लखनऊ : प्रदेश में लंबित स्टाम्प वादों के निस्तारण को लेकर राज्य सरकार ने एक बार फिर स्टांप कमी समाधान योजना लागू करने का फैसला लिया है. इस योजना के तहत भारतीय स्टाम्प अधिनियम, 1899 के अंतर्गत चल रहे वादों को शीघ्रता से निपटाने की दिशा में कदम उठाए जाएंगे. मंत्री रवींद्र जायसवाल ने कहा कि स्टाम्प कमी पर चार गुना अर्थदंड के स्थान पर अब केवल ₹100 का अर्थदंड लिया जाएगा, जिससे जनता को राहत मिलेगी.
प्रदेश के स्टांप तथा पंजीयन मंत्री रवींद्र जायसवाल ने बताया कि मंडलीय राजस्व न्यायालय में 4553 लंबित वाद हैं, जिसका अर्थदंड 60.67 करोड़ है. जिलाधिकारी राजस्व न्यायालय में 8169 लंबित वाद है, जिसका अर्थदंड 1707.91 करोड़ है. अपर जिला अधिकारी राजस्व न्यायालय में 17643 वाद लंबित हैं, जिसका अर्थदंड 2602.21 करोड़ है. उन्होंने बताया कि सहायक आयुक्त स्टांप राजस्व न्यायालय में अर्थ दंड 516.26 करोड़ है. सीसीआरए प्रयागराज में लंबितवाद 535 हैं, जिसका अर्थदंड 610.85 करोड़ है. कुल लंबितवाद 53631 है, जिसका अर्थदंड 5497.90 करोड़ है.
प्रदेश के स्टांप तथा पंजीयन मंत्री ने बताया कि राज्य के विभिन्न राजस्व न्यायालयों में बड़ी संख्या में स्टाम्पवाद लंबित हैं. 1 नवंबर 2024 तक प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, उन्होंने कहा कि इन लंबित वादों में से कई मामले 5 वर्ष से भी अधिक पुराने हैं, जिनका त्वरित निस्तारण न केवल न्याय प्रक्रिया में तेजी लाएगा, बल्कि राज्य सरकार की राजस्व क्षति को भी कम करेगा.
योजना के लाभ : स्टांप तथा पंजीयन मंत्री ने बताया कि पुराने वादों का त्वरित निस्तारण होगा, जिससे वादकारियों को न्याय में देरी के कारण बढ़ने वाले ब्याज का बोझ नहीं उठाना पड़ेगा. उन्होंने कहा कि स्टाम्प कमी पर चार गुना अर्थदंड के स्थान पर अब केवल ₹100 का अर्थदंड लिया जाएगा, जिससे जनता को राहत मिलेगी. उन्होंने कहा कि सरकार ने 31 मार्च तक लागू किया है. उन्होंने बताया कि लंबी अवधि तक वाद लंबित रहने से जो ब्याज राशि बढ़ती थी, वह अब त्वरित निस्तारण से कम होगी.
योजना का प्रभाव : मंत्री ने कहा कि यह समाधान योजना 31 मार्च 2025 तक प्रभावी रहेगी. योजना के तहत, पक्षकार निर्धारित प्रारूप पर नोटिस प्राप्त करेंगे और यदि वे इंगित स्टाम्प कमी व नियमानुसार देय ब्याज अदा करने के इच्छुक हैं, तो संबंधित अधिकारी के समक्ष प्रार्थना पत्र प्रस्तुत कर सकते हैं. इससे न केवल राजस्व वसूली में तेजी आएगी, बल्कि राज्य सरकार की आय में भी वृद्धि होगी.
स्टांप तथा पंजीयन मंत्री ने बताया कि राजस्व विभाग की इस पहल से न केवल लंबित वादों का निस्तारण होगा, बल्कि जनता और सरकार दोनों को आर्थिक लाभ होगा. सरकार के इस कदम से न्यायिक प्रक्रिया में पारदर्शिता और त्वरितता लाने की दिशा में एक सकारात्मक बदलाव देखने को मिलेगा.