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गोरखपुर: सरकारी अस्पताल में विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी, स्वास्थ्य सेवाएं खस्ता हाल

उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में स्वास्थ्य सेवाएं खस्ता हाल हैं. इसका कारण जिला अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी है. जिले में स्वास्थ्य सुविधा देने के लिए कुल 300 डॉक्टरों की जरूरत है, लेकिन मौजूदा समय में मात्र 170 डॉक्टर सेवा दे रहे हैं.

सरकारी अस्पताल में विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी.
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Published : Oct 14, 2019, 10:58 PM IST

गोरखपुर: जिले में जिस स्वास्थ्य सेवाएं बेपटरी नजर आती हैं. जिला अस्पताल से लेकर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र तक बेहतर स्वास्थ्य सुविधा देने के लिए कुल 300 डॉक्टरों की जरूरत है, लेकिन मौजूदा समय में जिले में मात्र 170 डॉक्टर सेवा दे रहे हैं.

सरकारी अस्पताल में विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी,

डॉक्टरों की कमी के कारण हो रही मुश्किल
जिले के मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने ईटीवी भारत के साथ बातचीत में सीधे तौर पर इस बात को स्वीकार किया है. डॉक्टरों की कमी सिर्फ गोरखपुर ही नहीं प्रदेश के अन्य जनपदों में भी बनी हुई है. उन्होंने कहा कि गोरखपुर में करीब 293 डॉक्टर की पोस्ट निर्धारित है, लेकिन वर्तमान में करीब 170 डॉक्टर ड्यूटी दे रहे हैं. यही नहीं उन्होंने कहा कि सबसे बड़ी दिक्कत स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की है, जो उनके पास नहीं है और वह बड़ी मुश्किल से ऐसी परिस्थितियों से निपटते हैं.

इसे भी पढ़ें- गोरखपुर: त्योहारों को देखते हुए पुलिस ने शराबियों पर कसा शिकंजा

यूनानी और आयुर्वेदिक के डॉक्टर स्वास्थ सेवा की बेहतरी में सहयोग कर रहे हैं, लेकिन स्पेशलिस्ट के अभाव में गंभीर मरीजों को नहीं देखा जा रहा है. सरकार इस कमी से वाकिफ है उम्मीद करते हैं कि सरकारी इस तरफ जल्दी सुधार करेगी. क्योंकि स्वास्थ्य विभाग के तमाम अभियान को चलाने के लिए इनकी जरूरत है.
-डॉ. एस. के. तिवारी, सीएमओ, गोरखपुर

गोरखपुर: जिले में जिस स्वास्थ्य सेवाएं बेपटरी नजर आती हैं. जिला अस्पताल से लेकर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र तक बेहतर स्वास्थ्य सुविधा देने के लिए कुल 300 डॉक्टरों की जरूरत है, लेकिन मौजूदा समय में जिले में मात्र 170 डॉक्टर सेवा दे रहे हैं.

सरकारी अस्पताल में विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी,

डॉक्टरों की कमी के कारण हो रही मुश्किल
जिले के मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने ईटीवी भारत के साथ बातचीत में सीधे तौर पर इस बात को स्वीकार किया है. डॉक्टरों की कमी सिर्फ गोरखपुर ही नहीं प्रदेश के अन्य जनपदों में भी बनी हुई है. उन्होंने कहा कि गोरखपुर में करीब 293 डॉक्टर की पोस्ट निर्धारित है, लेकिन वर्तमान में करीब 170 डॉक्टर ड्यूटी दे रहे हैं. यही नहीं उन्होंने कहा कि सबसे बड़ी दिक्कत स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की है, जो उनके पास नहीं है और वह बड़ी मुश्किल से ऐसी परिस्थितियों से निपटते हैं.

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यूनानी और आयुर्वेदिक के डॉक्टर स्वास्थ सेवा की बेहतरी में सहयोग कर रहे हैं, लेकिन स्पेशलिस्ट के अभाव में गंभीर मरीजों को नहीं देखा जा रहा है. सरकार इस कमी से वाकिफ है उम्मीद करते हैं कि सरकारी इस तरफ जल्दी सुधार करेगी. क्योंकि स्वास्थ्य विभाग के तमाम अभियान को चलाने के लिए इनकी जरूरत है.
-डॉ. एस. के. तिवारी, सीएमओ, गोरखपुर

Intro:गोरखपुर। गोरखपुर की पहचान मौजूदा समय में प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के शहर के रूप में होती है। यह माना जाता है कि सीएम सिटी में सरकार की सभी योजनाएं सही ढंग से लागू हो रही होंगी। लेकिन हकीकत इससे जुदा है। खास बात यह है कि जिस स्वास्थ्य सेवा के बेहतरी का ढोल प्रदेश के मुखिया राजधानी लखनऊ हो या गोरखपुर में बराबर पीटते रहते हैं वही बे पटरी नजर आती है। जिले में जिला अस्पताल से लेकर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र तक बेहतर स्वास्थ्य सुविधा देने के लिए कुल 300 डॉक्टरों की जरूरत है लेकिन मौजूदा समय में जिले में मात्र 170 डॉक्टर सेवा दे रहे हैं।

नोट--कम्प्लीट पैकेज, वॉइस ओवर अटैच है।


Body:जिले में स्वास्थ्य सुविधा के मुखिया सीएमओ यानि कि मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने ईटीवी भारत के साथ बातचीत में सीधे तौर पर इस बात को स्वीकार किया है कि डॉक्टरों की कमी सिर्फ गोरखपुर ही नहीं प्रदेश के अन्य जनपदों में भी बनी हुई है। उन्होंने कहा कि गोरखपुर में करीब 293 डॉक्टर की पोस्ट निर्धारित है लेकिन वर्तमान में करीब 170 डॉक्टर ड्यूटी दे रहे हैं। यही नहीं उन्होंने कहा कि सबसे बड़ी दिक्कत स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की है जो उनके पास नहीं है और वह बड़ी मुश्किल से ऐसी परिस्थितियों से निपटते हैं। आपको बता दें कि जिला अस्पताल के पास बेहोशी, न्यूरो और डेंटल सर्जरी के डॉक्टरों का अभाव है जबकि अस्पताल के यह डॉक्टर रीड माने जाते हैं।

बाइट--डॉ एसके तिवारी, सीएमओ


Conclusion:सीएमओ ने कहा कि एनएचएम से मिले हुए डॉक्टरों के सहारे वह जिले के प्राथमिक और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों को चला रहे हैं। वहां भी एमबीबीएस डॉक्टर तैनात हैं लेकिन स्ट्रेंथ के अनुसार नहीं तैनात है। उन्होंने कहा कि यूनानी और आयुर्वेदिक के डॉक्टर स्वास्थ सेवा की बेहतरी में सहयोग कर रहे हैं लेकिन स्पेशलिस्ट के अभाव में गंभीर मरीजों को नहीं देखा जा रहा है। सरकार इस कमी से वाकिफ है उम्मीद करते हैं कि सरकारी इस तरफ जल्दी सुधार करेगी। क्योंकि स्वास्थ्य विभाग के तमाम अभियान को चलाने के लिए इनकी जरूरत है।

बाइट--डॉ एस के तिवारी, सीएमओ

मुकेश पाण्डेय
Etv भारत, गोरखपुर
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