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हरदोई में पौने दो लाख से अधिक लोग जलभराव से परेशान

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Published : Aug 2, 2020, 8:54 AM IST

यूपी के हरदोई जिले में पौने दो लाख से अधिक लोग जलभराव की समस्या से जूझ रहे हैं. इन इलाकों का सीमांकन नहीं होने से यहां लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

पौने दो लाख से अधिक लोग जलभराव से परेशान
पौने दो लाख से अधिक लोग जलभराव से परेशान.

हरदोई: जिले में आज भी तमाम ऐसे इलाके मौजूद हैं, जो कागजों पर तो ग्राम सभाओं में शामिल हैं, लेकिन शहर की सीमा से सटे हुए हैं. ग्राम सभा में होने के कारण इन इलाकों में आज भी विकास नहीं हो सका है. यहां जल निकासी के इंतजाम न होने से इलाकाई लोगों को तमाम तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है.

पौने दो लाख से अधिक लोग जलभराव से परेशान.

शहर की 3 लाख आबादी में से करीब 1 लाख 75 हज़ार लोग सीमांकन न होने से जलभराव की समस्या से पीड़ित हैं. वहीं नगर पालिका के जिम्मेदार यह कह कर अपना पल्ला झाड़ लेते हैं कि ये इलाके उनकी सीमा में नहीं आते हैं. जिलाधिकारी ने शासन से इन क्षेत्रों का सीमांकन कर इन्हें नगरीय क्षेत्र में शामिल करने की मांग किये जाने का दावा किया है.

हरदोई जिले में आज भी आशा नगर, आज़ाद नगर, सुभाष नगर, चंदीपुरवा, प्रगति नगर, रद्देपुरवा, लक्ष्मी पुरवा और कन्हईपुरवा आदि तमाम ऐसे इलाके हैं, जो शहर की सीमा से बिल्कुल सटे हुए हैं. ये इलाके हरदोई देहात और चांदबेहटा आदि ग्राम सभाओं में आते हैं. दशकों पूर्व नगर पालिका की सीमा बनने के बाद तेजी से आबादी का भी विस्तार हुआ है.

शहर से सटे हुए इलाकों में आबादी बढ़ने से ये शहर में ही आ गये हैं. लेकिन कागजों पर आज भी ये ग्राम सभाओं में शामिल हैं, जिससे जिम्मेदार बजट न होने का बहाना कर इन इलाकों को विकसित करने में लापरवाही बरत रहे हैं. आज भी इन इलाकों में आबादी दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है. ग्राम पंचायतों में आने के कारण इन क्षेत्रों में विकास नहीं हो पा रहा है. यहां जगह-जगह गंदा पानी और कचरा फैला रहता है. ऐसे में स्थानीय लोगों को तमाम दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

नगर पालिका की सीमा दशकों पूर्व तय की गई थी. इसके बाद पिछले 20 वर्षों में हरदोई में शहरी क्षेत्र की आबादी तीन लाख के आसपास हो गयी है. इसमें से 1 लाख 75 हज़ार से अधिक लोग इन शहर से सटे हुए क्षेत्रों में रह रहे हैं. ये लोग न तो शहर में हैं और न ही गांव में. ऐसे में इनकी समस्याएं सुनने वाला भी कोई नहीं है. आलम ये है कि बारिश के मौसम में इन इलाकों की स्थिति एक तालाब की तरह हो जाती है.

जिलाधिकारी पुलकित खरे ने इस समस्या को स्वीकारते हुए समस्या का समाधान किये जाने के लिए शासन स्तर से सीमांकन किये जाने की मांग करने की बात कही है. उन्होंने कहा कि शहरी इलाकों में जो नगर पालिका की सीमा में आते हैं, वहां पर तो ड्रेनेज व्यवस्था बेहतर करने के लिए इस वर्ष बारिश के मौसम में नालों नालियों की सफाई कराई गई है. साथ ही कुछ अन्य नए नाले भी बनवाये गए हैं.

हरदोई: जिले में आज भी तमाम ऐसे इलाके मौजूद हैं, जो कागजों पर तो ग्राम सभाओं में शामिल हैं, लेकिन शहर की सीमा से सटे हुए हैं. ग्राम सभा में होने के कारण इन इलाकों में आज भी विकास नहीं हो सका है. यहां जल निकासी के इंतजाम न होने से इलाकाई लोगों को तमाम तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है.

पौने दो लाख से अधिक लोग जलभराव से परेशान.

शहर की 3 लाख आबादी में से करीब 1 लाख 75 हज़ार लोग सीमांकन न होने से जलभराव की समस्या से पीड़ित हैं. वहीं नगर पालिका के जिम्मेदार यह कह कर अपना पल्ला झाड़ लेते हैं कि ये इलाके उनकी सीमा में नहीं आते हैं. जिलाधिकारी ने शासन से इन क्षेत्रों का सीमांकन कर इन्हें नगरीय क्षेत्र में शामिल करने की मांग किये जाने का दावा किया है.

हरदोई जिले में आज भी आशा नगर, आज़ाद नगर, सुभाष नगर, चंदीपुरवा, प्रगति नगर, रद्देपुरवा, लक्ष्मी पुरवा और कन्हईपुरवा आदि तमाम ऐसे इलाके हैं, जो शहर की सीमा से बिल्कुल सटे हुए हैं. ये इलाके हरदोई देहात और चांदबेहटा आदि ग्राम सभाओं में आते हैं. दशकों पूर्व नगर पालिका की सीमा बनने के बाद तेजी से आबादी का भी विस्तार हुआ है.

शहर से सटे हुए इलाकों में आबादी बढ़ने से ये शहर में ही आ गये हैं. लेकिन कागजों पर आज भी ये ग्राम सभाओं में शामिल हैं, जिससे जिम्मेदार बजट न होने का बहाना कर इन इलाकों को विकसित करने में लापरवाही बरत रहे हैं. आज भी इन इलाकों में आबादी दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है. ग्राम पंचायतों में आने के कारण इन क्षेत्रों में विकास नहीं हो पा रहा है. यहां जगह-जगह गंदा पानी और कचरा फैला रहता है. ऐसे में स्थानीय लोगों को तमाम दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

नगर पालिका की सीमा दशकों पूर्व तय की गई थी. इसके बाद पिछले 20 वर्षों में हरदोई में शहरी क्षेत्र की आबादी तीन लाख के आसपास हो गयी है. इसमें से 1 लाख 75 हज़ार से अधिक लोग इन शहर से सटे हुए क्षेत्रों में रह रहे हैं. ये लोग न तो शहर में हैं और न ही गांव में. ऐसे में इनकी समस्याएं सुनने वाला भी कोई नहीं है. आलम ये है कि बारिश के मौसम में इन इलाकों की स्थिति एक तालाब की तरह हो जाती है.

जिलाधिकारी पुलकित खरे ने इस समस्या को स्वीकारते हुए समस्या का समाधान किये जाने के लिए शासन स्तर से सीमांकन किये जाने की मांग करने की बात कही है. उन्होंने कहा कि शहरी इलाकों में जो नगर पालिका की सीमा में आते हैं, वहां पर तो ड्रेनेज व्यवस्था बेहतर करने के लिए इस वर्ष बारिश के मौसम में नालों नालियों की सफाई कराई गई है. साथ ही कुछ अन्य नए नाले भी बनवाये गए हैं.

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