झांसी : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दोबारा पीएम बनने के मौके पर सागर गेट मोहल्ले में रहने वाले सुनील सब्बरवाल और उनकी पत्नी एकता सब्बरवाल ने संयुक्त रूप से अपना देहदान करने का एलान किया है. मेडिकल के छात्रों को शवों की कमी होने के कारण कई तरह के प्रयोगों में दिक्कत आती है. दम्पति का मानना है कि इससे अन्य लोग भी प्रेरित होंगे और देहदान के लिये आगे आएंगे.
- मेडिकल की पढ़ाई के दौरान शव के अंगों पर कई तरह के प्रयोग किये जाते हैं.
- दान में मिले शव को मेडिकल कालेज अपने पास रख लेता है और अंगों का अपनी जरूरत के मुताबिक उनका उपयोग करता है
- आमतौर पर मृतक के परिजन शव का अंतिम संस्कार कर देते हैं और धार्मिक मान्यताओं के कारण उसे दान में देने से परहेज करते हैं
"एक बार वह मेडिकल कॉलेज में इलाज कराने गए थे. उन्हें वहां पता चला कि शव की कमी के कारण स्टूडेंट्स को प्रयोग करने में दिक्कत आती है. तभी मन में विचार आया कि हम देहदान करेंगे. अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश के फिर से प्रधानमंत्री बने हैं, जो देश के लिए बिना रुके और थके काम कर रहे हैं. इस अवसर पर हम कुछ बड़ा तो नहीं कर सकते, लेकिन देहदान के अपने विचार को पूरा करने का निर्णय लिया है."
-सुनील सब्बरवाल - देहदान करने वाले व्यक्ति