गोरखपुरः माफिया जेल में हों या बाहर, पुलिस के लिए सिर दर्द ही बने रहते हैं. कुछ ऐसी ही हालात जिला जेल में बंद टॉप माफिया ने पुलिस और जिला प्रशासन के समाने पैदा कर दिया है. जेल में गैंगवार बढ़ने की आशंका बढ़ गई थी. जिसे देखते हुए मंडलीय कारागार में बंद टॉप पांच माफिया को मंगलवार की रात दूसरे जेलों में ट्रांसफर कर दिया गया. माफिया अजीज शाही को अभी गोरखपुर जेल में रोका गया है और उस पर निगरानी तेज कर दी गई है. जबकि माफिया सुधीर सिंह, राकेश यादव, सनी और मुलायम सिंह यादव समेत पांच लोग विभिन्न जिलों में ट्रांसफर किए गए हैं.
माफिया राकेश यादव पर 50 मुकदमे दर्ज
बता दें कि प्रदेश के टॉप 61 माफिया की सूची में सुधीर सिंह के खिलाफ अप्रैल माह में कोर्ट से वारंट जारी हुआ था. सुधीर सिंह मई माह में नाटकीय तरीके से महाराजगंज कोर्ट में सरेंडर किया. जिसके बाद वह गोरखपुर जेल लाया गया. इसके पहले जेल में राकेश यादव जैसा माफिया भी बंद था. जिसके ऊपर हत्या, हत्या के प्रयास समेत गंभीर मामलों में कुल 50 मुकदमे दर्ज हैं. इसके अलावा 6 लोगों की हत्या का आरोपी सनी सिंह, मुलायम यादव और बबलू सिंह भी बड़े माफिया भी जेल में बंद है. इनके बीच कभी भी गैंगवार का खतरा जेल प्रशासन महसूस कर रहा था.
सुधीर सिंह जेल से गवाहों को धमका रहा था
इसके बाद इनको दूसरे जेल में ट्रांसफर के लिए डीएम को जेल प्रबंधन ने पत्र भेजा था. डीएम का ग्रीन सिग्नल मिलने के बाद इन माफिया को विभिन्न जिलों में ट्रांसफर कर दिया गया है. जिला प्रशासन की रिपोर्ट पर माफिया सुधीर सिंह को आजमगढ़, राकेश यादव को मऊ, सनी सिंह को संत कबीर नगर, मुलायम यादव को महाराजगंज और बबलू को मऊ जेल में शिफ्ट किया गया है. माफिया सुधीर सिंह पर आरोप है कि वह जेल में रहने के बाद भी गवाहों को धमका रहा था. वहीं इसकी संपत्ति पुलिस के दौरान जब्त भी कर रही थी. अभी 10 दिन पहले शाहपुर थाने में इसके गुर्गों के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ है. सुधीर सिंह पर कुल 36 मुकदमे दर्ज हैं. वहीं, अजीत शाही पर 35 और विनोद उपाध्याय पर 25 मामले दर्ज हैं.
अजीत शाही को मिली है जमानत
इन माफिया के जेल ट्रांसफर होने के बाद भले ही प्रशासन और जेल से जुड़े हुए लोग राहत महसूस कर रहे हो. लेकिन अजीत शाही जैसा माफिया जो गोरखपुर जेल में बंद था, छह माह बाद जमानत पर जेल से बाहर आ गया है. जिसकी निगरानी पुलिस को बड़ी मुस्तादी से करनी पड़ रही है. यहां तक की एलआइयू की ड्यूटी भी लगी है कि इनसे मिलने जुलने वालों पर नजर रखी जाए. अजीत शाही बड़े नाटकीय ढंग से 18 मई को सिविल कोर्ट में काली कोट पहनकर सरेंडर कर गया था.
विनोद उपाध्याय पुलिस के लिए बना चुनौती
वहीं, जिले के टॉप टेन और प्रदेश के 61 माफिया की सूची में शामिल विनोद उपाध्याय अभी भी पुलिस के लिए चुनौती बना हुआ है. इसकी गिरफ्तारी पुलिस कर नहीं पा रही है. वह भी सेफ जोन खोजते हुए सरेंडर करने के फिराक में सफल नहीं हो पा रहा है. जबकि इस बीच उसके परिवार और संपत्ति पर पुलिस प्रशासन ने मिलकर कड़ी कार्रवाई की है. एसपी सिटी कृष्ण कुमार विश्नोई ने कहा कि संदीप अपराधियों को दूसरे जय ट्रांसफर किया गया है. जो जेल से बाहर आए हैं, उनकी निगरानी चल रही है. पुलिस इन अपराधियों के मुकदमों की प्राइवेट तेज का सजा दिलाने पर काम कर रही है.