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पॉलिटिकल स्पीकर है ब्राह्मण, उसे बहला-फुसलाकर अपने पाले में नहीं ला सकता कोई दल : डॉ. संजय निषाद

उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव(Uttar Pradesh Assembly Elections 2022) नजदीक हैं. सभी राजनीतिक पार्टियां वोट बैंक साधने के लिए अपने-अपने हिसाब से नए-नए समीकरण तैयार कर रही हैं. इस समय यूपी में ब्राह्मण वोटों को साधने में करीब सभी पार्टियां लगी हुई हैं और इसमें बसपा नंबर एक पर है. हालांकि ब्राह्मण को साधने में कोई भी पार्टी पीछे नहीं रहना चाहती है, पढ़ें ये रिपोर्ट..

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Published : Aug 17, 2021, 5:00 PM IST

डॉ. संजय निषाद ने कहा, पॉलिटिकल स्पीकर है ब्राह्मण
डॉ. संजय निषाद ने कहा, पॉलिटिकल स्पीकर है ब्राह्मण

गोरखपुर : यूपी विधानसभा चुनाव 2022(Uttar Pradesh Assembly Elections 2022) के नजदीक आते ही सभी राजनीतिक दलों ने वोटरों को लुभाने के लिए अपने-अपने तरीके आजमाना शुरू कर दिए हैं. इसी क्रम में विधानसभा 2022 के चुनाव को देखते हुए यूपी में बसपा, सपा ने ब्राह्मणों को लुभाने के लिए जगह-जगह ब्राह्मण सम्मेंलन शुरू कर दिया है. बीजेपी भी ब्राह्मणों को लुभाने के लिए तमाम प्रयास कर रही है. इसी क्रम में भारतीय निषाद पार्टी भी ब्राह्मण वोट बैंक को खोना नहीं चाहती है.

यूपी में ब्राह्मणों को लुभाने के मुद्दे पर भारतीय निषाद पार्टी ने प्रतिक्रिया दी है. भारतीय निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. संजय निषाद का कहना है, कि 'ब्राह्मण पॉलिटिकल स्पीकर' है. डॉ. संजय निषाद का मानना है, कि ब्राह्मण वोट राजनीति का गॉडफादर है, उसे बहला-फुसलाकर कोई राजनीतिक दल या व्यक्ति अपने पाले में नहीं ला सकता है. भारतीय निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा, कि आगामी चुनाव को देखते हुए जो भी राजनीतिक दल ब्राह्मण सम्मेंलन या अन्य माध्यमों से ब्राह्मणों को लुभाने में जुटे हैं. वह राजनीतिक दल अपने मिशन में कामयाब नहीं होगें, क्योंकि ब्राह्मण चुनावी माहौल को बखूबी समझता है.

डॉ. संजय निषाद ने कहा, पॉलिटिकल स्पीकर है ब्राह्मण

ब्राह्मण वोट देश-प्रदेश की राजनीति की दिशा तय करने के लिए अपने वोट का हथियार की तरह इस्तेमाल करता है. डॉ. निषाद का कहना है, कि ब्राह्मण दलित समाज के बहकावे में आ जाता है लेकिन अब वह समय चला गया है. अब इन जातियों को जगाने के लिए डॉ. संजय निषाद उठ खड़ा हुआ है, निषाद पार्टी खड़ी हुई है. बातचीत के दौरान डॉ. संजय निषाद ने कहा, कि 'भगवान की सत्ता से भी बड़ी राजनीतिक सत्ता है.

इस सत्ता के बल पर ही सामाजिक परिवर्तन किया जा सकता है. कमजोर और पिछड़े वर्ग के लोगों को कोई भी अधिकार तभी मिल पाएगा जब राजनीतिक पदों पर बैठे हुए लोग हर समाज के बारे में बेहतर ढंग से जानते हो. उन्होंने कहा, कि यही वजह है आज जो समाज राजनीतिक व आर्थिक रूप से पिछड़ा है. वह अपनी लड़ाई के लिए बेचैन हो रहा है, इसी समाज में निषाद समाज भी आता है. जिसने देश की आजादी के लिए अपना खून तक दिया.

निषाद समाज का पौराणिक इतिहास है, फिर भी यह समाज अपने अधिकारों से वंचित रहा है. इसलिए निषाद पार्टी अपने समाज के लोगों को एकजुट करके राजनीतिक सत्ता पाने की ओर बढ़ चली है. इसके लिए उसे समान विचारधारा वाली पार्टी से समझौता भी करना पड़ेगा तो वह करेगी. बातचीत के दौरान संजय निषाद ने सपा और बसपा की कड़ी आलोचना की है. डॉ. निषाद ने कहा, कि सपा और बसपा की सरकार में निषाद पार्टी के नेताओं पर जुल्म हुए हैं. इन सरकारों ने निषाद समाज के नेताओं पर हुए जुल्मों की जांच नहीं कराई. उन्होंने कहा, कि सपा,बसपा सिर्फ पिछड़ों और दलितों के रहनुमा होने का ढोल पीटते हैं.

डॉ. संजय निषाद ने आरोप लगाया, कि सपा-बसपा की सरकार में जिन निषाद समाज के लोगों पर जुल्म हुए हैं. उन्हें इन दलों की तरफ से कोई मदद नहीं मिली. इन दलों ने निषाद समाज का वोट लेकर सत्ता सुख भोगने का कार्य किया है. अब कोई भी राजनीतिक दल पिछड़े समाज को सिर्फ अपने वोट के लिए इस्तेमाल नहीं कर सकेगा. आगामी विधानसभा 2022(Uttar Pradesh Assembly Elections 2022) के चुनाव में भारतीय निषाद पार्टी पूर्वांचल के साथ प्रदेश में लगभग 160 सीटों पर चुनाव लड़ेगी.

इसे पढ़ें-2022 विधानसभा चुनाव में बसपा से छिटक सकता है परंपरागत वोट बैंक

गोरखपुर : यूपी विधानसभा चुनाव 2022(Uttar Pradesh Assembly Elections 2022) के नजदीक आते ही सभी राजनीतिक दलों ने वोटरों को लुभाने के लिए अपने-अपने तरीके आजमाना शुरू कर दिए हैं. इसी क्रम में विधानसभा 2022 के चुनाव को देखते हुए यूपी में बसपा, सपा ने ब्राह्मणों को लुभाने के लिए जगह-जगह ब्राह्मण सम्मेंलन शुरू कर दिया है. बीजेपी भी ब्राह्मणों को लुभाने के लिए तमाम प्रयास कर रही है. इसी क्रम में भारतीय निषाद पार्टी भी ब्राह्मण वोट बैंक को खोना नहीं चाहती है.

यूपी में ब्राह्मणों को लुभाने के मुद्दे पर भारतीय निषाद पार्टी ने प्रतिक्रिया दी है. भारतीय निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. संजय निषाद का कहना है, कि 'ब्राह्मण पॉलिटिकल स्पीकर' है. डॉ. संजय निषाद का मानना है, कि ब्राह्मण वोट राजनीति का गॉडफादर है, उसे बहला-फुसलाकर कोई राजनीतिक दल या व्यक्ति अपने पाले में नहीं ला सकता है. भारतीय निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा, कि आगामी चुनाव को देखते हुए जो भी राजनीतिक दल ब्राह्मण सम्मेंलन या अन्य माध्यमों से ब्राह्मणों को लुभाने में जुटे हैं. वह राजनीतिक दल अपने मिशन में कामयाब नहीं होगें, क्योंकि ब्राह्मण चुनावी माहौल को बखूबी समझता है.

डॉ. संजय निषाद ने कहा, पॉलिटिकल स्पीकर है ब्राह्मण

ब्राह्मण वोट देश-प्रदेश की राजनीति की दिशा तय करने के लिए अपने वोट का हथियार की तरह इस्तेमाल करता है. डॉ. निषाद का कहना है, कि ब्राह्मण दलित समाज के बहकावे में आ जाता है लेकिन अब वह समय चला गया है. अब इन जातियों को जगाने के लिए डॉ. संजय निषाद उठ खड़ा हुआ है, निषाद पार्टी खड़ी हुई है. बातचीत के दौरान डॉ. संजय निषाद ने कहा, कि 'भगवान की सत्ता से भी बड़ी राजनीतिक सत्ता है.

इस सत्ता के बल पर ही सामाजिक परिवर्तन किया जा सकता है. कमजोर और पिछड़े वर्ग के लोगों को कोई भी अधिकार तभी मिल पाएगा जब राजनीतिक पदों पर बैठे हुए लोग हर समाज के बारे में बेहतर ढंग से जानते हो. उन्होंने कहा, कि यही वजह है आज जो समाज राजनीतिक व आर्थिक रूप से पिछड़ा है. वह अपनी लड़ाई के लिए बेचैन हो रहा है, इसी समाज में निषाद समाज भी आता है. जिसने देश की आजादी के लिए अपना खून तक दिया.

निषाद समाज का पौराणिक इतिहास है, फिर भी यह समाज अपने अधिकारों से वंचित रहा है. इसलिए निषाद पार्टी अपने समाज के लोगों को एकजुट करके राजनीतिक सत्ता पाने की ओर बढ़ चली है. इसके लिए उसे समान विचारधारा वाली पार्टी से समझौता भी करना पड़ेगा तो वह करेगी. बातचीत के दौरान संजय निषाद ने सपा और बसपा की कड़ी आलोचना की है. डॉ. निषाद ने कहा, कि सपा और बसपा की सरकार में निषाद पार्टी के नेताओं पर जुल्म हुए हैं. इन सरकारों ने निषाद समाज के नेताओं पर हुए जुल्मों की जांच नहीं कराई. उन्होंने कहा, कि सपा,बसपा सिर्फ पिछड़ों और दलितों के रहनुमा होने का ढोल पीटते हैं.

डॉ. संजय निषाद ने आरोप लगाया, कि सपा-बसपा की सरकार में जिन निषाद समाज के लोगों पर जुल्म हुए हैं. उन्हें इन दलों की तरफ से कोई मदद नहीं मिली. इन दलों ने निषाद समाज का वोट लेकर सत्ता सुख भोगने का कार्य किया है. अब कोई भी राजनीतिक दल पिछड़े समाज को सिर्फ अपने वोट के लिए इस्तेमाल नहीं कर सकेगा. आगामी विधानसभा 2022(Uttar Pradesh Assembly Elections 2022) के चुनाव में भारतीय निषाद पार्टी पूर्वांचल के साथ प्रदेश में लगभग 160 सीटों पर चुनाव लड़ेगी.

इसे पढ़ें-2022 विधानसभा चुनाव में बसपा से छिटक सकता है परंपरागत वोट बैंक

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