गोरखपुरः प्रदेश में भीषण गर्मी से लोगों का का घरों से निकलना मुश्किल है. जो घर या बाहर है, उन्हें भरपूर मात्रा में पानी पीने की जरूरत है. गर्मी के मौसम में अक्सर नि:शुल्क पेयजल की व्यवस्था भी जगह-जगह दिख जाती है. लेकिन, गोरखपुर नगर निगम शहर में पेयजल केंद्रों के लेकर गंभीर नहीं है. निगम ने अपनी तरफ से कहीं भी पेयजल केंद्र की स्थापना नहीं की है. इसके साथ ही गर्मी के मौसम में लोगों को पानी पीने के व्यवस्था के लिए उसकी निर्भरता एनजीओ पर है. जिले के नवनिर्वाचित महापौर, डॉ. मंगलेश श्रीवास्तव खुद मीडिया के सामने यह बयान दे रहे हैं.
दरअसल, गोरखपुर महापौर डॉ. मंगलेश श्रीवास्तव जिला अस्पताल में मरीजों को दी जाने वाली सुविधाओं का निरीक्षण करने पहुंचे थे. इस दौरान पेयजल की समस्या से जूझ रहा एक तीमारदार उनके सामने फूट पड़ा. अस्पताल के एसआईसी और अन्य डॉक्टरों से भी उसकी इस बात को लेकर तीखी नोकझोंक हुई. अस्पताल की कार्य प्रणाली और लापरवाही को लेकर भी तीमारदार ने नाराजगी जतायी. उसने कहा कि पानी की व्यवस्था अस्पताल में नहीं है, तो इस गर्मी में मरीज और उसके परिजन कैसे जियेंगे.
मीडिया ने जब महापौर से इस मामले सवाल किया तो उन्होंने कहा, 'पेयजल की व्यवस्था कराई जाएगी. निगम इसके लिए NGO से संपर्क कर रहा है. उन्हीं के माध्यम से पेयजल केंद्रों की स्थापना करके लोगों को गर्मी से राहत पहुंचाई जाएगी. कई जगहों पर एनजीओ के माध्यम से लोगों के लिए पेयजल केंद्र स्थापित किये गये हैं.
बता दें कि जिला अस्पताल में पेयजल की व्यवस्था पूरी तरह से लड़खड़ाई हुई है. यहां सिर्फ एक से दो केंद्रों पर पीने के पानी की व्यवस्था है. उसमें भी समय-समय पर पानी गायब हो जाता है. भीषण गर्मी झेलने के लिए मरीज और तीमारदार पानी खरीदकर पीने को मजबूर हैं. निरीक्षण के बाद महापौर ने अपने बयान में कहा कि जिला अस्पताल में पहले से अच्छी व्यवस्था है. फिर भी जो कमियां हैं, उन्हें दूर करने का प्रयास किया जाएगा.
गौरतलब है कि शहर में पारा इन दिनों 42 से 44 डिग्री का पास है. दोपहर 12:00 से 4:00 बजे तक सड़कों पर मजबूरी में निकल रहे लोग तपती गर्मी और तेज लू से परेशान है. ऐसे में लोगों को पेयजल उपलब्ध कराने के लिए नगर निगम का एनजीओ के भरोसे रहना जनता के प्रति उनकी गंभीरता पर सवाल खड़े करता है.
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