झांसी : बुंदेली शैली में काम करने वाले चित्रकारों और बुन्देलखण्ड के लोक चित्रकारों को सरकारी स्तर पर संरक्षण देने के लिए अनूठी योजना तैयार की जा रही है. झांसी मण्डल के कमिश्नर डॉ. अजय शंकर पांडेय की पहल पर गठित कला संस्कृति समिति, झांसी में तीन दिनों का एक खास आयोजन करने जा रही है, जिसमें सौ चित्रकारों के दो सौ चित्रों को प्रदर्शित किया जाएगा. आयोजन के माध्यम से यह कोशिश होगी कि चित्रकारों की कलाकृतियां खरीदी जाएं और उन्हें सरकारी दफ्तरों की दीवारों पर लगाया जाए. इस पूरे आयोजन का मकसद है कि बुंदेली शैली की चित्रकारी के प्रचार-प्रसार के साथ ही चित्रकारों को सरकारी स्तर संरक्षण मिल सके और वे अपनी कलाकृतियों का उचित मूल्य भी हासिल कर सकें.
कला संस्कृति समिति के सदस्य डॉ. उमेश कुमार के मुताबिक बुन्देलखण्ड क्षेत्र की कला और संस्कृति के विकास के लिए गठित कला संस्कृति समिति, झांसी के राजकीय संग्रहालय में 24, 25 और 26 अगस्त को तीन दिवसीय बुंदेली कला प्रदर्शनी का आयोजन करने जा रही है. इस प्रदर्शनी को 'पहल - परंपरा, हुनर और लोककला' का नाम दिया गया है. इसके माध्यम से बुन्देलखण्ड की लोककला को आम जनमानस के सामने रखना, लोककला को बढ़ावा देना और कलाकारों को मंच प्रदान करने की कोशिश होगी. युवाओं को बुन्देलखण्ड की लोककला से परिचित कराने और उनमें रुचि उत्पन्न करने की कोशिश की जाएगी. एक चित्रकार की दो कलाकृति प्रदर्शित होगी और सौ चयनित कलाकारों के दो सौ चित्रों की प्रदर्शनी लगेगी.
परंपरा, हुनर और लोककला का संगम
बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय के ललित कला संस्थान की असिस्टेंट प्रोफेसर और कला प्रदर्शनी की संयोजक डॉ. श्वेता पांडेय ने बताया कि प्रदर्शनी के लिए कलाकारों से सिर्फ बुंदेली शैली की कृतियां ही स्वीकार की जाएंगी. एक चित्रकार की दो कलाकृति स्वीकार की जाएगी. पहल नाम से तीन दिनों की चित्रकला प्रदर्शनी आयोजित होगी. यह प्रयास बुन्देलखण्ड की कला शैली को विकसित करेगा और इसको जनमानस तक पहुंचाया जाएगा. हमने इसका शीर्षक ही 'पहल - परम्परा, हुनर और लोककला' रखा है. इस पूरी प्रदर्शनी का हमारा उद्द्येश्य यह है कि बुंदेली कला शैली का प्रतिनिधित्व करने वाले कलाकारों को एक मंच दिया जाए, जिससे वे इस शैली को और आगे ले जा सकें.
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