झांसी: देश की आजादी की पहली लड़ाई के जीवंत दस्तावेज ऐतिहासिक झांसी के किले को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (Archaeological Survey of India) ने भले ही संरक्षित स्मारक घोषित कर दिया हो, लेकिन अतिक्रमणकारियों के सियासी रसूख और प्रशासन की उदासीनता के कारण इसका अस्तित्व खतरे में पड़ता दिख रहा है. इस किले के आस-पास हो रहे अवैध निर्माणों को रोकने के लिए एएसआई (Archaeological Survey of India) के स्थानीय अफसर प्रशासन को लगातार चिट्ठी लिखते रहे, लेकिन कागजों पर निर्माण रोकने की कार्रवाई होती रही और जमीन पर बहुमंजिला भवन बनकर तैयार हो गए. ईटीवी भारत के पास वे चिट्ठियां उपलब्ध हैं, जिसमें अफसरों को चिट्ठी लिखकर अवैध निर्माण रोके जाने की मांग की गई थी, लेकिन इन चिट्ठियों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई.
ASI ने झांसी के किले को घोषित किया है संरक्षिक धरोहर, फिर भी आसपास हो रहे अवैध निर्माण
यूपी के झांसी में ऐतिहासिक धरोहरों के पास धड़ल्ले से अवैध निर्माण चल रहा है. स्थानीय लोगों की माने तो प्रशासन से कई बार इसकी शिकायत की गई, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई. यहां तक की भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (Archaeological Survey of India) की चिट्ठी पर भी प्रशासन ने कोई कार्रवाई अभी तक नहीं की है.
झांसी: देश की आजादी की पहली लड़ाई के जीवंत दस्तावेज ऐतिहासिक झांसी के किले को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (Archaeological Survey of India) ने भले ही संरक्षित स्मारक घोषित कर दिया हो, लेकिन अतिक्रमणकारियों के सियासी रसूख और प्रशासन की उदासीनता के कारण इसका अस्तित्व खतरे में पड़ता दिख रहा है. इस किले के आस-पास हो रहे अवैध निर्माणों को रोकने के लिए एएसआई (Archaeological Survey of India) के स्थानीय अफसर प्रशासन को लगातार चिट्ठी लिखते रहे, लेकिन कागजों पर निर्माण रोकने की कार्रवाई होती रही और जमीन पर बहुमंजिला भवन बनकर तैयार हो गए. ईटीवी भारत के पास वे चिट्ठियां उपलब्ध हैं, जिसमें अफसरों को चिट्ठी लिखकर अवैध निर्माण रोके जाने की मांग की गई थी, लेकिन इन चिट्ठियों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई.