हाथरस: आज प्राइवेट प्रैक्टिस करता कोई भी चिकित्सक अपने क्लीनिक को विपरीत परिस्थितियों में भी छोड़ने को तैयार नहीं रहता है. लेकिन न्यूरो सर्जन रहे रामेश्वरानंद जी महाराज पूरी तरह से अध्यात्म के क्षेत्र में समागम कर चुके हैं. डॉक्टर राजेश्वरानंद जी महाराज यूपी के हाथरस में अहवरनपुर में शिव मंदिर के लिए आयोजित कार्यक्रम में पंहुचे थे.
जहां विज्ञान का अंत, वहीं से आध्यत्म शुरू
न्यूरो सर्जन रहे डॉ. रामेश्वरानंद जी महाराज चिकित्सा क्षेत्र को छोड़कर अब पूरी तरह से आध्यात्मिक क्षेत्र में समागम कर चुके हैं. उनका कहना है कि विज्ञान की कुछ सीमाएं हैं, जबकि आध्यात्म असीम है. इसलिए वह आध्यात्म की ओर अग्रसर हुए हैं. उन्होंने कहा कि जहां विज्ञान का अंत होता है वहीं से आध्यत्म शुरू होता है.
मनुष्यता और पशुता में अंतर पता चलने पर वह अध्यात्म की ओर अग्रसरित हुए
उन्होंने बताया कि जब वह हायर एजुकेशन के लिए यूएस गए थे वहां उन्होंने अनुभव किया कि मनुष्यता और पशुता में क्या अंतर है. जब उन्हें पता चला कि मनुष्यता क्या है और पशुता क्या है, यह पता चलने पर वह अध्यात्म की ओर अग्रसरित हुए.
शिव जी दुनिया के सबसे बड़े सर्जन
चिकित्सक से आध्यात्मिक गुरु बने डॉक्टर रामेश्वरानंद जी महाराज ने अपने संबोधन में भगवान शिव को दुनिया का सबसे बड़ा सर्जन बताते हुए कहा था कि उन्होंने गणेश जी का सिर काटकर हाथी का सर लगा दिया था, उन्होंने कहा गुरु गोविंद सिंह जब सब कुछ खो चुके थे तब उन्होंने भगवान शिव से ही मदद मांगी थी.
डॉक्टर अन्तोगत्वा मानव सेवा ही करते हैं
आज के डाक्टरों में मानवता की कमी पर उन्होंने कहा कि मेरा ऐसा मानना नहीं है. अधिकतर लोग मानवतावादी हैं, जो अंतोगत्वा मानव की सेवा कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि उनकी कुछ मजबूरियां हो सकती हैं कुछ आवश्यकताएं हो सकती हैं. कभी छात्रों को चिकित्सा का पाठ पढ़ाने वाले डॉ.रामेश्वरानंद जी आज आध्यात्मिक गुरु बनकर अध्यात्म की रोशनी फैला रहे हैं.