गोरखपुर: जिले में अनियोजित तरीके से हो रहे निर्माण कार्याें के मामले लगातार सामने आ रहे हैं. कई कॉलोनियां और कॉमर्शियल बिल्डिंग अनियोजित तरीके से बनाई गई हैं. जिले में कई लोग नक्शे पास कराए बिना ही भवनों का निर्माण करा रहे हैं और बाद में नक्शे पास कराते हैं. इसकी वजह से लगातार कई शिकायतें मिल रही हैं. गोरखपुर विकास प्राधिकरण ने नक्शों को तलाशने का नायाब तरीका ढूंढ निकाला है. जिला विकास प्राधिकरण अपने इस तरीके को बिजली विभाग के सहयोग से पूरा करेगा, जिसके लिए उसने अपने रिकॉर्ड को खंगालना और सुधारना शुरू कर दिया है. विभाग के रडार पर सबसे पहले ऐसे मकान मालिक तलाशे जाएंगे, जिन्होंने 5 किलोवाट से 10 किलोवाट तक का बिजली कनेक्शन लिया है.
दरअसल, गोरखपुर विकास प्राधिकरण ने कई बार अभियान चलाकर शहरवासियों से घरों का नक्शा पास कराने की अपील की है. विज्ञापन भी निकाला और कैंप भी लगाये गये, लेकिन फिर लोगों ने नक्शा पास नहीं कराया. एक तरफ उसे शहर को सुनियोजित विकास के पैमाने पर खड़ा करना है तो वहीं अपनी मजबूती के लिए खुद के राजस्व को बढ़ाने का उपाय भी करना है. इसके लिए भवनों का नक्शा पास करना ही सबसे बड़ा उपाय है. इस बीच विकास प्राधिकरण को कॉमर्शियल कॉम्प्लेक्स, नर्सिंग होम, होटल आदि के बिना नक्शे के निर्माण की जानकारी मिलती रही. विकास प्राधिकरण ने अपने आंकड़े और दुरुस्त करने के लिए बिजली के अधिक लोड लेने वाले लोगों का ब्योरा जुटाने की योजना बनाई, जो एक बड़ी पहल नजर आ रही है.
बिना नक्शे के बन रही थीं बिल्डिंग्स
गोरखपुर विकास प्राधिकरण शहर के 70 वार्ड में किए जाने वाले सभी प्रकार के निर्माण के लिए नक्शे की स्वीकृति प्रदान करता है. इसके अलावा उसके सीमा विस्तार में साल दर साल कुछ न कुछ गांव जुड़ते जाते हैं, वहां पर भी होने वाले निर्माण के लिए नक्शे को पास कराना जरूरी होता है. गोरखपुर में प्राधिकरण को ऐसी तमाम रिपोर्ट मिल रही थी, जिसमें बिना नक्शे के मकान और कॉमर्शियल कॉम्प्लेक्स बनाए जा रहे थे. ऐसे कुछ मामलों पर कार्रवाई की गई, लेकिन उससे कुछ ज्यादा फर्क नहीं पड़ा. लिहाजा विकास प्राधिकरण ने मंथन करते हुए प्लान तैयार किया, जिसमें बिजली विभाग का अधिक भार वाला कनेक्शन सामने आया है. इसके आधार पर अब जीडीए जांच भी करेगा और कार्रवाई भी.