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गोरखपुर: लीची की मिठास पर कोरोना की नजर, दवा न मिलने से बागवानी पर असर

लॉकडाउन का प्रभाव सिर्फ इंसानों पर नहीं बल्कि पेड़-पौधों के साथ फसलों और बागवानियों पर भी दिखाई दे रहा है. गोरखपुर में लॉकडाउन की मार का सीधा असर लीची की बागवानी पर पड़ा है. दवा न मिलने से फलों के बौर असमय मुरझा रहे हैं.

किसान बेगु निषाद.
किसान बेगु निषाद.
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Published : May 10, 2020, 8:38 PM IST

गोरखपुरः लॉकडाउन का बुरा प्रभाव किसानों की फलों की बागवानी पर देखने को मिल रहा है. समय से दवा इलाज न मिलने से फलों के बौर असमय झड़ रहे हैं, जिससे पैदावार को काफी नुकसान पहुंच रहा है. कोरोना महामारी के कारण देशव्यापी लॉकडाउन में सभी दुकानें बंद हैं. इसके कारण किसानों को समय रहते दवा और टॉनिक उपलब्ध नहीं हो पा रहा है. वक्त पर दवा का छिड़काव हुआ तो किसानों की पैदावर अच्छी होती. फिलहाल किसान किसी तरह दवाओं की व्यवस्था करके फलों के बौर को बचाने में लगे हैं.

लीची की बागवानी के बारे में जानकारी देते किसान.

दवा न मिलने से सुखे बौर
जनपद के भटहट ब्लॉक अन्तर्गत ग्राम पंचायत बरगदहीं में दानिश बाबू सब्जपोस ऊर्फ डिस्क बाबू ने 12 एकड़ भूमि पर लीची और आम का बागिचा लगा रखा है. गुलरिहा के एक अनुभवी किसान बेगु निषाद बाग को लीज पर लेकर फसल उगाते हैं. किसान बेगु निषाद बताते हैं कि लीची की बागवानी करने के लिए दोमट बलुअई मिट्टी मुफीद होती है. देशव्यापी लॉकडाउन के कारण बाजारों में आवश्यकता के अनुसार समय से कीटनाशक और टॉनिक दवा नहीं मिल रही है, जिससे बौर और फली समय से पहले झड़ने लगी है.

बारिश और पछुआ ने फलों को पहुंचाया नुकसान
किसान बेगु निषाद बताते हैं कि प्रकृति की मार ऐसी पड़ी की पहली बारिश का पानी तेजाब की तरह सख्त था, जिससे लीची की बागवानी को खासा नुकसान पहुंचा और बौर सूखने लगे. किसान ने बताया कि अगर समय पर दवा मिली होती तो बौर को सूखने से बचा लिया जाता. फलों को पछुआ हवाओं ने भी काफी नुकसान पहुंचाया तो वहीं गदईला कीट फलों को काट कर नुकसान पहुंचाने लगे. फलों को बचाने के लिए डानुट्रोल नाम की दवा का बंदोबस्त कर उसका छिड़काव किया जा रहा है.

लीची की बागवानी में सिंचाई का खास महत्व
किसान बेगु निषाद बताते हैं कि लीची की बागवानी में सिंचाई का खास महत्व होता है. निरंतर सिंचाई होने से पेड़ के नीचे की जमीन नरम रहती है. दरख्तों के जड़ बढ़ने लगते हैं. पकड़ मजबूत होने पर नीचे से भी दरख्तों को मनचाहा भोजन मिलता है. पोषक तत्व जमीन के नीचे से उठाकर फलों तक जड़ के माध्यम से पहुंचते हैं, जिससे फल तो बड़ा होता ही है, वहीं गूदेदार भी होता है.

लीची के पेड़ों को बचाने के लिए वैज्ञानिकों की राय
कृषि विज्ञान केन्द्र गोरखपुर (बेईलीपार) के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. एस.पी सिंह ने बताया कि फलों को गिरने से बचाने के लिए बोरेक्स 4 ग्राम/लीटर पानी के साथ छिड़काव करें. लीची के बागों में फल बेधक कीट से बचाव के लिए थियोक्लोरोपिड 0.75 मिली लीटर या नोवालयूरान 1.5 मिली प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें. लीची के फलों को फटने से बचाने के लिए बोरेक्स 4 ग्राम पति लीटर पानी की दर से छिड़काव करें.

इसे भी पढ़ें- अंकलेश्वर रेलवे स्टेशन से गोरखपुर के लिए रवाना हुई 'श्रमिक स्पेशल ट्रेन'

गोरखपुरः लॉकडाउन का बुरा प्रभाव किसानों की फलों की बागवानी पर देखने को मिल रहा है. समय से दवा इलाज न मिलने से फलों के बौर असमय झड़ रहे हैं, जिससे पैदावार को काफी नुकसान पहुंच रहा है. कोरोना महामारी के कारण देशव्यापी लॉकडाउन में सभी दुकानें बंद हैं. इसके कारण किसानों को समय रहते दवा और टॉनिक उपलब्ध नहीं हो पा रहा है. वक्त पर दवा का छिड़काव हुआ तो किसानों की पैदावर अच्छी होती. फिलहाल किसान किसी तरह दवाओं की व्यवस्था करके फलों के बौर को बचाने में लगे हैं.

लीची की बागवानी के बारे में जानकारी देते किसान.

दवा न मिलने से सुखे बौर
जनपद के भटहट ब्लॉक अन्तर्गत ग्राम पंचायत बरगदहीं में दानिश बाबू सब्जपोस ऊर्फ डिस्क बाबू ने 12 एकड़ भूमि पर लीची और आम का बागिचा लगा रखा है. गुलरिहा के एक अनुभवी किसान बेगु निषाद बाग को लीज पर लेकर फसल उगाते हैं. किसान बेगु निषाद बताते हैं कि लीची की बागवानी करने के लिए दोमट बलुअई मिट्टी मुफीद होती है. देशव्यापी लॉकडाउन के कारण बाजारों में आवश्यकता के अनुसार समय से कीटनाशक और टॉनिक दवा नहीं मिल रही है, जिससे बौर और फली समय से पहले झड़ने लगी है.

बारिश और पछुआ ने फलों को पहुंचाया नुकसान
किसान बेगु निषाद बताते हैं कि प्रकृति की मार ऐसी पड़ी की पहली बारिश का पानी तेजाब की तरह सख्त था, जिससे लीची की बागवानी को खासा नुकसान पहुंचा और बौर सूखने लगे. किसान ने बताया कि अगर समय पर दवा मिली होती तो बौर को सूखने से बचा लिया जाता. फलों को पछुआ हवाओं ने भी काफी नुकसान पहुंचाया तो वहीं गदईला कीट फलों को काट कर नुकसान पहुंचाने लगे. फलों को बचाने के लिए डानुट्रोल नाम की दवा का बंदोबस्त कर उसका छिड़काव किया जा रहा है.

लीची की बागवानी में सिंचाई का खास महत्व
किसान बेगु निषाद बताते हैं कि लीची की बागवानी में सिंचाई का खास महत्व होता है. निरंतर सिंचाई होने से पेड़ के नीचे की जमीन नरम रहती है. दरख्तों के जड़ बढ़ने लगते हैं. पकड़ मजबूत होने पर नीचे से भी दरख्तों को मनचाहा भोजन मिलता है. पोषक तत्व जमीन के नीचे से उठाकर फलों तक जड़ के माध्यम से पहुंचते हैं, जिससे फल तो बड़ा होता ही है, वहीं गूदेदार भी होता है.

लीची के पेड़ों को बचाने के लिए वैज्ञानिकों की राय
कृषि विज्ञान केन्द्र गोरखपुर (बेईलीपार) के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. एस.पी सिंह ने बताया कि फलों को गिरने से बचाने के लिए बोरेक्स 4 ग्राम/लीटर पानी के साथ छिड़काव करें. लीची के बागों में फल बेधक कीट से बचाव के लिए थियोक्लोरोपिड 0.75 मिली लीटर या नोवालयूरान 1.5 मिली प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें. लीची के फलों को फटने से बचाने के लिए बोरेक्स 4 ग्राम पति लीटर पानी की दर से छिड़काव करें.

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