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जिस प्रोजेक्ट के लिए सीएम योगी ने किया 19 वर्षों तक संघर्ष, पीएम मोदी आज करेंगे उसका उद्घाटन

पीएम मोदी का 7 दिसंबर यानी आज गोरखपुर दौरे पर रहेंगे. पीएम मोदी गोरखपुर में खाद कारखाना, एम्स और वायरोलॉजी के रूप में स्थापित 9 लैब का उद्घाटन करेंगे.

पीएम मोदी का 7 दिसंबर को गोरखपुर दौरा
पीएम मोदी का 7 दिसंबर को गोरखपुर दौरा
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Published : Dec 6, 2021, 9:51 PM IST

Updated : Dec 7, 2021, 6:35 AM IST

गोरखपुर : पीएम मोदी का आज गोरखपुर दौरा है. पीएम मोदी यहां से पूर्वांचल को एक साथ तीन बड़ी योजनाओं की सौगात देंगे. अपने दौरे के समय वह गोरखपुर में खाद कारखाना, एम्स और वायरोलॉजी के रूप में स्थापित 9 लैब का उदघाटन करेंगे. यह योजनाएं सीएम योगी का ड्रीम प्रोजेक्ट रहीं हैं. सीएम योगी के ड्रीम का सपना अब साकार होने जा रहा है.

बता दें कि गोरखपुर में वर्ष 1990 में फर्टिलाइजर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया का कारखाना बंद हो गया. इस खाद कारखाने को चालू कराने के लिए योगी आदित्यनाथ बतौर सांसद 19 सालों तक संघर्षरत रहे. वर्ष 1998 से लेकर मार्च 2017 तक उनके संसदीय कार्यकाल में उन्होंने इसके लिए हर बार अपनी आवाज बुलंद की.

योगी आदित्यनाथ की पहल और मांग पर 22 जुलाई 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस प्रोजेक्ट की आधारशिला रखी थी. अब पीएम मोदी 7 दिसंबर को को इसका उद्घाटन करेंगे. सीएम योगी ने बतौर सांसद गोरखपुर में खाद कारखाना स्थापित करने के लिए केवल संघर्ष ही नहीं किया, बल्कि मुख्यमंत्री बनने के बाद इसके निर्माण को तीव्र करने में योगदान दिया है. सीएम योगी की पहल से कोरोना काल के दौरान भी खाद कारखाना का निर्माण कार्य जारी रहा.

8,603 करोड़ की लागत से बना कारखाना
गोरखपुर के खाद कारखाने की स्थापना व संचालन की जिम्मेदारी हिंदुस्तान उर्वरक एवं रसायन लिमिटेड (एचयूआरएल) ने निभाई है. एचयूआरएल एक संयुक्त उपक्रम है जिसमें कोल इंडिया लिमिटेड, एनटीपीसी, इंडियन ऑयल कोर्पोरेशन लीड प्रमोटर्स हैं. जबकि इसमें फर्टिलाइजर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड और हिंदुस्तान फर्टिलाइजर कॉर्पोरेशन लिमिटेड भी साझेदार हैं. इस संयुक्त उपक्रम के अधीन गोरखपुर खाद कारखाने के निर्माण में करीब 8,603 करोड़ रुपये की लागत आई है.

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कारखाना परिसर में दक्षिण कोरिया की विशेष तकनीक से 30 करोड़ की लागत से विशेष रबर भी बनाया गया है. इस रबर पर बुलेट का भी असर नहीं होता है. एचयूआरएल के इस खाद कारखाने की उत्पादन क्षमता प्रतिदिन 3,850 मीट्रिक टन और प्रतिवर्ष 12.7 लाख मीट्रिक टन उर्वरक उत्पादन की है. इतने बड़े पैमाने पर उत्पादन से देश के सकल खाद आयात में भारी कमी आएगी.

इसके उत्पादनशील होने से पूर्वी यूपी के साथ ही बिहार व यूपी से सटे अन्य राज्यों में नीम कोटेड यूरिया की बड़े पैमाने पर आपूर्ति सुनिश्चित होगी. आगामी समय में गोरखपुर में बनी यूरिया से पड़ोसी देश नेपाल की फसलें भी लहलहाएंगी. गोरखपुर खाद कारखाने में बना प्रीलिंग टावर विश्व में सबसे ज्यादा ऊंचा है. इसकी ऊंचाई कुतुब मीनार की ऊंचाई से दोगुनी से भी अधिक है.

प्रीलिंग टावर से खाद के दाने नीचे आएंगे तो इनकी क्वालिटी सबसे अच्छी होगी. नीम कोटेड यूरिया से खेतों की उर्वरा शक्ति और बढ़ेगी. खास बात यह भी है कि इस खाद कारखाना में 30 फीसद से ज्यादा पूर्वांचल के युवाओं को नौकरी दी गई है. इनमें लड़कियों/महिलाओं की संख्या ज्यादा है.

इसे पढ़ें - महिला ने रोक दी प्रियंका गांधी की गाड़ी, कांग्रेस महासचिव ने दिया न्याय का भरोसा

गोरखपुर : पीएम मोदी का आज गोरखपुर दौरा है. पीएम मोदी यहां से पूर्वांचल को एक साथ तीन बड़ी योजनाओं की सौगात देंगे. अपने दौरे के समय वह गोरखपुर में खाद कारखाना, एम्स और वायरोलॉजी के रूप में स्थापित 9 लैब का उदघाटन करेंगे. यह योजनाएं सीएम योगी का ड्रीम प्रोजेक्ट रहीं हैं. सीएम योगी के ड्रीम का सपना अब साकार होने जा रहा है.

बता दें कि गोरखपुर में वर्ष 1990 में फर्टिलाइजर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया का कारखाना बंद हो गया. इस खाद कारखाने को चालू कराने के लिए योगी आदित्यनाथ बतौर सांसद 19 सालों तक संघर्षरत रहे. वर्ष 1998 से लेकर मार्च 2017 तक उनके संसदीय कार्यकाल में उन्होंने इसके लिए हर बार अपनी आवाज बुलंद की.

योगी आदित्यनाथ की पहल और मांग पर 22 जुलाई 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस प्रोजेक्ट की आधारशिला रखी थी. अब पीएम मोदी 7 दिसंबर को को इसका उद्घाटन करेंगे. सीएम योगी ने बतौर सांसद गोरखपुर में खाद कारखाना स्थापित करने के लिए केवल संघर्ष ही नहीं किया, बल्कि मुख्यमंत्री बनने के बाद इसके निर्माण को तीव्र करने में योगदान दिया है. सीएम योगी की पहल से कोरोना काल के दौरान भी खाद कारखाना का निर्माण कार्य जारी रहा.

8,603 करोड़ की लागत से बना कारखाना
गोरखपुर के खाद कारखाने की स्थापना व संचालन की जिम्मेदारी हिंदुस्तान उर्वरक एवं रसायन लिमिटेड (एचयूआरएल) ने निभाई है. एचयूआरएल एक संयुक्त उपक्रम है जिसमें कोल इंडिया लिमिटेड, एनटीपीसी, इंडियन ऑयल कोर्पोरेशन लीड प्रमोटर्स हैं. जबकि इसमें फर्टिलाइजर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड और हिंदुस्तान फर्टिलाइजर कॉर्पोरेशन लिमिटेड भी साझेदार हैं. इस संयुक्त उपक्रम के अधीन गोरखपुर खाद कारखाने के निर्माण में करीब 8,603 करोड़ रुपये की लागत आई है.

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कारखाना परिसर में दक्षिण कोरिया की विशेष तकनीक से 30 करोड़ की लागत से विशेष रबर भी बनाया गया है. इस रबर पर बुलेट का भी असर नहीं होता है. एचयूआरएल के इस खाद कारखाने की उत्पादन क्षमता प्रतिदिन 3,850 मीट्रिक टन और प्रतिवर्ष 12.7 लाख मीट्रिक टन उर्वरक उत्पादन की है. इतने बड़े पैमाने पर उत्पादन से देश के सकल खाद आयात में भारी कमी आएगी.

इसके उत्पादनशील होने से पूर्वी यूपी के साथ ही बिहार व यूपी से सटे अन्य राज्यों में नीम कोटेड यूरिया की बड़े पैमाने पर आपूर्ति सुनिश्चित होगी. आगामी समय में गोरखपुर में बनी यूरिया से पड़ोसी देश नेपाल की फसलें भी लहलहाएंगी. गोरखपुर खाद कारखाने में बना प्रीलिंग टावर विश्व में सबसे ज्यादा ऊंचा है. इसकी ऊंचाई कुतुब मीनार की ऊंचाई से दोगुनी से भी अधिक है.

प्रीलिंग टावर से खाद के दाने नीचे आएंगे तो इनकी क्वालिटी सबसे अच्छी होगी. नीम कोटेड यूरिया से खेतों की उर्वरा शक्ति और बढ़ेगी. खास बात यह भी है कि इस खाद कारखाना में 30 फीसद से ज्यादा पूर्वांचल के युवाओं को नौकरी दी गई है. इनमें लड़कियों/महिलाओं की संख्या ज्यादा है.

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Last Updated : Dec 7, 2021, 6:35 AM IST
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