झांसी: त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की सरगर्मियां शुरू हो गई हैं. पंचायतों का कार्यकाल खत्म हो चुका है और मतदाता व प्रत्याशी दोनों की ही निगाहें चुनाव की संभावित तारीखों पर हैं. इन सबके बीच ETV भारत ने झांसी के रक्सा पुनावली गांव पहुंच कर न सिर्फ गांव में हुए विकास कार्यो का जायजा लिया बल्कि ग्रामीणों के मन टटोलने की कोशिश की. जहां ग्रामीणों ने जिला पंचायत के पिछले कार्यकाल, बिजली, सड़क, पानी, स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि जैसे विषयों पर अपनी राय रखी.
ETV भारत से बातचीत में ग्रामीण धनीराम पाल ने कहा, 'किसानों को खाद काफी महंगा खरीदना पड़ रहा है. माल लेकर मंडी गए, तो मनमाने रेट पर खरीद लिया जाता है. लेवी पर डालो, तो दो महीने तक ट्रैक्टर खड़ा रहता है, नम्बर ही नहीं आता. वोट किसी न किसी को तो देना ही है. जैसी हवा चलेगी, उस हिसाब से वोट दे देंगे.'
ग्रामीण पवन कुमार ने बताया, 'यहां पीने के पानी की काफी समस्या है. यहां पानी के लिए व्यवस्था नहीं बनाई गई. पानी भरने के लिए दूर-दूर जाना पड़ता है. कहीं आधा किलोमीटर, तो कहीं एक किलोमीटर. कुएं और हैंडपंप काफी दूर लगे हुए हैं.'
गांव के रहने वाले मनोहर लाल ने कहा, 'गांव में कई तरह के काम हुए हैं, फर्श का काम करवाया है. कुछ लोगों के शौचालय बनवाये गए हैं. कुछ लोगों का बनना अभी बाकी है. नाली, सड़क और पानी की समस्या पर काम होना चाहिए. गांव में मीठा पानी नहीं है, खारा पानी है.'
पंचायतों ने अपने मतलब के लोगों का किया काम
गांव के रहने वाले कुलदीप विश्वकर्मा ने बताया, 'पंचायतों ने काम तो ठीक किया, लेकिन अपने मतलब के लोगों का किया. यहां की नाली पांच साल में एक बार भी साफ नहीं हुई. गांव में 50 प्रतिशत लोग अभी भी शौचालय से वंचित हैं. गांव में प्राइवेट नल के कनेक्शन हैं, जो कभी बंद हो जाते हैं तो कभी चालू हो जाते हैं. टंकी बनी है, उस पर अवैध कब्जा हो रहा है.'
स्थानीय निवासी चतुर सिंह ने बताया, 'गांव में सारे काम हो चुके हैं, केवल सड़क की दिक्कत है. सड़क पर काफी गड्ढे हैं, इन्हें थोड़ा चौड़ा भी होना चाहिए. यह सड़क अम्बाबाय तक जाती है. हम चाहते हैं कि सड़क सही हो और गांव में सुविधाएं बेहतर की जाएं. स्थानीय निवासी गुलाई बताया कि गांव में गौशाला में चादर, हौदी और पानी का साधन नहीं है, इसकी पूरी व्यवस्था होनी चाहिए.'
स्थानीय निवासी कप्तान राजपूत ने कहा, 'जिन सरकारी जमीनों पर कब्जा है, उन्हें कब्जामुक्त किया जाए. इस क्षेत्र में यह समस्या काफी है. जिम्मेदार लोगों को इस बात से अवगत कराया गया लेकिन कुछ कार्रवाई नहीं हुई.'
बच्चों को स्कूल और पानी की समस्या
गांव के हरदयाल ने कहा, 'आखिरी छोर पर एक स्कूल बनना चाहिए. यहां 25-30 बच्चे हैं, जिन्हें कीचड़ में होकर स्कूल जाना पड़ता है. वहां तक सड़क की भी व्यवस्था नहीं है. प्राइमरी विद्यालय भी बन जाये तो ठीक है. बड़े होने पर तो बच्चे दूर भी जा सकेंगे.'
गांव के धनीराम ने कहा, 'घर तक रोड़ अभी कच्चा है. तालाब का पानी 3 साल से खेत में भरा हुआ है, जिससे 5 एकड़ जमीन में खेती नहीं हो पा रही है. नहर का पानी पंप से खींचना पड़ता है, जिसके लिए डीजल महंगा पड़ता है.'
स्थानीय निवासी दशरथ प्रसाद विश्वकर्मा ने बताया, 'जब बारिश होती है, तो नदी पर बना रिपटा डूब जाता है. कई बार चार-पांच घंटे तक आवागमन बाधित हो जाता है. रिपटा ऊंचा हो जाए, तो आने जाने में कोई दिक्कत नहीं होगी. पांच-सात गांव के लोग इस रिपटे से होकर गुजरते हैं.'