गोरखपुर: पूर्व मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह की आज (30 मई) को पुण्यतिथि पर उन्हें याद किया गया. उनके परिजनों और समर्थकों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी. शहर के इंदिरा बाल चौक पर स्थापित उनकी प्रतिमा पर लोगों ने फूल समर्पित किए. गोरखपुर में विकास को लेकर वीर बहादुर सिंह ने अपना योगदान दिया था.
जिले के हरनही गांव में 18 फरवरी 1935 में वीर बहादुर सिंह का जन्म हुआ था. पूर्व मुख्यमंत्री अपने बालपन में ही सन् 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन से जुड़े थे. उन्होंने छात्र जीवन से ही राजनीति में रुचि लेना शुरू कर दिया था. युवा नेता ओम प्रकाश पाण्डेय के साथ वह राजनीति में उतरे थे. वहीं, ओम प्रकाश पाण्डेय की अचानक मौत से वीर बहादुर को बहुत दुख हुआ था.
वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल की राजनीति में उभर कर सामने आए थे. लेकिन 30 मई 1990 में पेरिस में उनकी हार्ट अटैक से मृत्यु हो गई. इस घटना से गोरखपुर समेत पूरे यूपी में शोक की लहर दौड़ गई थी. इसके साथ ही गोरखपुर के विकास पर भी विराम लग गया.
वीर बहादुर सिंह सर्वप्रथम 1967 में उत्तर प्रदेश विधान सभा के पनियरा निर्वाचन क्षेत्र से गोरखपुर से विधायक निर्वाचित हुए थे. दोबारा 1969, 1974, 1980 और 1985 तक पांच बार उत्तर प्रदेश विधान सभा के सदस्य निर्वाचित हुए. सन् 1988-1989 तक राज्यसभा के सदस्य भी रहे थे. 24 सितंबर 1985 से 24 जून 1988 तक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पद पर रहे.
वीर बहादुर सिंह 30 मई 1988 से 1989 तक केंद्रीय संचार मंत्री भी रहे. इसके अलावा वह जिला युवक कांग्रेस गोरखपुर के संयोजक भी रहे थे. वह उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी (Uttar Pradesh Congress Committee) और अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (All India Congress Committee) के सदस्य भी रहे हैं. उसके बाद उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महामंत्री भी रहे थे. इन्होंने युवाओं को रोजगार मिले. इसके लिए कई योजनाएं भी चलाई थीं. वह यूपी को देश का औद्योगिक केंद्र भी बनाने की ख्वाहिश रखते थे. ऐसा माना जाता है कि वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल और गोरखपुर विकास के शिल्पी थे.
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