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अब हिंदी में होगी इंजीनियरिंग की पढ़ाई, गोरखपुर MMTU ने तेज किए प्रयास - मदन मोहन मालवीय तकनीकी विश्वविद्यालय

अब हिंदी भाषी छात्र भी इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर सकेंगे. जी हां, अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (AICTE) ने इंजीनियरिंग विश्वविद्यालयों और कॉलेजों को हिंदी सहित 8 भाषाओं में इंजीनियरिंग की पढ़ाई की इजाजत दे दी है. गोरखपुर के मदन मोहन मालवीय तकनीकी विश्वविद्यालय में इस सुविधा का लाभ छात्रों को देने के लिए प्रयास शुरू हो गया है.

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गोरखपुर
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Published : May 29, 2021, 9:21 PM IST

गोरखपुर : अंग्रेजी भाषा की कमजोरी से इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने से खुद को दूर करने वाले हिंदी माध्यम के होनहार छात्र भी अब इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर सकेंगे. यही नहीं, देश के विभिन्न हिस्सों में कुछ क्षेत्रीय भाषाओं में भी अब इसकी पढ़ाई संभव होगी. अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (AICTE) ने इंजीनियरिंग कॉलेजों और विश्वविद्यालयों को नए शैक्षिक सत्र 2021-22 में हिंदी समेत बंगाली, मराठी, गुजराती और अन्य चार भाषाओं में इंजीनियरिंग की पढ़ाई की इजाजत दे दी है. इस वर्ष होने वाली प्रवेश परीक्षा से लेकर दाखिले तक में विद्यार्थियों को यह सुविधा प्राप्त होगी. इस निर्देश के बाद गोरखपुर के विश्व प्रसिद्ध इंजीनियरिंग संस्थान मदन मोहन मालवीय तकनीकी विश्वविद्यालय में इस सुविधा का लाभ छात्रों को देने के लिए प्रयास शुरू हो गया है.


AICTE ने इंजीनियरिंग कॉलेजों को जारी किया हैंडबुक, 8 भाषाओं में इंजीनियरिंग की सुविधा

AICTE ने इंजीनियरिंग कॉलेजों और विश्वविद्यालयों को इस संबंध में जो अपना हैंडबुक दिया है, उसमें समस्त जानकारी उपलब्ध है. इस तरह की हैंडबुक AICTE प्रतिवर्ष जारी करती है. लेकिन, इस बार हिंदी समेत अन्य 8 भाषाओं में इंजीनियरिंग की पढ़ाई की स्वीकृति मिलने से ग्रामीण परिवेश के छात्रों को फायदा होगा. जो छात्र अंग्रेजी में कमजोर होने की वजह से इंजीनियरिंग की पढ़ाई नहीं कर पाते थे, अब उन्हें इस नई व्यवस्था से लाभ मिलेगा.


MMMTU भी इस सुविधा का लाभ लेने के लिए आवेदन देने की कर रहा तैयारी

मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय गोरखपुर के कुलपति प्रोफेसर जे पी पांडेय की मानें तो AICTE ने जो हैंडबुक जारी किया है, उसमें लिखा है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के प्रावधानों को ध्यान में रखते हुए आठ भारतीय भाषाओं में इंजीनियरिंग की शिक्षा दी जा सकेगी. इसके लिए इच्छुक इंजीनियरिंग कॉलेजों को मानक पूरा करते हुए इसके लिए आवेदन करना होगा. AICTE ने खास तौर पर आदिवासी और ग्रामीण इलाकों के छात्रों को ध्यान में रखते हुए इसकी शुरुआत की है. नई शिक्षा नीति के तहत स्कूली शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक भारतीय भाषाओं में पढ़ाई को प्राथमिकता दी गई है. प्रोफेसर पांडेय ने कहा कि उनका विश्वविद्यालय भी इस सुविधा का लाभ लेने के लिए आवेदन पर विचार कर रहा है. इससे पूर्वांचल का यह गौरवशाली तकनीकी विश्वविद्यालय होनहार और प्रतिभावान छात्रों को इंजीनियरिंग की पढ़ाई का अवसर प्रदान कर सकेगा.

गोरखपुर : अंग्रेजी भाषा की कमजोरी से इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने से खुद को दूर करने वाले हिंदी माध्यम के होनहार छात्र भी अब इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर सकेंगे. यही नहीं, देश के विभिन्न हिस्सों में कुछ क्षेत्रीय भाषाओं में भी अब इसकी पढ़ाई संभव होगी. अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (AICTE) ने इंजीनियरिंग कॉलेजों और विश्वविद्यालयों को नए शैक्षिक सत्र 2021-22 में हिंदी समेत बंगाली, मराठी, गुजराती और अन्य चार भाषाओं में इंजीनियरिंग की पढ़ाई की इजाजत दे दी है. इस वर्ष होने वाली प्रवेश परीक्षा से लेकर दाखिले तक में विद्यार्थियों को यह सुविधा प्राप्त होगी. इस निर्देश के बाद गोरखपुर के विश्व प्रसिद्ध इंजीनियरिंग संस्थान मदन मोहन मालवीय तकनीकी विश्वविद्यालय में इस सुविधा का लाभ छात्रों को देने के लिए प्रयास शुरू हो गया है.


AICTE ने इंजीनियरिंग कॉलेजों को जारी किया हैंडबुक, 8 भाषाओं में इंजीनियरिंग की सुविधा

AICTE ने इंजीनियरिंग कॉलेजों और विश्वविद्यालयों को इस संबंध में जो अपना हैंडबुक दिया है, उसमें समस्त जानकारी उपलब्ध है. इस तरह की हैंडबुक AICTE प्रतिवर्ष जारी करती है. लेकिन, इस बार हिंदी समेत अन्य 8 भाषाओं में इंजीनियरिंग की पढ़ाई की स्वीकृति मिलने से ग्रामीण परिवेश के छात्रों को फायदा होगा. जो छात्र अंग्रेजी में कमजोर होने की वजह से इंजीनियरिंग की पढ़ाई नहीं कर पाते थे, अब उन्हें इस नई व्यवस्था से लाभ मिलेगा.


MMMTU भी इस सुविधा का लाभ लेने के लिए आवेदन देने की कर रहा तैयारी

मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय गोरखपुर के कुलपति प्रोफेसर जे पी पांडेय की मानें तो AICTE ने जो हैंडबुक जारी किया है, उसमें लिखा है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के प्रावधानों को ध्यान में रखते हुए आठ भारतीय भाषाओं में इंजीनियरिंग की शिक्षा दी जा सकेगी. इसके लिए इच्छुक इंजीनियरिंग कॉलेजों को मानक पूरा करते हुए इसके लिए आवेदन करना होगा. AICTE ने खास तौर पर आदिवासी और ग्रामीण इलाकों के छात्रों को ध्यान में रखते हुए इसकी शुरुआत की है. नई शिक्षा नीति के तहत स्कूली शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक भारतीय भाषाओं में पढ़ाई को प्राथमिकता दी गई है. प्रोफेसर पांडेय ने कहा कि उनका विश्वविद्यालय भी इस सुविधा का लाभ लेने के लिए आवेदन पर विचार कर रहा है. इससे पूर्वांचल का यह गौरवशाली तकनीकी विश्वविद्यालय होनहार और प्रतिभावान छात्रों को इंजीनियरिंग की पढ़ाई का अवसर प्रदान कर सकेगा.

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