जौनपुर: गांव में लोग मिट्टी के तेल के लिए राशन की दुकानों पर लंबी लाइनों में घंटों खड़े रहते थे, लेकिन अब यह गुजरे जमाने की बात हो चली है. सरकार द्वारा ग्रामीणों को उज्जवला गैस योजना और बिजली की 18 घंटे की आपूर्ति के बाद मिट्टी के तेल की बिक्री में भारी गिरावट आई है. मिट्टी के तेल की खपत कम होने से सरकारी राजस्व को काफी फायदा पहुंचा है, क्योंकि इस पर काफी बड़ी मात्रा में लोगों को सब्सिडी दी जा रही थी.
85 फीसदी तक गिरावट
राशन की दुकानों पर कभी मिट्टी के तेल को लेने के लिए ग्रामीण को लंबी लाइन में लगना पड़ता था, लेकिन अब इन दुकानों पर मिट्टी के तेल को लेने वाले लोग नहीं बचे हैं. 2 साल के भीतर जौनपुर में 80 से 85 फीसदी तक मिट्टी के तेल की मांग में गिरावट आई है. वहीं मिट्टी के तेल की गिरावट के पीछे सरकार की उज्जवला गैस योजना और बिजली की आपूर्ति बड़ी वजह बताई जा रही है.
उज्जवला योजना और 18 घंटे बिजली
गरीबों के घर में उज्जवला गैस योजना के तहत रसोई गैस पहुंच गई है. वहीं अब गांव में भी बिजली की 18 घंटे की आपूर्ति हो रही है, जिसकी वजह से मिट्टी की तेल की अनिवार्यता अब खत्म हो गई है. ग्रामीण अब मिट्टी के तेल को बहुत ही कम इस्तेमाल में लाते हैं. इसकी मांग की गिरावट से जहां सरकार को काफी फायदा हो रहा है, क्योंकि मिट्टी के तेल पर सरकार के द्वारा काफी बड़ी सब्सिडी भी दी जा रही थी.
मिट्टी के तेल की जरूरत
ग्रामीण विशाल यादव बताते हैं कि पिछले दो सालों से उन्होंने मिट्टी का तेल नहीं लिया है, क्योंकि अब उन्हें इसकी जरूरत नहीं है. बिजली की अच्छी आपूर्ति की वजह से अब मिट्टी का तेल लेने की जरूरत नहीं पड़ती है. केवल सर्दी में अलाव जलाने में ही मिट्टी का तेल उपयोग में आता है.
सरकारी राजस्व को फायदा
जिला खाद्य एवं आपूर्ति अधिकारी अजय प्रताप सिंह ने बताया कि जनपद में 2 सालों के भीतर मिट्टी के तेल की मांग में 80 से 50 फीसदी तक गिरावट आई है. वहीं इसके पीछे उज्जवला गैस योजना और बिजली की अच्छी आपूर्ति है. जिन उपभोक्ता के पास बिजली का कनेक्शन और उज्जवला गैस का कनेक्शन दोनों है. उन्हें मिट्टी के तेल की आपूर्ति बंद कर दी गई है. इसकी वजह से सरकारी राजस्व में काफी फायदा पहुंचा है.
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