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अतिथियों के बिना ही संपन्न हो गया डीडीयू का दीक्षांत समारोह, समय देकर न राज्यपाल आईं न मंत्री

पंडित दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय (DDU) में बिना अतिथियों के ही दीक्षांत समारोह संपन्न हो गया. इस कार्यक्रम में कोई भी मंत्री नहीं पहुंचा. इतना ही नहीं, राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने पहले ही समय नहीं दिया और ऑनलाइन जुड़ने की बात कही थी, लेकिन वह भी नहीं जुड़ी.

पंडित दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय
पंडित दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय
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Published : Jun 28, 2023, 5:10 PM IST

बिना अतिथियों के हुआ दीक्षांत समारोह

गोरखपुरः पंडित दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय(डीडीयू) के इतिहास में बड़े ही शर्मनाक दिवस के रूप में दर्ज हो गया है. जब इसके 41वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करने के लिए कोई भी मुख्य अतिथि नहीं पहुंचा. खास बात यह है कि समय देने के बाद भी प्रदेश सरकार के उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. योगेन्द्र उपाध्याय और विभाग की राज्यमंत्री रजनी तिवारी भी समारोह में शिरकत नहीं पहुंची. राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने पहले ही समय नहीं दिया और ऑनलाइन जुड़ने की बात कही थी, लेकिन वह भी नहीं जुड़ी.

आपको बता दें कि मजबूरन दीक्षांत समारोह आयोजित हुआ और मुख्य अतिथि की भूमिका कुलपति प्रोफेसर राजेश सिंह को निभानी पड़ी. अतिथियों के नहीं आने को लेकर समारोह में चर्चाएं तरह-तरह की होने लगी तो जो उपाधि धारक छात्र-छात्राएं थे, जिन्हें गोल्ड मेडल हासिल होना था, उन्हें खासा निराशा हाथ लगी. गवर्नर, मंत्री के हाथों उपाधि पाने की उनकी लालसा धरी की धरी रह गई और एक कोरम पूरा करते हुए दीक्षांत समारोह का समापन हो गया.

इस दीक्षांत समारोह को आनन-फानन में मनाए जाने की तिथि कुलपति ने घोषित की थी, जबकि यह एक व्यवस्थित कार्यक्रम के द्वारा यह तय किया जाता है. दीक्षांत समारोह से पहले एक सप्ताह तक इसको लेकर साप्ताहिक आयोजनों में विभिन्न तरह के शैक्षणिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं. लोगो डिजाइन के लिए छात्रों के बीच प्रतियोगिता होती है. आयोजन को लेकर प्रेस वार्ता की जाती है, लेकिन यह सब समारोह से पहले कुछ भी नहीं किया गया. सिर्फ कोरम पूरा किया गया. समारोह के बीच से जो कुछ बातें निकल कर आई हैं, उसमें यह कहा जा रहा है कि कुलपति का कार्यकाल पूरा हो रहा है.

नए कुलपति के लिए आवेदन भी मांगा जा चुका है. ऐसे में वर्तमान कुलपति ने अपने कार्यकाल के आखिरी दौर में इस आयोजन को आनन-फानन में और नियम खिलाफ किया. अतिथियों ने तो इसमें आने की सहमति दे दी लेकिन, अब वह जब कार्यक्रम में शिरकत नहीं किए तो यह माना जा रहा है कि कहीं न कहीं उन्हें सरकार और राजभवन के स्तर से कोई दिशानिर्देश जरूर प्राप्त हुआ होगा. राज्य मंत्री रजनी तिवारी का प्रोटोकॉल भी आ गया था. अंतिम दौर में वह भी नहीं पहुंची और दीक्षांत समारोह में एक फॉर्मेलिटी के तौर पर ऑनलाइन जुड़ीं. इस आयोजन से विश्वविद्यालय की गरिमा को ठेस पहुंची है तो वहीं इसमें भ्रष्टाचार की भी बात निकल कर सामने आ रही हैं. हालांकि इन सबके के बीच जो मेधावी थे, उन्हें उपाधि और गोल्ड मेडल, कुलपति और विश्वविद्यालय के वरिष्ठ प्रोफेसर के द्वारा प्रदान किया गया.

इस अवसर पर वर्ष 2022 के 46 और 2021 के 4 विद्यार्थियों को विश्वविद्यालय स्वर्ण पदक प्रदान किया गया. इसके साथ ही 83 डोनर पदक जिसमें ब्रह्मलीन महंत दिग्विजय नाथ स्वर्ण पदक, ब्रह्मलीन महंत अवेध नाथ स्वर्ण पदक शामिल है, वह भी प्रदान किया गया. दीक्षांत समारोह में 70 शोधकर्ताओं को उपाधि प्रदान की गईय कुलपति ने बताया कि वर्ष 2022 के कुल 46 स्वर्ण पदकों में 38 (82.60%) छात्राओं को प्राप्त हुआ है. वहीं, डोनर पदकों में 86.41% छात्राओं को स्वर्ण पदक मिल रहा है. 2022 में विश्वविद्यालय द्वारा स्नातक तथा परास्नातक पाठ्यक्रमों में 82831 डिग्रीयां प्रदान की गई, जिसमें 64.79% छात्रायें है. कुल प्रदान की गई डिग्रीयों में विश्वविद्यालय के 7908 तथा महाविद्यालय के 74923 विद्यार्थी शामिल हैं. अतिथियों के न आने से कार्यक्रम तो फीका रहा, लेकिन
कुलपति प्रो. राजेश सिंह के नेतृत्व में दीक्षा भवन में मंगलवार को विधिवत पूर्वाभ्यास किया गया. आचार्यों, विद्या परिषद तथा कार्य परिषद सदस्यों की विद्वत पदयात्रा भी आयोजित की गई.

पढ़ेंः UP: गोरखपुर यूनिवर्सिटी के हॉस्टल का कमरा नंबर 16, जहां रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने की पढ़ाई

बिना अतिथियों के हुआ दीक्षांत समारोह

गोरखपुरः पंडित दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय(डीडीयू) के इतिहास में बड़े ही शर्मनाक दिवस के रूप में दर्ज हो गया है. जब इसके 41वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करने के लिए कोई भी मुख्य अतिथि नहीं पहुंचा. खास बात यह है कि समय देने के बाद भी प्रदेश सरकार के उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. योगेन्द्र उपाध्याय और विभाग की राज्यमंत्री रजनी तिवारी भी समारोह में शिरकत नहीं पहुंची. राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने पहले ही समय नहीं दिया और ऑनलाइन जुड़ने की बात कही थी, लेकिन वह भी नहीं जुड़ी.

आपको बता दें कि मजबूरन दीक्षांत समारोह आयोजित हुआ और मुख्य अतिथि की भूमिका कुलपति प्रोफेसर राजेश सिंह को निभानी पड़ी. अतिथियों के नहीं आने को लेकर समारोह में चर्चाएं तरह-तरह की होने लगी तो जो उपाधि धारक छात्र-छात्राएं थे, जिन्हें गोल्ड मेडल हासिल होना था, उन्हें खासा निराशा हाथ लगी. गवर्नर, मंत्री के हाथों उपाधि पाने की उनकी लालसा धरी की धरी रह गई और एक कोरम पूरा करते हुए दीक्षांत समारोह का समापन हो गया.

इस दीक्षांत समारोह को आनन-फानन में मनाए जाने की तिथि कुलपति ने घोषित की थी, जबकि यह एक व्यवस्थित कार्यक्रम के द्वारा यह तय किया जाता है. दीक्षांत समारोह से पहले एक सप्ताह तक इसको लेकर साप्ताहिक आयोजनों में विभिन्न तरह के शैक्षणिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं. लोगो डिजाइन के लिए छात्रों के बीच प्रतियोगिता होती है. आयोजन को लेकर प्रेस वार्ता की जाती है, लेकिन यह सब समारोह से पहले कुछ भी नहीं किया गया. सिर्फ कोरम पूरा किया गया. समारोह के बीच से जो कुछ बातें निकल कर आई हैं, उसमें यह कहा जा रहा है कि कुलपति का कार्यकाल पूरा हो रहा है.

नए कुलपति के लिए आवेदन भी मांगा जा चुका है. ऐसे में वर्तमान कुलपति ने अपने कार्यकाल के आखिरी दौर में इस आयोजन को आनन-फानन में और नियम खिलाफ किया. अतिथियों ने तो इसमें आने की सहमति दे दी लेकिन, अब वह जब कार्यक्रम में शिरकत नहीं किए तो यह माना जा रहा है कि कहीं न कहीं उन्हें सरकार और राजभवन के स्तर से कोई दिशानिर्देश जरूर प्राप्त हुआ होगा. राज्य मंत्री रजनी तिवारी का प्रोटोकॉल भी आ गया था. अंतिम दौर में वह भी नहीं पहुंची और दीक्षांत समारोह में एक फॉर्मेलिटी के तौर पर ऑनलाइन जुड़ीं. इस आयोजन से विश्वविद्यालय की गरिमा को ठेस पहुंची है तो वहीं इसमें भ्रष्टाचार की भी बात निकल कर सामने आ रही हैं. हालांकि इन सबके के बीच जो मेधावी थे, उन्हें उपाधि और गोल्ड मेडल, कुलपति और विश्वविद्यालय के वरिष्ठ प्रोफेसर के द्वारा प्रदान किया गया.

इस अवसर पर वर्ष 2022 के 46 और 2021 के 4 विद्यार्थियों को विश्वविद्यालय स्वर्ण पदक प्रदान किया गया. इसके साथ ही 83 डोनर पदक जिसमें ब्रह्मलीन महंत दिग्विजय नाथ स्वर्ण पदक, ब्रह्मलीन महंत अवेध नाथ स्वर्ण पदक शामिल है, वह भी प्रदान किया गया. दीक्षांत समारोह में 70 शोधकर्ताओं को उपाधि प्रदान की गईय कुलपति ने बताया कि वर्ष 2022 के कुल 46 स्वर्ण पदकों में 38 (82.60%) छात्राओं को प्राप्त हुआ है. वहीं, डोनर पदकों में 86.41% छात्राओं को स्वर्ण पदक मिल रहा है. 2022 में विश्वविद्यालय द्वारा स्नातक तथा परास्नातक पाठ्यक्रमों में 82831 डिग्रीयां प्रदान की गई, जिसमें 64.79% छात्रायें है. कुल प्रदान की गई डिग्रीयों में विश्वविद्यालय के 7908 तथा महाविद्यालय के 74923 विद्यार्थी शामिल हैं. अतिथियों के न आने से कार्यक्रम तो फीका रहा, लेकिन
कुलपति प्रो. राजेश सिंह के नेतृत्व में दीक्षा भवन में मंगलवार को विधिवत पूर्वाभ्यास किया गया. आचार्यों, विद्या परिषद तथा कार्य परिषद सदस्यों की विद्वत पदयात्रा भी आयोजित की गई.

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