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न प्रयागराज न मिर्जापुर हमें चाहिए अखंड बुंदेलखंड: बुंदेलखंड निर्माण मोर्चा

उत्तर प्रदेश के बंटवारे की चर्चाओं के बीच अलग बुंदेलखंड राज्य की मांग एक बार फिर जोर पकड़ रही है. बुंदेलखंड निर्माण मोर्चा के अध्यक्ष भानू सहाय ने कहा कि हमें न प्रयागराज न मिर्जापुर चाहिए. हम अखंड बुंदेलखंड चाहते हैं और उसे लेकर रहेंगे.

बुंदेलखंड निर्माण मोर्चा
बुंदेलखंड निर्माण मोर्चा
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Published : Jun 21, 2021, 1:48 PM IST

झांसी: उत्तर प्रदेश के बंटवारे को लेकर मचे सियासी बवाल को शांत करने के उद्देश्य से डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या ने भले ही बयान जारी कर दिया हो लेकिन अलग राज्य की मांग करने वाले संगठन फिर से सक्रिय हो गए हैं. अलग बुंदेलखंड राज्य की मांग कर रहे संगठनों ने सोमवार को सरकार को भारी नुकसान चुकाने की चेतावनी दी है.

बुंदेलखंड निर्माण मोर्चा के अध्यक्ष भानू सहाय ने तो यहां तक कह दिया है कि एक संस्कृति वाले जिलों को लेकर हमें अलग कर दिया जाए.सरकार बेवजह हमारे उपर एक राज्य को थोप रही है. यह हमें मंजूर नहीं है.

बुंदेलखंड निर्माण मोर्चा ने उठाई अलग बुंदेलखंड राज्य की मांग

सियासी गलियारों में उत्तर प्रदेश के बंटवारे और पृथक बुंदेलखंड राज्य निर्माण से जुड़ी कई अपुष्ट खबरों और चर्चाओं ने राज्य आंदोलनकारियों के भीतर एक उम्मीद की किरण जगा दी है. पृथक राज्यों के निर्माण को लेकर चल रही चर्चाएं भले ही निराधार बताई जा रही हों, लेकिन एक बात तय है कि आगामी विधानसभा चुनाव में पृथक राज्य का मुद्दा और अधिक जोर पकड़ेगा. बुन्देलखण्ड राज्य आंदोलनकारियों का कहना है कि अखंड बुन्देलखण्ड को लेकर सरकारों और सियासी दलों पर दवाब बनाने की रणनीति के तहत वे चुनाव से पहले सभी दलों से इस मसले पर राय साफ करने को कहेंगे.


बुंदेलखंड निर्माण मोर्चा के केंद्रीय अध्यक्ष भानू सहाय कहते हैं कि आंदोलनकारी अखंड बुंदेलखंड चाहते हैं, जिनमें उत्तर प्रदेश के सात जिले, मध्य प्रदेश के सात जिले और आठ अन्य तहसीलें शामिल हैं. मिर्जापुर, कानपुर और प्रयाग की न तो हमसे संस्कृति मिलती है, न रहन-सहन और न ही भाषा. यदि सरकार जबरदस्ती का थोपे जाने वाला काम सरकार करना चाहती है तो उसका मुखर विरोध होगा. उन्होंने कहा कि जब आजादी मिली थी तो 12 मार्च 1948 को बुंदेलखंड राज्य बनाया गया था. कामता प्रसाद सक्सेना इसके मुख्यमंत्री बने थे और नौगांव इसकी राजधानी थी. हम कोई नया राज्य नहीं चाहते. जिस राज्य को उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में बांटकर लहतम कर दिया गया, उसे हम वापस चाहते हैं.


सामाजिक कार्यकर्ता डॉ संजय सिंह बताते हैं कि बुंदेलखंड के हर नागरिक में इस समय राज्य निर्माण को लेकर बहुत उत्सुकता है. चुनाव से कुछ समय पहले इस विषय पर चर्चा सरकारों का वोट लेने का तरीका भी हो सकता है. हर बार जब बुंदेलखंड और लोकसभा के चुनाव सामने आते हैं तो बुंदेलखंड राज्य की चर्चा पीक पर होती है. जैसे ही चुनाव खत्म होते हैं, यह चर्चा समाप्त और शांत हो जाती है. यह एक शिगूफा हो सकता है लेकिन देर-सवेर बुंदेलखंड का विकास तभी हो सकता है जब पृथक राज्य निर्माण किया जाए. यदि सरकार के मन में थोड़ी भी संवेदना है तो उसे अविलंब राज्य का निर्माण करे.

झांसी: उत्तर प्रदेश के बंटवारे को लेकर मचे सियासी बवाल को शांत करने के उद्देश्य से डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या ने भले ही बयान जारी कर दिया हो लेकिन अलग राज्य की मांग करने वाले संगठन फिर से सक्रिय हो गए हैं. अलग बुंदेलखंड राज्य की मांग कर रहे संगठनों ने सोमवार को सरकार को भारी नुकसान चुकाने की चेतावनी दी है.

बुंदेलखंड निर्माण मोर्चा के अध्यक्ष भानू सहाय ने तो यहां तक कह दिया है कि एक संस्कृति वाले जिलों को लेकर हमें अलग कर दिया जाए.सरकार बेवजह हमारे उपर एक राज्य को थोप रही है. यह हमें मंजूर नहीं है.

बुंदेलखंड निर्माण मोर्चा ने उठाई अलग बुंदेलखंड राज्य की मांग

सियासी गलियारों में उत्तर प्रदेश के बंटवारे और पृथक बुंदेलखंड राज्य निर्माण से जुड़ी कई अपुष्ट खबरों और चर्चाओं ने राज्य आंदोलनकारियों के भीतर एक उम्मीद की किरण जगा दी है. पृथक राज्यों के निर्माण को लेकर चल रही चर्चाएं भले ही निराधार बताई जा रही हों, लेकिन एक बात तय है कि आगामी विधानसभा चुनाव में पृथक राज्य का मुद्दा और अधिक जोर पकड़ेगा. बुन्देलखण्ड राज्य आंदोलनकारियों का कहना है कि अखंड बुन्देलखण्ड को लेकर सरकारों और सियासी दलों पर दवाब बनाने की रणनीति के तहत वे चुनाव से पहले सभी दलों से इस मसले पर राय साफ करने को कहेंगे.


बुंदेलखंड निर्माण मोर्चा के केंद्रीय अध्यक्ष भानू सहाय कहते हैं कि आंदोलनकारी अखंड बुंदेलखंड चाहते हैं, जिनमें उत्तर प्रदेश के सात जिले, मध्य प्रदेश के सात जिले और आठ अन्य तहसीलें शामिल हैं. मिर्जापुर, कानपुर और प्रयाग की न तो हमसे संस्कृति मिलती है, न रहन-सहन और न ही भाषा. यदि सरकार जबरदस्ती का थोपे जाने वाला काम सरकार करना चाहती है तो उसका मुखर विरोध होगा. उन्होंने कहा कि जब आजादी मिली थी तो 12 मार्च 1948 को बुंदेलखंड राज्य बनाया गया था. कामता प्रसाद सक्सेना इसके मुख्यमंत्री बने थे और नौगांव इसकी राजधानी थी. हम कोई नया राज्य नहीं चाहते. जिस राज्य को उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में बांटकर लहतम कर दिया गया, उसे हम वापस चाहते हैं.


सामाजिक कार्यकर्ता डॉ संजय सिंह बताते हैं कि बुंदेलखंड के हर नागरिक में इस समय राज्य निर्माण को लेकर बहुत उत्सुकता है. चुनाव से कुछ समय पहले इस विषय पर चर्चा सरकारों का वोट लेने का तरीका भी हो सकता है. हर बार जब बुंदेलखंड और लोकसभा के चुनाव सामने आते हैं तो बुंदेलखंड राज्य की चर्चा पीक पर होती है. जैसे ही चुनाव खत्म होते हैं, यह चर्चा समाप्त और शांत हो जाती है. यह एक शिगूफा हो सकता है लेकिन देर-सवेर बुंदेलखंड का विकास तभी हो सकता है जब पृथक राज्य निर्माण किया जाए. यदि सरकार के मन में थोड़ी भी संवेदना है तो उसे अविलंब राज्य का निर्माण करे.

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