झांसी: जिला अस्पताल परिसर में बना कोविड हेल्पडेस्क इन दिनों आवारा जानवरों का तबेला बन गया है. आलम यह है कि यहां आने वाले लोगों को जानकारी या मदद देने के लिए डॉक्टर या स्टाफ भले उपलब्ध न हो, लेकिन जानवरों का झुंड जरुर जमा रहता है. दरअसल पिछले कुछ दिनों से लगातार हो रही बारिश के कारण मिनर्वा चौराहे के आसपास भटकने वाले आवारा जानवर जिला अस्पताल परिसर में आकस्मिक वार्ड के सामने पहुंच जाते हैं. इसी स्थान पर कोविड हेल्प डेस्क के कई काउंटर बने हुए हैं. यहां दोपहर 2 बजे तक डॉक्टरों और स्टाफ की तैनाती रहती है, जो संभावित कोविड मरीजों को जानकारी देते हैं. कहने को तो ये कोविड हेल्पडेस्क है, लेकिन यहां दोपहर बाद सिर्फ जानवर ही डेरा डाले दिखाई देते हैं.
जिला अस्पताल परिसर में बने कोविड हेल्पडेस्क का नजारा किसी को भी हैरत में डाल सकता है. यहां कोविड हेल्प डेस्क गाय-भैसों का तबेला बना हुआ है. यह आलम तब है जब संभावित तीसरी लहर को लेकर सरकार दावे कर रही है कि सभी तरह के इंतजाम पूरे कर लिए गए हैं और अस्पतालों में सुविधाएं बढ़ाई जा रही हैं, लेकिन जिला अस्पताल की ये तस्वीरें बताती है कि यहां कोविड को लेकर किस तरह की उदासीनता है. अस्पताल प्रशासन कभी ऑक्सीजन की किल्लत तो कभी संसाधनों का रोना रोता रहता है, लेकिन जो संसाधन उपलब्ध हैं उनके उपयोग की तस्वीर देखकर कोई भी हैरत में पड़ जाए. बदइंतजामी का यह आलम उस अस्पताल का है, जहां जिले के जिम्मेदार अफसर अक्सर निरीक्षण करने पहुंच जाते हैं. जब यहां के हालात ऐसे हैं तो दूर-दराज के स्वास्थ्य केंद्रों की स्थिति का अनुमान आसानी से लगाया जा सकता है.
इस सम्बन्ध में मौके पर मौजूद जिला अस्पताल के एक कर्मचारी से जानकारी लेने की कोशिश की गई तो उसने बात करने और जानकारी देने से इनकार कर दिया. आकस्मिक वार्ड में तैनात चिकित्सा अधिकारी डॉ. कुलदीप यादव ने बताया कि इसको देखने के लिए कोई चौकीदार लगा होगा या फिर हम इलाज छोड़कर गेट पर खड़े रहें. इस हेल्पडेस्क का समय सुबह 8 बजे से दोपहर 2 बजे तक है. जो व्यवस्थाएं खराब हैं, उसके बारे में जानकारी सीएमएस ही दे सकेंगे.
इस बारे में ईटीवी भारत से फोन पर बात करते हुए सीएमएस डॉ. केके गुप्ता ने बताया कि बारिश के कारण जानवर घुस आए होंगे. कोविड हेल्पडेस्क पर लगातार काम हो रहा है. वह व्यवस्थाओं को ठीक कराएंगे, जिससे यहां जानवर न घुस सकें.