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श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर हाथरस के बने झूलों में झूलेंगे गोपाल जी

हाथरस में कृष्णजन्माष्टी (shri krishna janmashtami festival) के लिए होली से लेकर रक्षाबंधन तक पालने (Krishna Janmashtami swings made in hathras) बनाए जाते हैं. इन पालनों की डिमांड देशभर में होती है.

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Published : Aug 18, 2022, 4:03 PM IST

हाथरस: कृष्णजन्माष्टी का त्यौहार (shri krishna janmashtami festival) आने वाला है और जनपद में इसी को लेकर तैयारियों तेज हो गई है. जन्मष्टमी पर भगवान कृष्ण को झुलाने के लिए बड़े स्तर पर जिले में पालने (झूले) तैयार किए गए हैं. इन पालनों की देशभर में बिक्री की जाती है. श्रद्धालु इन पालनों को खरीदकर जन्माष्टमी पर कान्हा झुलाते हैं. जिले में होली से लेकर रक्षाबंधन तक पालने (Krishna Janmashtami swings made in hathras) बनाए जाते हैं.

हाथरस के बने झूलों में झूलेंगे गोपाल जी


भगवान श्री कृष्ण (lord shree krishna) का जन्म मथुरा में हुआ था, लेकिन हाथरस बृज की देहरी कहलाता है. इसलिए यहां के लोगों में भगवान श्री कृष्ण के प्रति काफी आस्था है. जन्माष्टमी पर जिस झूले (पालने) में भगवान श्रीकृष्ण को झुलाया जाता है. वह झूले हाथरस में तैयार किए जाते हैं. इस बार भी इन झूलों (पालनों) को बनाने का काम हुआ है, जो अब देशभर के बाजारों में सज रहे हैं.

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हाथरस में के कई स्थानों पर पीतल और एल्युमीनियम के झूले बनाए जाते हैं. इन झूलों की देश भर में मांग रहती है. यहां लड्डू गोपाल और उनकी बंसी भी बनाई जाती है. इन सबके साथ यहां के झूलों की जन्माष्टमी पर देश भर में डिमांड बढ़ जाती है. पीतल की बढ़ी कीमतों को देखते हुए भी यहां एल्युमीनियम के पालने भी बनाए जा रहे हैं. अगर लोग पीतल के पालने नहीं खरीद सकते तो एल्युमीनियम के झूले खरीद कर अपने भगवान श्री कृष्ण को उसमें झुला सकें.

कारोबारी प्रवीन कुमार ने बताया कि हथरस में बने झूलों की पूरे भारतवर्ष में मांग रहती हैं. होली से लेकर रक्षाबंधन तक इन्हें तैयार किया जाता है. उन्होंने बताया कि यह झूले पीतल और एलुमीनियम से बनाए जाते हैं. जो लोग पीतल महंगा होने की वजह से नहीं खरीद सकते हैं. वह एल्युमीनियम का झूला खरीद सकते हैं. इन झूलों को शहर में 30 से 40 स्थानों पर बनाया जाता है.

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हाथरस: कृष्णजन्माष्टी का त्यौहार (shri krishna janmashtami festival) आने वाला है और जनपद में इसी को लेकर तैयारियों तेज हो गई है. जन्मष्टमी पर भगवान कृष्ण को झुलाने के लिए बड़े स्तर पर जिले में पालने (झूले) तैयार किए गए हैं. इन पालनों की देशभर में बिक्री की जाती है. श्रद्धालु इन पालनों को खरीदकर जन्माष्टमी पर कान्हा झुलाते हैं. जिले में होली से लेकर रक्षाबंधन तक पालने (Krishna Janmashtami swings made in hathras) बनाए जाते हैं.

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भगवान श्री कृष्ण (lord shree krishna) का जन्म मथुरा में हुआ था, लेकिन हाथरस बृज की देहरी कहलाता है. इसलिए यहां के लोगों में भगवान श्री कृष्ण के प्रति काफी आस्था है. जन्माष्टमी पर जिस झूले (पालने) में भगवान श्रीकृष्ण को झुलाया जाता है. वह झूले हाथरस में तैयार किए जाते हैं. इस बार भी इन झूलों (पालनों) को बनाने का काम हुआ है, जो अब देशभर के बाजारों में सज रहे हैं.

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हाथरस में के कई स्थानों पर पीतल और एल्युमीनियम के झूले बनाए जाते हैं. इन झूलों की देश भर में मांग रहती है. यहां लड्डू गोपाल और उनकी बंसी भी बनाई जाती है. इन सबके साथ यहां के झूलों की जन्माष्टमी पर देश भर में डिमांड बढ़ जाती है. पीतल की बढ़ी कीमतों को देखते हुए भी यहां एल्युमीनियम के पालने भी बनाए जा रहे हैं. अगर लोग पीतल के पालने नहीं खरीद सकते तो एल्युमीनियम के झूले खरीद कर अपने भगवान श्री कृष्ण को उसमें झुला सकें.

कारोबारी प्रवीन कुमार ने बताया कि हथरस में बने झूलों की पूरे भारतवर्ष में मांग रहती हैं. होली से लेकर रक्षाबंधन तक इन्हें तैयार किया जाता है. उन्होंने बताया कि यह झूले पीतल और एलुमीनियम से बनाए जाते हैं. जो लोग पीतल महंगा होने की वजह से नहीं खरीद सकते हैं. वह एल्युमीनियम का झूला खरीद सकते हैं. इन झूलों को शहर में 30 से 40 स्थानों पर बनाया जाता है.

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