गोरखपुर: 125 वर्ष की उम्र और बोलने-चलने के साथ सुनने और समझने की पूरी क्षमता, यह है महानता काशी के प्रसिद्ध संत बाबा शिवानंद की. प्रकृति की चीजों से प्रेम करते हुए और शाकाहारी भोजन को जीवन में अपनाकर शिवानंद बाबा पूरी तरह से इस उम्र में भी सक्षम नजर आते हैं. आजकल वह विश्व प्रसिद्ध प्राकृतिक चिकित्सा के केंद्र आरोग्य मंदिर में अपने 25 भक्तों के साथ आये हुए हैं. वह अपने शिष्यों को प्राकृतिक चिकित्सा और शाकाहार के आहार-विहार से मिलने वाले लाभ से उन्हें भर देना चाहते हैं.
45 देशों की यात्रा की
इन्होंने अब तक 45 देशों की यात्रा की है. भारत सरकार ने इन्हें जो पासपोर्ट जारी किया है उस पर इनकी आयु 1886 लिखी हुई है. जो यह पुष्ट करती है कि इनकी उम्र 125 साल है. इस उम्र में भी इनके अंदर दूसरों के प्रति स्नेह और सम्मान देने का भाव और उत्साह कम नहीं है. वह जब नए लोगों से मिलते हैं तो उन्हें नतमस्तक होकर प्रणाम करते हैं.
कुष्ट रोगियों की सेवा में समर्पित किया जीवन
शिवानंद बाबा के पास न तो कोई मठ है और न ही मंदिर. काशी में 500 स्क्वायर फीट के छोटे से मकान में रहते हुए यह दुनिया के 45 देशों में अपनी आध्यात्मिक ख्याति और सरलता से हजारों शिष्यों के पूज्यनीय हैं. इनकी दिनचर्या सुबह 3 बजे से शुरू होती है जो अगले दिन रात में 9:00 बजे सोने के साथ रुकती है. यह अपने जीवन में कुष्ठ रोगियों की सेवा करने के लिए काशी क्षेत्र में जाने जाते हैं. यह फल और दूध भी नहीं खाते. दान ग्रहण नहीं करते, धन लेते नहीं, फिर भी अपने आध्यात्मिक ऊर्जा के बल पर लोगों के लिए प्रेरणा पुंज बने हुए हैं. इनके प्राकृतिक प्रेम और शाकाहारी आहार विहार की चर्चा करते हुए आरोग्य मंदिर के निदेशक डॉ विमल कुमार मोदी ने कहा कि स्वामी जी के विचार है कि नमक, चीनी और चिकनाई को जो त्याग दे तो उसका जीवन नीरोगी हो जाएगा.