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कोरोना काल में पूर्वोत्तर रेलवे ने रचा इतिहास, रंग लाए अधिकारियों के प्रयास

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Published : Apr 12, 2021, 11:12 AM IST

पूर्वोत्तर रेलवे ने कोरोना काल में कई सफलताएं हासिल करते हुए इतिहास रच दिया है. कोरोना काल में मालगाड़ियां दोगुनी रफ्तार से दौड़ीं. यह सब पूर्वोत्तर रेलवे के अधिकारियों के प्रयास के कारण ही संभव हो सका है. आइए जानते हैं कि पूर्वोत्तर रेलवे ने कोरोना काल में क्या सफलताएं हासिल की.

गोरखपुर पूर्वोत्तर रेलवे.
गोरखपुर पूर्वोत्तर रेलवे.

गोरखपुर: कोरोना की महामारी के बीच वित्तीय वर्ष 2020-21 में पूर्वोत्तर रेलवे ने कई क्षेत्रों में सफलता के नए कीर्तिमान स्थापित किए हैं. माल गाड़ियों की औसत गति से लेकर समय पालन, संरक्षा और पैरामीटर्स में कई रिकॉर्ड बनाए. इस वर्ष में सुधारों के फलस्वरुप लगभग 70% विद्युतीकरण का लक्ष्य रेलवे ने पूरा किया है, जिससे विद्युत इंजन से गाड़ियों का संचालन हो रहा है. इस व्यवस्था को अपनाए जाने से ईंधन की बचत के साथ पर्यावरण में भी सुधार हो रहा है. करीब 561.36 किलोमीटर रूट का विद्युतीकरण कार्य पूर्वोत्तर रेलवे में कोविड के दौरान हुआ. यह भारतीय रेलवे में दूसरा सर्वाधिक रिकॉर्ड है. रेल खंडों के विद्युतीकरण के बाद सबसे बड़ी चुनौती इसके कर्मचारियों को कार्य में दक्ष बनाने की रही, जिसके लिए कार्यशाला और प्रशिक्षण के कार्यक्रम के संचालन में भी पूर्वोत्तर रेलवे ने मिसाल कायम किया.

गोरखपुर जंक्शन
गोरखपुर जंक्शन

पढ़ें- 'चालक दल' ऐप से होगी निगरानी, नहीं चलेगी रेलवे कर्मियों की मनमानी

भारतीय रेलवे में रिकॉर्ड
इसी प्रकार कोविड-19 के दौरान जब यात्री सेवाएं पूरी तरह रोक दी गई थी और आवश्यक सामग्रियों की आपूर्ति बनाए रखने के लिए यातायात चालू रखा गया था, तो लोडिंग-अनलोडिंग के मामले के त्वरित निस्तारण में भी पूर्वोत्तर रेलवे काफी आगे रहा है. यहां तक कि नए माल के ट्रांसपोर्टेशन में भी बांग्लादेश, नेपाल को ऑटोमोबाइल और एफएमसीजी के प्रोडक्ट भेजे गए. इस दौरान ऑटोमोबाइल लोडिंग में 80% की वृद्धि दर्ज हुई. बांग्लादेश को 21 ट्रेन रैक के माध्यम से ऑटोमोबाइल और एफएमसीजी के गुड्स भेजे गए. देश के विभिन्न हिस्सों में 84 रैक के माध्यम से सामानों को भेजा गया. इस दौरान पूर्वोत्तर रेलवे ने 445 पुराने आईसीएफ कोच को एनएमजी वैगन में परिवर्तित किया, जो भारतीय रेलवे में एक रिकॉर्ड है.

पढ़ें- 23 मिनट में रेल यात्रियों की शिकायतों को निपटाकर पूर्वोत्तर रेलवे बना नंबर 1

कोरोना में दोगुनी स्पीड से दौड़ी मालगाड़ियां
कोविड-19 के दौरान मालगाड़ियों की औसत गति 25.58 किलोमीटर प्रति घंटा से बढ़ाकर 46.66 किलोमीटर प्रति घंटा की गई. माल यातायात वृद्धि करने के लिए व्यापारियों से संपर्क किया गया और उनकी आवश्यकतानुसार माल गोदामों में सुधार और विस्तार किया गया. दो बड़े माल गोदाम एक लखनऊ के निकट बख्शी के तालाब स्टेशन पर और दूसरा नेपाल सीमा पर स्थित नौतनवा स्टेशन को ऑटोमोबाइल ट्रैफिक के लिए उपयुक्त बनाया गया. कोरोना के दौरान वर्ष 2020 में पूर्वोत्तर रेलवे ने 150 करोड़ का राजस्व स्क्रैप बिक्री से प्राप्त किया. यही नहीं 'क्लीन इंडिया मिशन' के क्रम में 46 हजार मिट्रिक टन लौह धातु, 18 सौ मिट्रिक टन अलौह धातु, 19 पुराने वैगन, 58 पुराने कोच, 48 पुराने इंजन और परित्यक्त भवनों को निस्तारित किया गया.

पूर्वोत्तर रेलवे के सीपीआरओ पंकज कुमार सिंह की माने तो संकट के समय पूर्वोत्तर रेलवे द्वारा उठाए गए, इस कदम की सराहना भारतीय रेलवे ने की है. उन्होंने कहा कि यात्री सुविधा के साथ संकट के समय जरूरी सभी सुविधाओं को विस्तार देने के लिए रेलवे बोर्ड के निर्देशों का पालन पूर्वोत्तर रेलवे करेगा.

पढ़ें- सब-वे निर्माण के चलते इस रूट पर चलने वाली ट्रेनें प्रभावित होंगी, यहां देखें...

गोरखपुर: कोरोना की महामारी के बीच वित्तीय वर्ष 2020-21 में पूर्वोत्तर रेलवे ने कई क्षेत्रों में सफलता के नए कीर्तिमान स्थापित किए हैं. माल गाड़ियों की औसत गति से लेकर समय पालन, संरक्षा और पैरामीटर्स में कई रिकॉर्ड बनाए. इस वर्ष में सुधारों के फलस्वरुप लगभग 70% विद्युतीकरण का लक्ष्य रेलवे ने पूरा किया है, जिससे विद्युत इंजन से गाड़ियों का संचालन हो रहा है. इस व्यवस्था को अपनाए जाने से ईंधन की बचत के साथ पर्यावरण में भी सुधार हो रहा है. करीब 561.36 किलोमीटर रूट का विद्युतीकरण कार्य पूर्वोत्तर रेलवे में कोविड के दौरान हुआ. यह भारतीय रेलवे में दूसरा सर्वाधिक रिकॉर्ड है. रेल खंडों के विद्युतीकरण के बाद सबसे बड़ी चुनौती इसके कर्मचारियों को कार्य में दक्ष बनाने की रही, जिसके लिए कार्यशाला और प्रशिक्षण के कार्यक्रम के संचालन में भी पूर्वोत्तर रेलवे ने मिसाल कायम किया.

गोरखपुर जंक्शन
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भारतीय रेलवे में रिकॉर्ड
इसी प्रकार कोविड-19 के दौरान जब यात्री सेवाएं पूरी तरह रोक दी गई थी और आवश्यक सामग्रियों की आपूर्ति बनाए रखने के लिए यातायात चालू रखा गया था, तो लोडिंग-अनलोडिंग के मामले के त्वरित निस्तारण में भी पूर्वोत्तर रेलवे काफी आगे रहा है. यहां तक कि नए माल के ट्रांसपोर्टेशन में भी बांग्लादेश, नेपाल को ऑटोमोबाइल और एफएमसीजी के प्रोडक्ट भेजे गए. इस दौरान ऑटोमोबाइल लोडिंग में 80% की वृद्धि दर्ज हुई. बांग्लादेश को 21 ट्रेन रैक के माध्यम से ऑटोमोबाइल और एफएमसीजी के गुड्स भेजे गए. देश के विभिन्न हिस्सों में 84 रैक के माध्यम से सामानों को भेजा गया. इस दौरान पूर्वोत्तर रेलवे ने 445 पुराने आईसीएफ कोच को एनएमजी वैगन में परिवर्तित किया, जो भारतीय रेलवे में एक रिकॉर्ड है.

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कोरोना में दोगुनी स्पीड से दौड़ी मालगाड़ियां
कोविड-19 के दौरान मालगाड़ियों की औसत गति 25.58 किलोमीटर प्रति घंटा से बढ़ाकर 46.66 किलोमीटर प्रति घंटा की गई. माल यातायात वृद्धि करने के लिए व्यापारियों से संपर्क किया गया और उनकी आवश्यकतानुसार माल गोदामों में सुधार और विस्तार किया गया. दो बड़े माल गोदाम एक लखनऊ के निकट बख्शी के तालाब स्टेशन पर और दूसरा नेपाल सीमा पर स्थित नौतनवा स्टेशन को ऑटोमोबाइल ट्रैफिक के लिए उपयुक्त बनाया गया. कोरोना के दौरान वर्ष 2020 में पूर्वोत्तर रेलवे ने 150 करोड़ का राजस्व स्क्रैप बिक्री से प्राप्त किया. यही नहीं 'क्लीन इंडिया मिशन' के क्रम में 46 हजार मिट्रिक टन लौह धातु, 18 सौ मिट्रिक टन अलौह धातु, 19 पुराने वैगन, 58 पुराने कोच, 48 पुराने इंजन और परित्यक्त भवनों को निस्तारित किया गया.

पूर्वोत्तर रेलवे के सीपीआरओ पंकज कुमार सिंह की माने तो संकट के समय पूर्वोत्तर रेलवे द्वारा उठाए गए, इस कदम की सराहना भारतीय रेलवे ने की है. उन्होंने कहा कि यात्री सुविधा के साथ संकट के समय जरूरी सभी सुविधाओं को विस्तार देने के लिए रेलवे बोर्ड के निर्देशों का पालन पूर्वोत्तर रेलवे करेगा.

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