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1500 रुपये से खड़ा किया 2 करोड़ का कारोबार, गोरखपुर रत्न सम्मान से सीएम ने किया सम्मानित, जानिए कौन है ये शख्सियत - गोरखपुर रत्न संगीता पांडेय

गोरखपुर की एक सफल महिला उद्यमी जिसने 1500 से 2 करोड़ का कोराबार खड़ा किया. आज उनकी हर तरफ चर्चा हो रही. गोरखपुर महोत्सव 2023 में सीएम योगी ने गोरखपुर रत्न से भी सम्मानित किया है. लेकिन इस सफल महिला उद्यमी की कहानी आज की सफलता से कहीं ज्यादा संर्घष भरी है, देखिए इस स्पेशल रिपोर्ट में उद्यमी संगीता पांडेय की संघर्ष की कहानी.

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गोरखपुर महोत्सव 2023 में गोरखपुर रत्न से सम्मानित संगाती पांडेय
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Published : Jan 20, 2023, 8:39 PM IST

जानिए गोरखपुर की महिला उद्यमी संगीता पांडेय के बारे में.

गोरखपुरः शहर की एक ग्रेजुएट महिला ने अपने बटुए में 1500 रुपये लेकर 10 वर्ष पहले खुद के पैरों पर खड़ें होने और कुछ अलग कर गुजरने के लिए साइकिल से निकली थी. इसके बाद देखते ही देखते वह मौजूदा दौर में एक सफल उद्यमी के रूप में जानी और पहचानी जाने लगी. आज उनका करीब 2 करोड़ के रुपये के टर्नओवर का व्यवसाय हो चुका है. इसके साथ ही उन्होंने सैकड़ों महिलाओं को रोजगार से जोड़कर, उन्हें आत्मनिर्भर भी बनाया है. इस महिला उद्यमी का नाम संगीता पांडेय है. जिन्हें गोरखपुर महोत्सव 2023 में गोरखपुर रत्न से यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सम्मानित किया.

ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए उद्यमी संगीता पांडेय ने बताया कि जब वह घर से निकलती थी तो कई तरह की रोक टोक होती थी. उन्होंने कारोबार भी ऐसा चुना जो मिठाई का डिब्बा बनाने से शुरू हुआ. इसके लिए वह शहर की विभिन्न दुकानों पर साइकिल से जाती और संपर्क करती थीं. उनसे ऑर्डर की गुहार करती थीं. तब उन्हें दुकानदार भी अपना आर्डर नहीं देना चाहते थे. वह कहते थे कि आप महिला हैं साइकिल से चलती हैं, इस काम को करना बेहद कठिन है. समय से डिलीवरी नहीं दे पाने पर आपका धंधा भी चौपट होगा और हमारा व्यवसाय भी प्रभावित होगा.

संगीता पांडेय कहती हैं कि उन्होंने व्यवसायियों को भरोसा दिया और पहला छोटा आर्डर लेकर घर तक आने में सफल हुईं. निरंतर 8 घंटे परिश्रम के बाद उन्होंने अपने पहले आर्डर को पूरा करके समय से डिलीवरी दे दिया. इस दौरान उनका बच्चा भी उनके गोद में होता था. जिस बच्चे की वजह से वह कुछ प्राइवेट नौकरियों से बाहर की थीं. संगीता कहती हैं तभी उन्होंने ठाना था कि घर की दहलीज के अंदर रहते हुए, बच्चे परिवार, चूल्हा चौका को संभाल कर कुछ ऐसा काम करेंगी, जिसमें नाम शोहरत और पैसा भी आएगा और कुछ और महिलाओं को भी जोड़ने वह सफल हो सकेंगी. इसी कड़ी में आज वह जिस मुकाम पर हैं पूरा पूर्वांचल उन पर गर्व करता है.

संगीता कहती हैं कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उन्हें सम्मानित करके जो हौसला बढ़ाया है. वह इस जिम्मेदारी को और आगे ले जाने के लिए प्रेरणा देता है. वह निजी तौर पर महिलाओं को आगे बढ़ाने में जुटी हैं. लेकिन जो महिलाएं उनसे जुड़ी हैं उनके घरों तक कच्चा माल पहुंचाकर और तैयार माल उनसे लेकर, समय से डिलीवरी करती हैं. यही वजह है कि सिर्फ गोरखपुरी नहीं पूर्वांचल के 14 से 15 जिलों की हर बड़ी मिठाई की दुकानों से उनको ऑर्डर मिलता है. अब तो केक, ड्राई फ्रूट्स, वेडिंग पैकिंग, झोले, गिफ्ट पैक का वह ऐसा उत्पाद तैयार कर रही हैं जिसे खरीदने के लिए लोग दिल्ली और पंजाब जाया करते थे. आज के दौर में यह उन महिलाओं के लिए मिसाल हैं जो परिवार की जरूरतों को पूरा करने के साथ, जीवन में कुछ हासिल करना चाहती हैं. वह कहती हैं कि किसी भी "रोक टोक और लोग क्या कहेंगे" इसकी परवाह किए बगैर जो आगे बढ़ेगा, वही मुकाम हासिल करेगा. फिर उसी के बारे में लोग "वाह-वाह कहेंगे".

संगीता गोरखपुर विश्वविद्यालय से ग्रेजुएट हैं. उनकी उम्र करीब 40 वर्ष है. पिता उनके सेना में सूबेदार थे और पति यूपी पुलिस के जवान हैं. उनके तीन बच्चे हैं. सुबह 10:00 बजे तक वह घर परिवार की ही जिम्मेदारी संभालती है. फिर जब अपने कार्यस्थल पर आ जाती हैं तो एक-एक कर अपनी बाकि जिम्मेदारियों को महिला सहयोगी के साथ मिलकर पूरा करती हैं. वह उन दिनों को नहीं भूलती जब करीब 50- 50 किलोमीटर तक ऑर्डर लेने, डिलीवरी करने के लिए साइकिल चलाया करती थीं. संगीता कहती हैं कि जो भी महिला उनके कार्य से प्रभावित है और कुछ सीखना चाहती है, तो उनके कारखाने पर उसका स्वागत है. वह उसे प्रशिक्षण देंगी जिससे वह अपने घर पर छोटी सी शुरुवात कर सकेगी.

ये भी पढ़ेंः Varanasi News: जानिए काशी की इस दुकान पर ही क्यों चाय पीते हैं जेपी नड्डा?

जानिए गोरखपुर की महिला उद्यमी संगीता पांडेय के बारे में.

गोरखपुरः शहर की एक ग्रेजुएट महिला ने अपने बटुए में 1500 रुपये लेकर 10 वर्ष पहले खुद के पैरों पर खड़ें होने और कुछ अलग कर गुजरने के लिए साइकिल से निकली थी. इसके बाद देखते ही देखते वह मौजूदा दौर में एक सफल उद्यमी के रूप में जानी और पहचानी जाने लगी. आज उनका करीब 2 करोड़ के रुपये के टर्नओवर का व्यवसाय हो चुका है. इसके साथ ही उन्होंने सैकड़ों महिलाओं को रोजगार से जोड़कर, उन्हें आत्मनिर्भर भी बनाया है. इस महिला उद्यमी का नाम संगीता पांडेय है. जिन्हें गोरखपुर महोत्सव 2023 में गोरखपुर रत्न से यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सम्मानित किया.

ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए उद्यमी संगीता पांडेय ने बताया कि जब वह घर से निकलती थी तो कई तरह की रोक टोक होती थी. उन्होंने कारोबार भी ऐसा चुना जो मिठाई का डिब्बा बनाने से शुरू हुआ. इसके लिए वह शहर की विभिन्न दुकानों पर साइकिल से जाती और संपर्क करती थीं. उनसे ऑर्डर की गुहार करती थीं. तब उन्हें दुकानदार भी अपना आर्डर नहीं देना चाहते थे. वह कहते थे कि आप महिला हैं साइकिल से चलती हैं, इस काम को करना बेहद कठिन है. समय से डिलीवरी नहीं दे पाने पर आपका धंधा भी चौपट होगा और हमारा व्यवसाय भी प्रभावित होगा.

संगीता पांडेय कहती हैं कि उन्होंने व्यवसायियों को भरोसा दिया और पहला छोटा आर्डर लेकर घर तक आने में सफल हुईं. निरंतर 8 घंटे परिश्रम के बाद उन्होंने अपने पहले आर्डर को पूरा करके समय से डिलीवरी दे दिया. इस दौरान उनका बच्चा भी उनके गोद में होता था. जिस बच्चे की वजह से वह कुछ प्राइवेट नौकरियों से बाहर की थीं. संगीता कहती हैं तभी उन्होंने ठाना था कि घर की दहलीज के अंदर रहते हुए, बच्चे परिवार, चूल्हा चौका को संभाल कर कुछ ऐसा काम करेंगी, जिसमें नाम शोहरत और पैसा भी आएगा और कुछ और महिलाओं को भी जोड़ने वह सफल हो सकेंगी. इसी कड़ी में आज वह जिस मुकाम पर हैं पूरा पूर्वांचल उन पर गर्व करता है.

संगीता कहती हैं कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उन्हें सम्मानित करके जो हौसला बढ़ाया है. वह इस जिम्मेदारी को और आगे ले जाने के लिए प्रेरणा देता है. वह निजी तौर पर महिलाओं को आगे बढ़ाने में जुटी हैं. लेकिन जो महिलाएं उनसे जुड़ी हैं उनके घरों तक कच्चा माल पहुंचाकर और तैयार माल उनसे लेकर, समय से डिलीवरी करती हैं. यही वजह है कि सिर्फ गोरखपुरी नहीं पूर्वांचल के 14 से 15 जिलों की हर बड़ी मिठाई की दुकानों से उनको ऑर्डर मिलता है. अब तो केक, ड्राई फ्रूट्स, वेडिंग पैकिंग, झोले, गिफ्ट पैक का वह ऐसा उत्पाद तैयार कर रही हैं जिसे खरीदने के लिए लोग दिल्ली और पंजाब जाया करते थे. आज के दौर में यह उन महिलाओं के लिए मिसाल हैं जो परिवार की जरूरतों को पूरा करने के साथ, जीवन में कुछ हासिल करना चाहती हैं. वह कहती हैं कि किसी भी "रोक टोक और लोग क्या कहेंगे" इसकी परवाह किए बगैर जो आगे बढ़ेगा, वही मुकाम हासिल करेगा. फिर उसी के बारे में लोग "वाह-वाह कहेंगे".

संगीता गोरखपुर विश्वविद्यालय से ग्रेजुएट हैं. उनकी उम्र करीब 40 वर्ष है. पिता उनके सेना में सूबेदार थे और पति यूपी पुलिस के जवान हैं. उनके तीन बच्चे हैं. सुबह 10:00 बजे तक वह घर परिवार की ही जिम्मेदारी संभालती है. फिर जब अपने कार्यस्थल पर आ जाती हैं तो एक-एक कर अपनी बाकि जिम्मेदारियों को महिला सहयोगी के साथ मिलकर पूरा करती हैं. वह उन दिनों को नहीं भूलती जब करीब 50- 50 किलोमीटर तक ऑर्डर लेने, डिलीवरी करने के लिए साइकिल चलाया करती थीं. संगीता कहती हैं कि जो भी महिला उनके कार्य से प्रभावित है और कुछ सीखना चाहती है, तो उनके कारखाने पर उसका स्वागत है. वह उसे प्रशिक्षण देंगी जिससे वह अपने घर पर छोटी सी शुरुवात कर सकेगी.

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