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गोरखपुर: बारिश से किसानों को मिली राहत, खेत-खलिहान में बनी चहल-पहल

गोरखपुर जिले में पिछले सप्ताह हुई मूसलाधार बारिश से जनजीवन काफी प्रभावित रहा. खेतों में जलभराव से फसलों को काफी नुकसान पहुंचा है. वहीं बारिश बंद होने के बाद किसान फिर से खेती के काम में लग गए हैं.

बारिश से किसानों को मिली राहत.
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Published : Jul 19, 2019, 9:39 PM IST

गोरखपुर: जनपद में पिछले सप्ताह रुक-रुक कर हुई मूसलाधार बारिश से जनजीवन प्रभावित रहा. जलभराव से खेती पर इसका बुरा असर पड़ा. खेतों में रोपे गए धान के पौधे सहित खरीफ की लगभग सभी फसलें प्रभावित हो गईं. सब्जी की फसल पूरी तरह बर्बाद होकर बाजार से गायब हो गई है.

बारिश से जिले में विद्युत व्यवस्था भी लड़खड़ा गई है. कुछ लोगों के मकान भरभरा कर ढह गए हैं. मवेशियों के सामने हरे चारे का संकट खड़ा हो गया है. धान की खेती करने वाले किसानों के माथे पर चिंता की लकीर दिखाई पड़ने लगी. खेतों में भरे पानी देखकर उनके होश उड़ गए. वहीं भारी वर्षा के बाद इस सप्ताह में जब किसानों को बारिश से मोहलत मिली तो वह खेती के कामों में जुट गए. खेत-खलिहान में उनके आवागमन से चहल-पहल बनी हुई है.

बारिश से किसानों को मिली राहत.

बारिश से भरा किसानों के खेतों में पानी-

  • खेतों में भरा पानी कम होने लगा तो किसानों की आस जगने लगी है.
  • जलभराव से सढ़ने गलने से बची फसल को किसान संवारने में जुट गए हैं.
  • जिन किसानों के खेतों में धान की रोपाई अब तक नहीं हुई, उन किसानों ने खेतों में रोपाई करना शुरू कर दिया है.

प्रगतिशील किसान बताते हैं कि अब तक जो नुकसान हुआ उसकी भरपाई कर पाना नामुमकिन है. कर्ज के बोझ तले दबे किसानों पर इस बारिश ने अतरिक्त भार बढ़ा दिया है. किसानों के खून-पसीने की गड़ी कमाई जो खेतों पर खर्च की गई वो बारिश में डूब गई. बारिश से किसानों का जो नुकासान हुआ है, उसको संज्ञान में लेकर शासन-प्रशासन को चाहिए कि बाढ़ से प्रभावित क्षेत्रों का सर्वे कराकर उनको सहायता राशि अनुदान के रूप में दें.

गोरखपुर: जनपद में पिछले सप्ताह रुक-रुक कर हुई मूसलाधार बारिश से जनजीवन प्रभावित रहा. जलभराव से खेती पर इसका बुरा असर पड़ा. खेतों में रोपे गए धान के पौधे सहित खरीफ की लगभग सभी फसलें प्रभावित हो गईं. सब्जी की फसल पूरी तरह बर्बाद होकर बाजार से गायब हो गई है.

बारिश से जिले में विद्युत व्यवस्था भी लड़खड़ा गई है. कुछ लोगों के मकान भरभरा कर ढह गए हैं. मवेशियों के सामने हरे चारे का संकट खड़ा हो गया है. धान की खेती करने वाले किसानों के माथे पर चिंता की लकीर दिखाई पड़ने लगी. खेतों में भरे पानी देखकर उनके होश उड़ गए. वहीं भारी वर्षा के बाद इस सप्ताह में जब किसानों को बारिश से मोहलत मिली तो वह खेती के कामों में जुट गए. खेत-खलिहान में उनके आवागमन से चहल-पहल बनी हुई है.

बारिश से किसानों को मिली राहत.

बारिश से भरा किसानों के खेतों में पानी-

  • खेतों में भरा पानी कम होने लगा तो किसानों की आस जगने लगी है.
  • जलभराव से सढ़ने गलने से बची फसल को किसान संवारने में जुट गए हैं.
  • जिन किसानों के खेतों में धान की रोपाई अब तक नहीं हुई, उन किसानों ने खेतों में रोपाई करना शुरू कर दिया है.

प्रगतिशील किसान बताते हैं कि अब तक जो नुकसान हुआ उसकी भरपाई कर पाना नामुमकिन है. कर्ज के बोझ तले दबे किसानों पर इस बारिश ने अतरिक्त भार बढ़ा दिया है. किसानों के खून-पसीने की गड़ी कमाई जो खेतों पर खर्च की गई वो बारिश में डूब गई. बारिश से किसानों का जो नुकासान हुआ है, उसको संज्ञान में लेकर शासन-प्रशासन को चाहिए कि बाढ़ से प्रभावित क्षेत्रों का सर्वे कराकर उनको सहायता राशि अनुदान के रूप में दें.

Intro:गोरखपुर जनपद में पिछले सप्ताह रुक रुक कर हो रही मूसलाधार वर्षा में जनजीवन प्रभावित रहा. जलभराव से खेती किसानी कार्यों पर इसका बुरा असर पड़ा. क्या धान के बेहन क्या खेतों में रोपे गए धान के पौधे सहित खरीफ की लगभग सभी फसले प्रभावित हो गई. खास कर सब्जी फसल पूरी तरह बर्बाद हो कर बाजार से गायब ही गए है. भारी वर्षा के बाद इस सप्ताह में जब किसानों को बारिश से मोहलत मिली तो खेतीबारी के कामों में जुट गए. खेत खलिहान में उनके आवागमन से चहलपहल बनी हुई है.
Body:पिपराइच गोरखपुर: जनपद के पिपराइच क्षेत्र में पिछले सप्ताह झूम कर बरसे बदरा. इस कदर बारिश हुई कि जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हो चला था. जलभराव से खेतों में रोपी गई सारी फसल बर्बादी के कगार कर पहूंच चुका था. शहर से लेक ग्रामीण क्षेत्रों में पानी सड़कों पर ओभरफलो हो कर बहते नजर आ रहा था. विद्युत व्सवस्था लड़खड़ा गई थी. कुछ लोगों के मकान भी भरभरा ढह गए. मवेशियों के सामने हरे चारे का संकट खड़ा हो गया. खास कर मौसमी सब्जियों की खेती करने वाले किसानों के चेहरे पर उदासी छा गई तो बाजारों से हरी सब्जियां गायब हो गए. बाजारों में जो सब्जियां दिखाई दे रही हैं उनके भाव आसमान पर है. धान की खेती करने वाले किसान के माथे पर चिन्ता लकीर दिखाई पड़ने लगी पानी देख कर उनके होश उड़ने लगे. Conclusion:फिलहाल इस सप्ताह में अबतक बारिश ना के बराबर हुई है. खेतो में लगा पानी कम होने लगा तो किसानों की आस जगने लगी. जलभराव से सढ़ने गलने से बची फसल को सवारने में जुट गए. जिनके खेतों में धान की रोपाई अबतक नही हुआ था वो किसान खेतों की रोपाई करना शुरु कर दिए. जिनकी रोपी गई फसल गल गई उसकी पुनः रोपाई करने में जुटे है. चारो तरफ खेत खलिहान में किसान तथा मजदूरों के कृषि कार्य करने से सीवान में चहल पहल बनी हुई है.

प्रगतिशील किसान बताते है कि बैरहाल अबतक जो नुकसान हुआ उसकी भरपाई कर पाना मुस्किल ही मुमकिन है. कर्ज के बोझ तले दबे किसान पर इस बाढ़ ने अतरिक्त भार बढा दिया. किसानों की खून पसीने की गड़ी कमाई जो खेतों पर खर्च की गई जमापूंजी बरसात के बारिश में डूब गई. बारिश से किसानों का जो नुकासान हुआ है उसको संज्ञान में लेकर शासन प्रशासन को चाहिए कि बाढ से प्रभावित क्षेत्रों का सर्वे कराकर उनको सहायता राशि अनुदान के रुप में दें.

रफिउल्लाह अन्सारी-8318103823
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