झांसी : लम्बे समय तक सूखा, बदहाली और पलायन जैसे मुद्दों को लेकर संघर्ष करने वाले किसानों ने अब चुनावी मैदान में उतरने का निर्णय लिया है. किसानों के लिये संघर्ष करने वाले एक ऐसे ही संगठन बुंदेलखड किसान पंचायत ने किसान रक्षा पार्टी के रूप में चुनावी मैदान में उतरने का फैसला किया है.
किसानों के मुद्दे पर सभी राजनीतिक दलों को धोखेबाज बताते हुए किसानों ने अल्प संसाधनों में चुनावी मैदान में उतरने का एलान किया है. चुनाव की तैयारी और पार्टी के एजेंडे को लेकर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष गौरी शंकर विदुआ ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की.
पार्टी गठन के उद्देश्य पर विदुआ कहते हैं कि अभी तक राजनीतिक दलों के लोग किसानों को अछूत मानते हैं. हमारी भूमिका तालियां बजाने में, नारे लगाने में और उनकी भीड़ बढ़ाने में रही है. यह भूमिका हम सहर्ष निभाते थे लेकिन आजादी के बाद से कोई भी नेता और कोई भी पार्टी हमसे किये गए वादों पर खरा नहीं उतरी. इसलिये हम लोगों को राजनीतिक पार्टी बनानी पड़ी, क्योंकि राजनीति इतनी ताकतवर हो गई है कि उसमें शामिल हुए बिना अपना हक हासिल कर पाना मुश्किल हो गया है.
वहीं गौरी शंकर विदुआ ने कहा कि किसानों के मूल मुद्दे जैसे सिंचाई, बीज, पानी, बिजली, बीमा क्लेम और अधिग्रहण जैसे मुद्दे उनकी पार्टी के मुख्य मुद्दे हैं. कई जगह भूमि अधिग्रहण का विवाद दशकों से बना हुआ है. हम केंद्र सरकार तक से गुहार लगा चुके हैं कि छुट्टा जानवर हमारी फसलें खराब कर देते हैं, बावजूद उसके कोई कार्रवाई नहीं हुई.
प्रत्याशी और संसाधन के सवाल पर विदुआ कहते हैं कि हम लंका पति रावण से लड़ने जा रहे हैं. हमारे पास न हथियार है, न सेना है, न संसाधन है. इसके बावजूद हौसले बुलंद है और जमीर जागा हुआ है. धनकुबेरों से लड़ेंगे तो उनका पैसा बहेगा, हमारा पसीना बहेगा. पार्टी ने बुन्देलखण्ड में तीन या चार प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतारने का निर्णय किया है.