झांसी: आज तक आपने इसानों के मारने पर तेरहवीं की प्रथा जरूर सुनी होगी. लेकिन क्या कभी सुना है कि कुत्ते के मारने पर तेरहवीं के साथ ही मृत्यु भोज का आयोजन हुआ? नहीं तो आपको बता दें कि कुछ ऐसा ही मामला यूपी के झांसी से सामने आया है. यहां एक शख्स को अपने कुत्ते से इतना प्यार था कि उसने कुत्ते के मरने पर बड़े ही धूमधाम से तेरहवीं कर मृत्यु भोज का आयोजन किया.
जानकारी के मुताबिक झांसी जिले के पूंछ में रहने वाले लाखन सिंह का एक पालतू कुत्ता जिसका नाम कालू था, जिसकी 9 मई को बीमारी के चलते मृत्यु हो गई थी. इससे वह बेहद उदास हो गए. लेकिन उन्होंने हिंदू रीति रिवाज के अनुसार कालू की तेरहवीं कर मृत्यु भोज का आयोजन किया, जिसमें उनके रिश्तेदारों सहित गांव के काफी लोग शामिल हुए.
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लाखन सिंह ने बताया की 21 साल पहले उन्होंने एक पुष्पांजलि विवाह घर खोला था. उसी दिन वह एक कुत्ते को अपने घर लेकर आए थे, जिसको उन्होंने बड़े लाड प्यार से पाला, 24 घंटे वह उनके साथ साए की तरह रहता था. लेकिन 9 मई को बीमारी के चलते उसकी मृत्यु हो गई, जिस पर उन्होंने जैसे एक मनुष्य का अंतिम संस्कार किया जाता है, उसी तरीके से उन्होंने अपने पालतू कुत्ते कालू का भी अंतिम संस्कार किया. साथ ही पूरे रीति रिवाज के साथ उसको बेतवा नदी में विसर्जित किया गया और फिर उनके दोनों पुत्रों ने अपने सिर के बाल भी मुंडवाये.
वहीं, आज रविवार को 13 दिन पूरे होने पर उसकी तेरहवीं भी मनाई गई, जिसमें मृत्यु भोज का भी आयोजन हुआ और उनके रिश्तेदारों सहित गांव के कई लोग शामिल हुए. लाखन सिंह ने बताया कि कुत्ते कालू के रहते हुए उन्हें घर में कभी किसी चौकीदार को रखने की आवश्यकता नहीं पड़ी.
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