रिकार्ड है. अक्टूबर 2021 से मई 2022 तक थाने में कुल 1195 मामले दर्ज किए जा चुके हैं. थाना प्रभारी के मुताबिक इन मुकदमों में कोई भी गिरफ्तारी नहीं की गई है, शमन शुल्क वसूल कर मुकदमा खत्म कर दिया गया.
थाने में स्टाफ कम, पानी को तरसते
थाने में थानाध्यक्ष समेत पांच उप निरीक्षक होने चाहिए लेकिन मौजूदा समय में थानाध्यक्ष के अलावा एक एसआई ही तैनात है. शेष 3 पद खाली है. इसी प्रकार हेड कांस्टेबल और कांस्टेबल की संख्या 21 होने चाहिए मगर यहां सिर्फ 11 हेड कांस्टेबल और 2 कांस्टेबल हैं. ऑपरेटर की संख्या 4 होनी चाहिए मगर हैं सिर्फ 2. पूरे जिले का लोड होने की वजह से भी यहां स्टाफ कम है. थाने में पेयजल समस्या भी है. यहां दूसरी जगहों से रोज पानी लाकर इस्तेमाल किया जाता है. थाने में न तो वाटर कूलर हैं और न ही हैंडपंप. यहीं नहीं थाने में बैटरी और इनवर्टर न होने की वजह से यहा लगे सोलर सिस्टम का पावर स्टोर नहीं हो पाता है इस वजह से अक्सर थाने में अंधेरा हो जाता है.
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