गोरखपुर : कोरोना पर नियंत्रण के लिए गोरखपुर में डॉक्टरों की नई फौज तैयार हो रही है. अब हर विधा के डॉक्टर कोरोना वायरस का उपचार करेंगे. सभी डाक्टरों को कोरोना का प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है. सरकारी के साथ ही प्राइवेट डॉक्टर भी प्रशिक्षण लेने के लिए तेजी से वर्चुअल और खुली मीटिंग में शामिल हो रहे हैं. मंडलायुक्त जयंत नारलीकर के निर्देश पर एनेक्सी भवन में शहर के तमाम प्राइवेट डॉक्टरों ने उपस्थित होकर इस महामारी से लड़ने में अपनी सहमति दी. वहीं इससे सीएचसी और पीएचसी पर तैनात डॉक्टरों ने भी इसमें बढ़-चढ़कर भाग लिया.
कोरोना के शुरुआती दौर में इसके संक्रमण के फैलने और इलाज की कोई विशेष गाइडलाइन न होने के कारण, डॉक्टर के सामने सबसे बड़ी मुसीबत यह थी कि किन दवाओं से मरीजों को ठीक किया जाए. लेकिन मौजूदा दौर में कुछ दवाएं और होम आइसोलेशन की प्रक्रिया भी बेहद कारगर साबित हो रही है. मंडलायुक्त के अनुसार एक तरफ जहां संक्रमण बढ़ रहा है तो वहीं प्रतिदिन पांच हजार सैंपल जांच के लिए भेजा जाना लक्ष्य है. जिसके सापेक्ष संक्रमितों को ठीक करने के लिए हर विधा के डॉक्टरों को प्रशिक्षित करना समय की मांग है. इसलिए शहर से लेकर देहात तक में फैले सरकारी और प्राइवेट डॉक्टरों को इस महामारी में एकजुट होकर काम करने कि जहां प्रेरणा दी गई. वहीं सबको प्रशिक्षित भी किया गया. इस प्रशिक्षण के पीछे तर्क यह है कि यदि कोई व्यक्ति दुर्घटनाग्रस्त हो जाता है और कोरोना पॉजिटिव भी है तो उसका इलाज और ऑपरेशन करने वाले डॉक्टर को भी कोरोना के ट्रीटमेंट की जानकारी होनी चाहिए. जिससे वह दोनों इलाज मरीज को दे सके.
जिले में कहां कितने हैं डॉक्टर
आंकड़ों की बात करें तो जिले में डॉक्टरों की कुल संख्या 900 है. जिसमें सीएचसी और पीएचसी पर तैनात डॉक्टरों की संख्या 192 है. जिला अस्पताल में 37 डॉक्टर तैनात हैं. तो प्राइवेट डॉक्टरों की संख्या 500 के करीब है. इसके अलावा बीआरडी मेडिकल कॉलेज, एम्स और अन्य अस्पतालों में अभी 171 डॉ. तैनात हैं. जिनमें सभी को कोरोना के इलाज के लिए पूरी तरह से प्रशिक्षण के साथ तैयार कर देना जिला प्रशासन का लक्ष्य है. इसके अलावा जिले में कोरोना संक्रमितों का आंकड़ा अबतक 17231 हो गई है. जिसमें 280 की अब तक मौत हो गई है. इसी के साथ 15393 स्वस्थ हुए हैं और अभी 1558 लोगों का इलाज चल रहा है. कमिश्नर का जोर है कि होम आइसोलेशन के मरीजों की निगरानी स्वास्थ्य टीम बराबर लेती रहे और किसी भी गंभीर दशा में उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया जाय.