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लोकसभा ने वक्फ JPC का कार्यकाल 2025 सेशन तक बढ़ाने का प्रस्ताव पारित किया

लोकसभा ने JPC का कार्यकाल बढ़ाने और 2025 के बजट सत्र के अंत में अपनी रिपोर्ट पेश करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है.

जगदंबिका पाल
जगदंबिका पाल (ANI)
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By ANI

Published : 2 hours ago

नई दिल्ली: लोकसभा ने गुरुवार को वक्फ (संशोधन) विधेयक पर संयुक्त संसदीय समिति (JPC) का कार्यकाल बढ़ाने और 2025 के बजट सत्र के अंत में अपनी रिपोर्ट पेश करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी. जेपीसी के अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने कहा कि बुधवार को समिति की बैठक के दौरान यह निर्णय लिया गया कि लगभग 6 राज्य ऐसे हैं, जहां संपत्तियों के स्वामित्व को लेकर राज्य सरकार और वक्फ बोर्ड के बीच विवाद है और उन विवादों को देखते हुए जेपीसी के लिए विस्तार प्राप्त करने का निर्णय लिया गया है.

जगदंबिका पाल ने न्यूज एजेंसी एएनआई से कहा, "स्पीकर ने जेपीसी पर आदेश दिया था, लेकिन कल हुई बैठक में कहा गया कि चूंकि 6 राज्यों में कुछ संपत्तियां ऐसी हैं, जहां राज्य सरकार और वक्फ बोर्ड के बीच विवाद है, बोर्ड कुछ संपत्तियों को अपना बता रहा है. हमने उनसे जवाब मांगा था, लेकिन हमें उनसे कोई जवाब नहीं मिला."

उन्होंने कहा, "अब हमने 2025 के बजट सत्र के आखिरी दिन अपने निष्कर्ष पेश करने का फैसला किया है. पिछली सरकार ने भी सरकारी संपत्तियों को वक्फ बोर्ड को सौंपने का फैसला किया था, लेकिन उस फैसले पर अदालत ने रोक लगा दी थी."

1970 के दशक में वक्फ बोर्ड ने दावा किया
पाल ने कहा ने कहा कि1911 में मुआवजा देकर ये संपत्तियां अंग्रेजों ने अधिग्रहित की थीं, फिर 1970 के दशक में वक्फ बोर्ड ने दावा किया कि ऐसी 123 संपत्तियां उनकी हैं, फिर ये समस्याएं तब पैदा हुईं जब पिछली (यूपीए) सरकार ने चुनावों की घोषणा होने से ठीक पहले एक कैबिनेट का गठन किया और कहा कि वे 1 रुपये प्रति एकड़ प्रति वर्ष की दर से संपत्तियां सौंप देंगे. हालांकि, कोर्ट ने उस फैसले पर रोक लगा दी थी, नहीं तो करीब 1 लाख करोड़ रुपये की सरकारी संपत्ति वक्फ की हो जाती. इसलिए हमने फैसला किया कि समयसीमा बढ़ाना बेहतर होगा.

बेवजह शिकायत कर रहा विपक्ष
इससे पहले जगदंबिका पाल ने भी कहा कि विपक्ष समिति में बहुत अधिक काम होने की बेवजह शिकायत कर रहा है. उन्होंने कहा, "लोगों को यह भी समझना चाहिए कि बार-बार लंबी बैठकें हो रही हैं. 125 घंटे से अधिक की बैठकें हो चुकी हैं. तेलंगाना, ओडिशा, असम, गुजरात, तमिलनाडु, वक्फ बोर्ड, अल्पसंख्यक आयोग, सरकारी अधिकारियों से हमारी मुलाकात हुई है. इसलिए वे स्पीकर से लगातार बैठकों और समिति पर काम करने के बारे में शिकायत कर रहे हैं, वे काम करने के बारे में शिकायत कर रहे हैं कि मैं उन्हें सप्ताह में 3 बार बुलाता हूं, दिन में 8 घंटे बैठकें हो रही हैं."

'हम सभी की बात सुन रहे हैं'
विपक्ष की आलोचना करते हुए उन्होंने कहा, "हमें एक महत्वपूर्ण जनादेश दिया गया है, हम सभी की बात सुन रहे हैं. पहले मैं काम पूरा न होने की शिकायतें देखता था, लेकिन यह पहली बार है जब मैंने विपक्ष से सुना है कि वे बहुत अधिक काम करने की शिकायत कर रहे हैं, इसलिए हमने उन्हें बहुत मौके दिए हैं, हम उनकी केवल 8 घंटे ही सुनते हैं." वक्फ बिल अब 2025 के बजट सत्र के आखिरी हफ्ते में पेश किए जाने की उम्मीद है.

यह भी पढ़ें- महीने में कितनी बार धुलता है ट्रेन में यात्रियों को मिलने वाला कंबल? रेल मंत्री ने खुद दी जानकारी

नई दिल्ली: लोकसभा ने गुरुवार को वक्फ (संशोधन) विधेयक पर संयुक्त संसदीय समिति (JPC) का कार्यकाल बढ़ाने और 2025 के बजट सत्र के अंत में अपनी रिपोर्ट पेश करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी. जेपीसी के अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने कहा कि बुधवार को समिति की बैठक के दौरान यह निर्णय लिया गया कि लगभग 6 राज्य ऐसे हैं, जहां संपत्तियों के स्वामित्व को लेकर राज्य सरकार और वक्फ बोर्ड के बीच विवाद है और उन विवादों को देखते हुए जेपीसी के लिए विस्तार प्राप्त करने का निर्णय लिया गया है.

जगदंबिका पाल ने न्यूज एजेंसी एएनआई से कहा, "स्पीकर ने जेपीसी पर आदेश दिया था, लेकिन कल हुई बैठक में कहा गया कि चूंकि 6 राज्यों में कुछ संपत्तियां ऐसी हैं, जहां राज्य सरकार और वक्फ बोर्ड के बीच विवाद है, बोर्ड कुछ संपत्तियों को अपना बता रहा है. हमने उनसे जवाब मांगा था, लेकिन हमें उनसे कोई जवाब नहीं मिला."

उन्होंने कहा, "अब हमने 2025 के बजट सत्र के आखिरी दिन अपने निष्कर्ष पेश करने का फैसला किया है. पिछली सरकार ने भी सरकारी संपत्तियों को वक्फ बोर्ड को सौंपने का फैसला किया था, लेकिन उस फैसले पर अदालत ने रोक लगा दी थी."

1970 के दशक में वक्फ बोर्ड ने दावा किया
पाल ने कहा ने कहा कि1911 में मुआवजा देकर ये संपत्तियां अंग्रेजों ने अधिग्रहित की थीं, फिर 1970 के दशक में वक्फ बोर्ड ने दावा किया कि ऐसी 123 संपत्तियां उनकी हैं, फिर ये समस्याएं तब पैदा हुईं जब पिछली (यूपीए) सरकार ने चुनावों की घोषणा होने से ठीक पहले एक कैबिनेट का गठन किया और कहा कि वे 1 रुपये प्रति एकड़ प्रति वर्ष की दर से संपत्तियां सौंप देंगे. हालांकि, कोर्ट ने उस फैसले पर रोक लगा दी थी, नहीं तो करीब 1 लाख करोड़ रुपये की सरकारी संपत्ति वक्फ की हो जाती. इसलिए हमने फैसला किया कि समयसीमा बढ़ाना बेहतर होगा.

बेवजह शिकायत कर रहा विपक्ष
इससे पहले जगदंबिका पाल ने भी कहा कि विपक्ष समिति में बहुत अधिक काम होने की बेवजह शिकायत कर रहा है. उन्होंने कहा, "लोगों को यह भी समझना चाहिए कि बार-बार लंबी बैठकें हो रही हैं. 125 घंटे से अधिक की बैठकें हो चुकी हैं. तेलंगाना, ओडिशा, असम, गुजरात, तमिलनाडु, वक्फ बोर्ड, अल्पसंख्यक आयोग, सरकारी अधिकारियों से हमारी मुलाकात हुई है. इसलिए वे स्पीकर से लगातार बैठकों और समिति पर काम करने के बारे में शिकायत कर रहे हैं, वे काम करने के बारे में शिकायत कर रहे हैं कि मैं उन्हें सप्ताह में 3 बार बुलाता हूं, दिन में 8 घंटे बैठकें हो रही हैं."

'हम सभी की बात सुन रहे हैं'
विपक्ष की आलोचना करते हुए उन्होंने कहा, "हमें एक महत्वपूर्ण जनादेश दिया गया है, हम सभी की बात सुन रहे हैं. पहले मैं काम पूरा न होने की शिकायतें देखता था, लेकिन यह पहली बार है जब मैंने विपक्ष से सुना है कि वे बहुत अधिक काम करने की शिकायत कर रहे हैं, इसलिए हमने उन्हें बहुत मौके दिए हैं, हम उनकी केवल 8 घंटे ही सुनते हैं." वक्फ बिल अब 2025 के बजट सत्र के आखिरी हफ्ते में पेश किए जाने की उम्मीद है.

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