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हरदोई: 50 सालों से इस तलाब में हो रहा है कछुओं का संरक्षण - हरदोई समाचार

यूपी के हरदोई जिले में एक घनी आबादी वाले क्षेत्र के बीच हजारों कछुए एक तलाब में रह रहे हैं. कछुओं का संरक्षण गांव के लोग बिना किसी सरकारी मदद के कर रहे हैं. यह तलाब लोगों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. लोग दूर-दूर से कछुओं को देखने आते हैं.

कछुओं का संरक्षण
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Published : Aug 9, 2019, 8:28 PM IST

हरदोई: विकास खण्ड बिलग्राम के ककराखेड़ा गांव का कछुआ तालाब लोगों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. इस तालाब में एक दो नहीं बल्कि हाजारों कछुओं का सरंक्षण किया गया. इस तालाब को देखने बड़ी संख्या में लोग आते हैं और कछुओं के लिए तालाब में दाना और खाना डालते हैं.

ककराखेड़ा गांव में मौजूद है कछुआ तालाब.

तालाब में दाना पड़ते ही सैकड़ों कछुए ऊपर आकर दाना खाने लगते हैं. कुछ कछुए तालाब के बाहर आकर भी लोगों का मनोरंजन करते हैं. यहां के निवासियों ने बताया कि इस तालाब में पचास साल से अधिक समय से कछुए पाले जाते रहे हैं.

यहां करीब चार से पांच हजार तक कछुए हैं. इस तालाब की वजह से ये गांव सिर्फ हरदोई में ही नहीं बल्कि अन्य जिलों में भी मशहूर है. दूर दूर से लोग दशकों पुराने कछुओं व उनकी नई प्रजातियों को देखने आते हैं.

हरदोई: विकास खण्ड बिलग्राम के ककराखेड़ा गांव का कछुआ तालाब लोगों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. इस तालाब में एक दो नहीं बल्कि हाजारों कछुओं का सरंक्षण किया गया. इस तालाब को देखने बड़ी संख्या में लोग आते हैं और कछुओं के लिए तालाब में दाना और खाना डालते हैं.

ककराखेड़ा गांव में मौजूद है कछुआ तालाब.

तालाब में दाना पड़ते ही सैकड़ों कछुए ऊपर आकर दाना खाने लगते हैं. कुछ कछुए तालाब के बाहर आकर भी लोगों का मनोरंजन करते हैं. यहां के निवासियों ने बताया कि इस तालाब में पचास साल से अधिक समय से कछुए पाले जाते रहे हैं.

यहां करीब चार से पांच हजार तक कछुए हैं. इस तालाब की वजह से ये गांव सिर्फ हरदोई में ही नहीं बल्कि अन्य जिलों में भी मशहूर है. दूर दूर से लोग दशकों पुराने कछुओं व उनकी नई प्रजातियों को देखने आते हैं.

Intro:आकाश शुक्ला हरदोई। 9919941250

एंकर--एक ऐसे दौर में जब तालाब और पानी में रहने वाले जीव समाप्त होते जा रहे हैं।लेकिन हरदोई जिले में एक घनी आबादी वाले क्षेत्र के बीच कछुए जैसे दुर्लभ प्राणी फल फूल रहें हैं।कछुओं का संरक्षण इस गांव के लोग सरकारी मदद से नहीं बल्कि आने निजी प्रयासों से कर रहे हैं।Body:वीओ--1--विकास खण्ड बिलग्राम के ग्राम ककराखेड़ा में कछुआ तालाब लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। इस तालाब में एक दो नहीं बल्कि हजारों की संख्या में कछुए हैं। बड़ी संख्या में लोग यहां आते हैं और कछुओं के लिए तालाब में दाना व खाने पीने की वस्तुएं डालते हैं। लोग जैसे ही तालाब में दाना डालते हैं सैकड़ों कछुए ऊपर आकर दाना खाने लगते हैं। कुछ कछुए तालाब के बाहर आकर भी लोगों का मनोरंजन करते हैं। यहां के निवासियों ने बताया कि इस तालाब में पचास साल से अधिक समय से कछुए पाए जाते रहे हैं। यहां करीब चार से पांच हजार तक कछुए हैं। इस तालाब की वजह से ये गांव सिर्फ हरदोई में ही नहीं बल्कि अन्य जिलों में भी मशहूर है।यहां आज भी दूर दूर से लोग इन दशकों वर्ष पुराने कछुओं व उनकी नई प्रजातियों को देखने आते हैं।आयते जानते हैं यही के लोगों से की क्या है इस गाँव के तालाब में मौजूद इन कछुओं की विशेषताएं।

विसुअल विद वॉइस ओवर

बाईट--सुरेश चंद्र--निवासी ककरखेड़ा बिलग्राम हरदोई
Conclusion:
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