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गोरखपुर: सीएम के शहर में नहीं है स्थाई बस अड्डा

यूपी के गोरखपुर में एक स्थाई बस तक अड्डा नहीं है. यात्रियों को दर्जनों जिलों के लिए बसों को पकड़ने के लिए बारिश और धूप में तपना पड़ता है. क्योंकि बस अड्डा सर्किट हाउस रोड स्थित पैडलेगंज चौराहे पर सड़क के किनारे खुले में स्थित है.

सीएम के शहर में नहीं है स्थाई बस अड्डा.
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Published : Jul 9, 2019, 8:48 AM IST

गोरखपुर: गोरखपुर से बनारस और प्रयागराज जाना के लिए शहर में स्थाई बस अड्डा नहीं है. सर्किट हाउस रोड को जाने वाली सड़क पर खुले में बसें खड़ी मिलती हैं, जहां से यात्रियों को दर्जनों जिलों के लिए बसों को पकड़ना पड़ता है. बारिश और धूप में तपना और भीगना यात्रियों की मजबूरी है. क्योंकि सड़क किनारे इस बस अड्डे पर न तो कोई छत है न कोई छाजन.

सीएम के शहर में नहीं है स्थाई बस अड्डा.
  • गोरखपुर शहर में दो बस अड्डे संचालित होते हैं.
  • राजधानी लखनऊ और दिल्ली समेत पश्चिमी यूपी को जाने के लिए रेलवे स्टेशन स्थित बस अड्डे से लोग यात्रा करते हैं.
  • बनारस, प्रयागराज,आजमगढ़, चित्रकूट, मऊ समेत दर्जन भर जिलों को जाने के लिए कमिश्नर कार्यालय के सामने बस अड्डा हुआ करता था, जो बीजेपी की सरकार आने के बाद ध्वस्त कर दिया गया.
  • ढाई साल बीत जाने के बाद भी इस सरकार में यहां स्थाई बस अड्डा बनकर तैयार नहीं हुआ है.
  • सर्किट हाउस रोड स्थित पैडलेगंज चौराहे पर सड़क के किनारे अस्थाई बस अड्डे के सहारे लोगों को अपनी यात्रा तय करनी पड़ती है.

गोरखपुर: गोरखपुर से बनारस और प्रयागराज जाना के लिए शहर में स्थाई बस अड्डा नहीं है. सर्किट हाउस रोड को जाने वाली सड़क पर खुले में बसें खड़ी मिलती हैं, जहां से यात्रियों को दर्जनों जिलों के लिए बसों को पकड़ना पड़ता है. बारिश और धूप में तपना और भीगना यात्रियों की मजबूरी है. क्योंकि सड़क किनारे इस बस अड्डे पर न तो कोई छत है न कोई छाजन.

सीएम के शहर में नहीं है स्थाई बस अड्डा.
  • गोरखपुर शहर में दो बस अड्डे संचालित होते हैं.
  • राजधानी लखनऊ और दिल्ली समेत पश्चिमी यूपी को जाने के लिए रेलवे स्टेशन स्थित बस अड्डे से लोग यात्रा करते हैं.
  • बनारस, प्रयागराज,आजमगढ़, चित्रकूट, मऊ समेत दर्जन भर जिलों को जाने के लिए कमिश्नर कार्यालय के सामने बस अड्डा हुआ करता था, जो बीजेपी की सरकार आने के बाद ध्वस्त कर दिया गया.
  • ढाई साल बीत जाने के बाद भी इस सरकार में यहां स्थाई बस अड्डा बनकर तैयार नहीं हुआ है.
  • सर्किट हाउस रोड स्थित पैडलेगंज चौराहे पर सड़क के किनारे अस्थाई बस अड्डे के सहारे लोगों को अपनी यात्रा तय करनी पड़ती है.
Intro:ओपनिंग पीटीसी से खबर की शुरुवात..

गोरखपुर। अगर आपको गोरखपुर से बनारस और प्रयागराज जाना हो और उसके लिए बस की सवारी करनी हो तो शहर में आपको स्थाई बस अड्डा नहीं मिलेगा। इन शहरों को जाने के लिए सर्किट हाउस रोड को जाने वाली सड़क पर खुले में बसें खड़ी मिलती हैं जहां से यात्रियों को इन शहरों समेत दर्जनों जिलों के लिए बसों को पकड़ना मजबूरी है। और तो और बारिश और धूप में तपना और भीगना यात्रियों की मजबूरी है। क्योंकि सड़क किनारे इस बस अड्डे पर ना तो कोई छत है ना कोई छाजन।

नोट--कम्पलीट पैकेज,, वॉइस ओवर अटैच है।


Body:गोरखपुर शहर में दो बस अड्डे संचालित होते हैं। राजधानी लखनऊ और दिल्ली समेत पश्चिमी यूपी को जाने के लिए रेलवे स्टेशन स्थित बस अड्डे से लोग यात्रा करते हैं तो वही बनारस, प्रयागराज,आजमगढ़, चित्रकूट, मऊ समेत दर्जन भर जिलों को जाने के लिए कमिश्नर कार्यालय के सामने बस अड्डा हुआ करता था, जो बीजेपी की सरकार आने के बाद ध्वस्त कर दिया गया। और नया बनाए जाने का प्रस्ताव हुआ लेकिन ढाई साल बीत जाने के बाद भी इस सरकार में यहां स्थाई बस अड्डा बनकर तैयार नहीं हुआ है। जिसका खामियाजा है कि इन शहरों को जाने के लिए सर्किट हाउस रोड स्थित पैडलेगंज चौराहे पर सड़क के किनारे अस्थाई बस अड्डे के सहारे लोगों को अपनी यात्रा तय करनी पड़ती है। जिसके लिए उन्हें तरह तरह की कठिनाइयों को भी झेलना पड़ता है, जिनसे ईटीवी भारत ने बात किया तो उनका दर्द छलक पड़ा।

बाइट--लक्ष्मी नारायण, बस चालक
बाइट--आशुतोष, कंडक्टर
बाइट--दिनेश गुप्ता, यात्री (गले मे सफेद गमछा)
बाइट--रमेश, कंडक्टर (सलेटी कलर की शर्ट)
बाइट-संतोष कुमार, यात्री ( पीली शर्ट)


Conclusion:तो यह हाल है मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के शहर गोरखपुर का। जहां पर विकास योजनाओं की रफ्तार इतनी तेज है की ढाई साल में एक छोटा सा बस अड्डा नहीं बन पाया है। लोगों के लिए जो ठहरने और छिपने का सहारा पुराना बस अड्डा था वह भी ध्वस्त कर दिया गया है। जिसका कारण है कि लोगों को यात्रा के लिए भारी परेशानी उठानी पड़ रही है। गंतव्य को जाना है तो घर से तो निकालना ही होगा, परेशानी और व्यवस्थाएं चाहे जो भी हो। यही वजह है कि ईटीवी भारत के सवालों पर कोई अधिकारी कैमरा फेस करने को तैयार नहीं हुआ। लेकिन 'जब सच सामने हो और गवाही लोकतंत्र के इस महान जनता की हो तो फिर किसी और पैमाने पर सफाई की जरूरत नहीं है' क्योंकि तस्वीरें सच बोलती हैं।

क्लोजिंग पीटीसी...
मुकेश पाण्डेय
Etv भारत, गोरखपुर
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