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उज्जवला गैस योजना का असर, केरोसिन तेल की मांग में आई 85 फीसदी गिरावट - जौनपुर ताजा समाचार

राशन की दुकानों से अब केरोसिन तेल की मांग में भारी गिरावट आई है. जिले में पिछले 2 सालों के भीतर यह गिरावट 80 से 85 फीसदी तक आई है, जिसके पीछे सरकार की उज्जवला गैस योजना और बिजली की आपूर्ति बड़ी वजह है.

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उज्जवला गैस योजना का असर.
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Published : Dec 26, 2019, 4:50 PM IST

जौनपुर: गांव में लोग मिट्टी के तेल के लिए राशन की दुकानों पर लंबी लाइनों में घंटों खड़े रहते थे, लेकिन अब यह गुजरे जमाने की बात हो चली है. सरकार द्वारा ग्रामीणों को उज्जवला गैस योजना और बिजली की 18 घंटे की आपूर्ति के बाद मिट्टी के तेल की बिक्री में भारी गिरावट आई है. मिट्टी के तेल की खपत कम होने से सरकारी राजस्व को काफी फायदा पहुंचा है, क्योंकि इस पर काफी बड़ी मात्रा में लोगों को सब्सिडी दी जा रही थी.

केरोसिन तेल की मांग में भारी गिरावट.

85 फीसदी तक गिरावट
राशन की दुकानों पर कभी मिट्टी के तेल को लेने के लिए ग्रामीण को लंबी लाइन में लगना पड़ता था, लेकिन अब इन दुकानों पर मिट्टी के तेल को लेने वाले लोग नहीं बचे हैं. 2 साल के भीतर जौनपुर में 80 से 85 फीसदी तक मिट्टी के तेल की मांग में गिरावट आई है. वहीं मिट्टी के तेल की गिरावट के पीछे सरकार की उज्जवला गैस योजना और बिजली की आपूर्ति बड़ी वजह बताई जा रही है.

उज्जवला योजना और 18 घंटे बिजली
गरीबों के घर में उज्जवला गैस योजना के तहत रसोई गैस पहुंच गई है. वहीं अब गांव में भी बिजली की 18 घंटे की आपूर्ति हो रही है, जिसकी वजह से मिट्टी की तेल की अनिवार्यता अब खत्म हो गई है. ग्रामीण अब मिट्टी के तेल को बहुत ही कम इस्तेमाल में लाते हैं. इसकी मांग की गिरावट से जहां सरकार को काफी फायदा हो रहा है, क्योंकि मिट्टी के तेल पर सरकार के द्वारा काफी बड़ी सब्सिडी भी दी जा रही थी.

मिट्टी के तेल की जरूरत
ग्रामीण विशाल यादव बताते हैं कि पिछले दो सालों से उन्होंने मिट्टी का तेल नहीं लिया है, क्योंकि अब उन्हें इसकी जरूरत नहीं है. बिजली की अच्छी आपूर्ति की वजह से अब मिट्टी का तेल लेने की जरूरत नहीं पड़ती है. केवल सर्दी में अलाव जलाने में ही मिट्टी का तेल उपयोग में आता है.

सरकारी राजस्व को फायदा
जिला खाद्य एवं आपूर्ति अधिकारी अजय प्रताप सिंह ने बताया कि जनपद में 2 सालों के भीतर मिट्टी के तेल की मांग में 80 से 50 फीसदी तक गिरावट आई है. वहीं इसके पीछे उज्जवला गैस योजना और बिजली की अच्छी आपूर्ति है. जिन उपभोक्ता के पास बिजली का कनेक्शन और उज्जवला गैस का कनेक्शन दोनों है. उन्हें मिट्टी के तेल की आपूर्ति बंद कर दी गई है. इसकी वजह से सरकारी राजस्व में काफी फायदा पहुंचा है.

इसे भी पढ़ें:- जौनपुर: बीजेपी सांसद NRC और CAA पर कर रहे थे जागरूक, खुद थी आधी-अधूरी जानकारी

जौनपुर: गांव में लोग मिट्टी के तेल के लिए राशन की दुकानों पर लंबी लाइनों में घंटों खड़े रहते थे, लेकिन अब यह गुजरे जमाने की बात हो चली है. सरकार द्वारा ग्रामीणों को उज्जवला गैस योजना और बिजली की 18 घंटे की आपूर्ति के बाद मिट्टी के तेल की बिक्री में भारी गिरावट आई है. मिट्टी के तेल की खपत कम होने से सरकारी राजस्व को काफी फायदा पहुंचा है, क्योंकि इस पर काफी बड़ी मात्रा में लोगों को सब्सिडी दी जा रही थी.

केरोसिन तेल की मांग में भारी गिरावट.

85 फीसदी तक गिरावट
राशन की दुकानों पर कभी मिट्टी के तेल को लेने के लिए ग्रामीण को लंबी लाइन में लगना पड़ता था, लेकिन अब इन दुकानों पर मिट्टी के तेल को लेने वाले लोग नहीं बचे हैं. 2 साल के भीतर जौनपुर में 80 से 85 फीसदी तक मिट्टी के तेल की मांग में गिरावट आई है. वहीं मिट्टी के तेल की गिरावट के पीछे सरकार की उज्जवला गैस योजना और बिजली की आपूर्ति बड़ी वजह बताई जा रही है.

उज्जवला योजना और 18 घंटे बिजली
गरीबों के घर में उज्जवला गैस योजना के तहत रसोई गैस पहुंच गई है. वहीं अब गांव में भी बिजली की 18 घंटे की आपूर्ति हो रही है, जिसकी वजह से मिट्टी की तेल की अनिवार्यता अब खत्म हो गई है. ग्रामीण अब मिट्टी के तेल को बहुत ही कम इस्तेमाल में लाते हैं. इसकी मांग की गिरावट से जहां सरकार को काफी फायदा हो रहा है, क्योंकि मिट्टी के तेल पर सरकार के द्वारा काफी बड़ी सब्सिडी भी दी जा रही थी.

मिट्टी के तेल की जरूरत
ग्रामीण विशाल यादव बताते हैं कि पिछले दो सालों से उन्होंने मिट्टी का तेल नहीं लिया है, क्योंकि अब उन्हें इसकी जरूरत नहीं है. बिजली की अच्छी आपूर्ति की वजह से अब मिट्टी का तेल लेने की जरूरत नहीं पड़ती है. केवल सर्दी में अलाव जलाने में ही मिट्टी का तेल उपयोग में आता है.

सरकारी राजस्व को फायदा
जिला खाद्य एवं आपूर्ति अधिकारी अजय प्रताप सिंह ने बताया कि जनपद में 2 सालों के भीतर मिट्टी के तेल की मांग में 80 से 50 फीसदी तक गिरावट आई है. वहीं इसके पीछे उज्जवला गैस योजना और बिजली की अच्छी आपूर्ति है. जिन उपभोक्ता के पास बिजली का कनेक्शन और उज्जवला गैस का कनेक्शन दोनों है. उन्हें मिट्टी के तेल की आपूर्ति बंद कर दी गई है. इसकी वजह से सरकारी राजस्व में काफी फायदा पहुंचा है.

इसे भी पढ़ें:- जौनपुर: बीजेपी सांसद NRC और CAA पर कर रहे थे जागरूक, खुद थी आधी-अधूरी जानकारी

Intro:जौनपुर।। राशन की दुकानों से अब केरोसिन तेल की मांग में भारी गिरावट आई है। जौनपुर में पिछले 2 सालों के भीतर यह गिरावट 80 से 85 फ़ीसदी तक आई है ।जिसके पीछे सरकार की उज्जवला गैस योजना और बिजली की अच्छी आपूर्ति बड़ी वजह है । जहां गांव में पहले लोग मिट्टी के तेल के लिए राशन की दुकानों पर लाइनों में लगे रहते थे । लेकिन अब यह गुजरे जमाने की बात है। फर्जी राशन कार्ड रुक के चलती भी मिट्टी के तेल में भारी गिरावट आई है । गांव के अब केवल गरीब घरों में ही मिट्टी के तेल की मांग है क्योंकि आज भी गांव के कुछ घरों में लकड़ी और उपलों से खाना बनता है जिस को जलाने के लिए मिट्टी के तेल की जरूरत होती है । वही मिट्टी के तेल में गिरावट से जहां सरकारी राजस्व को काफी फायदा पहुंचा है क्योंकि इस पर काफी बड़ी मात्रा में सब्सिडी दी जा रही थी।


Body:वीओ।। राशन की दुकानों पर कभी मिट्टी के तेल को लेने के लिए ग्रामीण को लाइनों में लगना पड़ता था लेकिन अब इन दुकानों पर मिट्टी के तेल को लेने वाले लोग नहीं बचे हैं । 2 सालों के भीतर जौनपुर में 80 से 85 फीसदी तक मिट्टी के तेल की मांग में गिरावट आई है । वही मिट्टी के तेल की गिरावट के पीछे सरकार की उज्जवला गैस योजना और बिजली की अच्छी आपूर्ति बड़ी वजह है। जहां गरीबों के घर घर में उज्जवला गैस योजना के तहत रसोई गैस पहुंच गई है तो वहीं अब गांव में भी बिजली की 18 घंटे की आपूर्ति हो रही है। जिसकी वजह से मिट्टी की तेल की अनिवार्यता अब खत्म हो गई है। वहीं ग्रामीण अब मिट्टी के तेल को केवल कुछ जरूरतों में ही उपयोग करते हैं । वहीं इस मांग की गिरावट से जहां सरकार को काफी फायदा हो रहा है क्योंकि मिट्टी के तेल पर सरकार के द्वारा काफी बड़ी सब्सिडी भी दी जा रही थी।


Conclusion:ग्रामीण विशाल यादव बताते हैं कि पिछले दो ढाई सालों से उन्होंने मिट्टी का तेल नहीं लिया है क्योंकि अब उन्हें इसकी जरूरत नहीं है । बिजली की अच्छी आपूर्ति की वजह से अब मिट्टी के तेल लेने की जरूरत नहीं पड़ी है। वही ठंडी में केवल मिट्टी के तेल अलाव जलाने में ही उपयोग आता है।

बाइट- विशाल यादव -ग्रामीण

जिला खाद्य एवं आपूर्ति अधिकारी अजय प्रताप सिंह ने बताया कि जनपद में 2 सालों के भीतर मिट्टी के तेल की मांग में 80 से 50 फ़ीसदी तक गिरावट आई है। वहीं इसके पीछे उज्जवला गैस योजना और बिजली की अच्छी आपूर्ति है जिन उपभोक्ता के पास बिजली का कनेक्शन और उज्जवला गैस का कनेक्शन दोनों है उन्हें मिट्टी के तेल की आपूर्ति बंद कर दी गई है। इसकी वजह से सरकारी राजस्व में काफी फायदा पहुंचा है।

बाइट- अजय प्रताप सिंह- जिला खाद्य एवं आपूर्ति अधिकारी


पीटीसी


Dharmendra singh
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