लखनऊ : विधानसभा सत्र के दूसरे दिन दौरान बुधवार को ऊर्जा विभाग को लेकर प्रश्नकाल के दौरान विधायकों ने ऊर्जा मंत्री से सवाल किए. सत्र के दौरान ऊर्जा मंत्री ने भी सवालों के जवाब दिये. विधानसभा सत्र के दौरान विधायक सचिन सिंह यादव और विधायक संग्राम सिंह यादव ने गलत बिल देने के लिए मीटर रीडर्स को जिम्मेदार ठहराया. बिजली विभाग के कर्मचारियों को दोषी माना और विजिलेंस की कार्रवाई पर भी सवाल खड़े किए.
विद्युत बिल में गड़बड़ी की शिकायतों के मिलने के बाद हमने वित्तीय वर्ष 2024-25 में 3394 मीटर रीडरों की सेवाएं समाप्त की हैं, 28 लोगों के ऊपर FIR किया गया है एवं 85 नियमित कर्मचारियों के ऊपर भी दण्डात्मक कार्यवाही की गई है।
— A K Sharma (@aksharmaBharat) February 19, 2025
सभी का सहयोग रहेगा तो विद्युत विभाग को हम इस स्थिति से… pic.twitter.com/5jDd6xLRM2
ऊर्जा मंत्री ने सवालों के दिये जवाब : इस दौरान उन्होंने ऊर्जा मंत्री से सवाल किया कि क्या गलत रीडिंग देने वाले मीटर रीडर पर कार्रवाई की कोई योजना है? जिस तरह से विजिलेंस टीम के अधिकारी लगातार कार्रवाई कर रहे हैं और उसके बाद सामने आता है कि कार्रवाई पैसे ऐंठने के लिए की जाती है तो इस पर लगाम लगाने की कोई ठोस योजना है? उत्तर प्रदेश के ऊर्जा मंत्री अरविंद कुमार शर्मा ने विधायकों के सवालों के जवाब दिए.
'28 कार्मिकों के खिलाफ कार्रवाई' : ऊर्जा मंत्री अरविंद कुमार शर्मा ने बताया कि उपभोक्ताओं के बिलों में गड़बड़ी करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की गई है. अब तक गलत बिल देने वाले 3394 मीटर रीडरों की सेवाएं समाप्त की जा चुकी हैं. जो भी मीटर रीडर ऐसा करते हैं उनकी शिकायत आते ही उनकी सेवाएं समाप्त कर दी जाती हैं. उन्होंने बताया कि 28 कार्मिकों के खिलाफ कार्रवाई भी की गई है और 85 नियमित कर्मचारियों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की जा चुकी है.
'प्रदेश में ऐतिहासिक सुधार हुए' : उन्होंने कहा कि पिछली सरकारों की तुलना में विद्युतीकरण की दिशा में प्रदेश में ऐतिहासिक सुधार हुए हैं. प्रदेश में सपा सरकार के दौरान बिजली की सेहत बिल्कुल भी अच्छी नहीं थी. विपक्ष उड़ीसा की बिजली की बात करते हैं, लेकिन उन्होंने डेढ़ गुना से अधिक दर पर बिजली खरीद का उस समय एग्रीमेंट किया था, जो प्रदेश के लिए बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण रहा. वर्ष 2017 में सपा सरकार ने 1.42 लाख करोड़ रुपये का घाटा भाजपा सरकार को विरासत में दिया था, जिसे प्रदेश की भाजपा सरकार कम करने की कोशिश कर रही है.
1.21 लाख मजरों का विद्युतीकरण : उन्होंने कहा कि सपा सरकार ने डेढ़ लाख से अधिक मजरों का विद्युतीकरण भी नहीं किया था. प्रदेश सरकार इसमें से 1.21 लाख मजरों का विद्युतीकरण कर चुकी है. 19 से 20 हजार और मजरों का विद्युतीकरण होना बाकी है, जिसके लिए प्रयास किया जा रहा है. प्रदेश में आरडीएसएस योजना के तहत अभी तक 16 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा के कार्य कराए जा चुके हैं, जिसमें बिजली के जर्जर खंभे, तार, बांस-बल्ली में चल रही लाइनों को बदलने का कार्य किया गया. वित्तीय वर्ष 22-23 में पांच हजार करोड़ रुपये, 23-24 में भी पांच हजार करोड़ रुपये और 24-25 में भी पांच हजार करोड़ रुपये के कार्य कराए गए. पिछले दो वर्षों में 28 लाख 92 हजार 326 विद्युत पोल लगाने के लक्ष्य में अभी तक 26 लाख 38 हजार विद्युत पोल लगाए जा चुके हैं.
विपक्ष के आरोप निराधार : बिजली के निजीकरण के सवाल और बिजली के दाम बढ़ाने के आरोपों का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि विपक्ष का यह आरोप कि देश में जहां-जहां पर बिजली का निजीकरण हुआ है वहां पर दाम बढ़ गए हैं, निराधार है. विपक्ष को यह बात मालूम होना चाहिए कि निजीकरण के तहत जब एक कंपनी को नोएडा क्षेत्र का काम दिया गया, उस समय प्रदेश में राष्ट्रपति शासन था और यहां पर कांग्रेस की सरकार थी. उसके बाद प्रदेश में सपा की सरकार आई, लेकिन निजीकरण की प्रक्रिया को नहीं रोका गया, बल्कि उसे होने दिया गया.
10% बिजली की दरों में आई कमी : उन्होंने कहा कि इसका परिणाम यह रहा कि संपूर्ण नोएडा क्षेत्र में एनपीसीएल की दरों के कारण सभी प्रकार के उपभोक्ताओं के रेट में 10% बिजली की दरों में कमी आई. बीएसपी की सरकार के दौरान आगरा क्षेत्र में बिजली टोरेंट पॉवर को दिया गया. वर्ष 2012 में प्रदेश में सपा की सरकार आई फिर भी उन्होंने इस निजीकरण की प्रक्रिया को नहीं रोका. आगरा के उपभोक्ताओं को प्रदेश के अन्य क्षेत्र के उपभोक्ताओं की दर पर ही आज भी बिजली मिल रही है. निजीकरण के कारण कहीं पर भी बिजली दरों में बढ़ोतरी नहीं हुई. उन्होंने कहा कि सरकार जो भी कर रही है, इसमें कोई ईगो वाली बात नहीं है. जनता के हित में 24 घंटे गुणवत्तापूर्ण बिजली देने के लिए निजीकरण व पीपीपी मॉडल की प्रक्रिया को अपनाया जा रहा है.
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