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6 साल से नाले का निर्माण है अधूरा, 16 करोड़ का काम अब 32 में होगा पूरा

गोरखपुर-देवरिया रोड पर पिछले छह सालों से एक नाले का निर्माण कार्य चल रहा है, जो आज तक पूरा नहीं हो पाया है. हालांकि सांसद रवि किशन के प्रयास से अब दोबारा इसके निर्माण कार्य ने रफ्तार पकड़ी है. सरकार ने इसके निर्माण के लिए 16 करोड़ का अतिरिक्त बजट भी जारी किया है.

कॉन्सेप्ट इमेज.
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Published : Jun 4, 2021, 11:37 AM IST

गोरखपुर: जनता के धन की बर्बादी का बड़ा उदाहरण देखना हो तो गोरखपुर आ जाइए. यहां गोरखपुर-देवरिया रोड पर पिछले छह सालों से एक नाले का निर्माण कार्य चल रहा है, जो आज तक पूरा नहीं हो पाया है, जबकि वर्ष 2015 में प्रदेश की तत्कालीन समाजवादी पार्टी की सरकार ने यहां के स्थानीय पार्षद के प्रस्ताव पर शहरी क्षेत्र के लोगों को जलभराव से मुक्ति देने के लिए करीब आठ किलोमीटर लंबे इस नाले के निर्माण के लिए 16 करोड़ रुपये की वित्तीय स्वीकृति प्रदान की थी. यही नहीं इसके साथ पूरा बजट भी जारी किया गया था.

देखें ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट.

नाले का निर्माण कार्य 2016 में प्रारंभ हो गया था. करीब 60 फीसदी तक कार्य भी प्रदेश में भाजपा की सरकार आते-आते पूर्ण हो गया था, लेकिन जैसे ही प्रदेश में भाजपा की सरकार बनी तभी एक स्थानीय जनप्रतिनिधि के द्वारा इस नाले पर की गई आपत्ति ने इसके निर्माण पर ब्रेक लगा दी. नतीजा यह हुआ कि कई खंडों में जहां-तहां बना यह नाला खुले रूप में पड़ा रह गया. यह नाला राहगीरों के साथ-साथ आसपास के लोगों के लिए तब भी समस्या का सबब बना हुआ था और आज भी बना हुआ है.

बीजेपी विधायक की अड़ंगेबाजी को सरकार ने किया खारिज
देवरिया रोड पर यह नाला सिंघडिया चौराहे के पास निर्माणाधीन एम्स से होते हुए सूबा बाजार, खोराबार को जोड़ते हुए कुसम्ही जंगल के रास्ते तुरा नाले में जाकर जोड़ा जाएगा, लेकिन यह नाला राजनीतिक पैतरेबाजी और अधिकारियों की लापरवाही की भेंट चढ़ गया, जिसकी वजह से आसपास की जनता बारिश के दिनों में त्राहिमाम करने के लिए मजबूर रहती है. इस नाले पर जांच और अवरोध 2017 से लेकर 2020 तक चलता रहा. इस बीच भारी बारिश में इस नाले में जब जलभराव की बड़ी समस्या पैदा हुई तो स्थानीय पार्षद हीरालाल यादव और सांसद रवि किशन शुक्ला ने नाला निर्माण को लेकर अपनी जोर आजमाइश शुरू की, जिसका परिणाम रहा कि प्रदेश की योगी सरकार ने अपने पार्टी के विधायक की शिकायत को सिरे से खारिज कर दिया, जिसमें नाले के ड्राइंग और डिजाइन पर आपत्ति करते हुए इसके निर्माण को जनहित के विपरीत बताया गया था.

16 करोड़ का काम 32 करोड़ में होगा पूरा
यही नहीं जनहित को देखते हुए इस नाले को पूर्णता प्रदान करने के लिए योगी सरकार ने 16 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बजट जारी किया है, जिससे अब नाले का निर्माण कार्य पूर्ण होकर अपने आखिरी छोर तक पहुंच जाएगा. इस नाले का निर्माण तेजी के साथ हो रहा है, लेकिन इसमें फिर समस्या बिजली विभाग और पीडब्ल्यूडी के लापरवाह इंजीनियरों ने खड़ी कर दी है, जो बेतरतीब तरीके से बिजली के खंभों को गाड़कर नाले के निर्माण में अवरोध की स्थिति पैदा किए हुए हैं. इससे जनता भी परेशान है और संघर्षों से इसके निर्माण को यहां तक पहुंचाने वाले लोग भी.

इस भी पढ़ें:- डेढ साल फुटपाथ पर गुजारे तब जाकर मिला पहला ब्रेक: कहानी बॉलीवुड सिंगर बृजेश शांडिल्य की

कंस्ट्रक्शन एंड डिजाइन सर्विसेज संस्था बना रही है इस नाले को
ताऊते और यास तूफान की वजह से मई महीने में भी लगातार तीन-तीन दिनों तक बारिश हुई थी, जिससे शहर के कई मोहल्लों में पानी भरने की स्थिति आ गई. निर्माण को लेकर कई जगह अधूरे नाले की मिट्टी को हटाकर पानी के बहाव को आसान बनाया गया है, लेकिन यह स्थाई समाधान नहीं है. साथ ही खतरे को भी दावत देने वाला है. यही वजह है कि कार्यदायी संस्था कंस्ट्रक्शन एंड डिजाइन सर्विसेज के साथ ठेकेदार और स्थानीय जनप्रतिनिधि सभी मिलकर इस नाले की महत्ता को समझते हुए इसके निर्माण को लेकर तेजी के साथ जुटे हुए हैं. इस नाले की खुदाई से खोराबार थाना, ब्लॉक और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर भी जाना लोगों के लिए मुश्किल हो जाएगा. इसलिए इन क्षेत्रों से गुजर रहे इस नाले का निर्माण बहुत तेजी के साथ होना जरूरी है. साथ ही जंगल के बीच से इस नाले को गति देने के लिए नाले की दीवार के बजाय बड़े-बड़े बड़े ह्यूम पाइप को डालकर नाले के निर्माण को पूर्ण किया जाएगा.

गोरखपुर: जनता के धन की बर्बादी का बड़ा उदाहरण देखना हो तो गोरखपुर आ जाइए. यहां गोरखपुर-देवरिया रोड पर पिछले छह सालों से एक नाले का निर्माण कार्य चल रहा है, जो आज तक पूरा नहीं हो पाया है, जबकि वर्ष 2015 में प्रदेश की तत्कालीन समाजवादी पार्टी की सरकार ने यहां के स्थानीय पार्षद के प्रस्ताव पर शहरी क्षेत्र के लोगों को जलभराव से मुक्ति देने के लिए करीब आठ किलोमीटर लंबे इस नाले के निर्माण के लिए 16 करोड़ रुपये की वित्तीय स्वीकृति प्रदान की थी. यही नहीं इसके साथ पूरा बजट भी जारी किया गया था.

देखें ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट.

नाले का निर्माण कार्य 2016 में प्रारंभ हो गया था. करीब 60 फीसदी तक कार्य भी प्रदेश में भाजपा की सरकार आते-आते पूर्ण हो गया था, लेकिन जैसे ही प्रदेश में भाजपा की सरकार बनी तभी एक स्थानीय जनप्रतिनिधि के द्वारा इस नाले पर की गई आपत्ति ने इसके निर्माण पर ब्रेक लगा दी. नतीजा यह हुआ कि कई खंडों में जहां-तहां बना यह नाला खुले रूप में पड़ा रह गया. यह नाला राहगीरों के साथ-साथ आसपास के लोगों के लिए तब भी समस्या का सबब बना हुआ था और आज भी बना हुआ है.

बीजेपी विधायक की अड़ंगेबाजी को सरकार ने किया खारिज
देवरिया रोड पर यह नाला सिंघडिया चौराहे के पास निर्माणाधीन एम्स से होते हुए सूबा बाजार, खोराबार को जोड़ते हुए कुसम्ही जंगल के रास्ते तुरा नाले में जाकर जोड़ा जाएगा, लेकिन यह नाला राजनीतिक पैतरेबाजी और अधिकारियों की लापरवाही की भेंट चढ़ गया, जिसकी वजह से आसपास की जनता बारिश के दिनों में त्राहिमाम करने के लिए मजबूर रहती है. इस नाले पर जांच और अवरोध 2017 से लेकर 2020 तक चलता रहा. इस बीच भारी बारिश में इस नाले में जब जलभराव की बड़ी समस्या पैदा हुई तो स्थानीय पार्षद हीरालाल यादव और सांसद रवि किशन शुक्ला ने नाला निर्माण को लेकर अपनी जोर आजमाइश शुरू की, जिसका परिणाम रहा कि प्रदेश की योगी सरकार ने अपने पार्टी के विधायक की शिकायत को सिरे से खारिज कर दिया, जिसमें नाले के ड्राइंग और डिजाइन पर आपत्ति करते हुए इसके निर्माण को जनहित के विपरीत बताया गया था.

16 करोड़ का काम 32 करोड़ में होगा पूरा
यही नहीं जनहित को देखते हुए इस नाले को पूर्णता प्रदान करने के लिए योगी सरकार ने 16 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बजट जारी किया है, जिससे अब नाले का निर्माण कार्य पूर्ण होकर अपने आखिरी छोर तक पहुंच जाएगा. इस नाले का निर्माण तेजी के साथ हो रहा है, लेकिन इसमें फिर समस्या बिजली विभाग और पीडब्ल्यूडी के लापरवाह इंजीनियरों ने खड़ी कर दी है, जो बेतरतीब तरीके से बिजली के खंभों को गाड़कर नाले के निर्माण में अवरोध की स्थिति पैदा किए हुए हैं. इससे जनता भी परेशान है और संघर्षों से इसके निर्माण को यहां तक पहुंचाने वाले लोग भी.

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कंस्ट्रक्शन एंड डिजाइन सर्विसेज संस्था बना रही है इस नाले को
ताऊते और यास तूफान की वजह से मई महीने में भी लगातार तीन-तीन दिनों तक बारिश हुई थी, जिससे शहर के कई मोहल्लों में पानी भरने की स्थिति आ गई. निर्माण को लेकर कई जगह अधूरे नाले की मिट्टी को हटाकर पानी के बहाव को आसान बनाया गया है, लेकिन यह स्थाई समाधान नहीं है. साथ ही खतरे को भी दावत देने वाला है. यही वजह है कि कार्यदायी संस्था कंस्ट्रक्शन एंड डिजाइन सर्विसेज के साथ ठेकेदार और स्थानीय जनप्रतिनिधि सभी मिलकर इस नाले की महत्ता को समझते हुए इसके निर्माण को लेकर तेजी के साथ जुटे हुए हैं. इस नाले की खुदाई से खोराबार थाना, ब्लॉक और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर भी जाना लोगों के लिए मुश्किल हो जाएगा. इसलिए इन क्षेत्रों से गुजर रहे इस नाले का निर्माण बहुत तेजी के साथ होना जरूरी है. साथ ही जंगल के बीच से इस नाले को गति देने के लिए नाले की दीवार के बजाय बड़े-बड़े बड़े ह्यूम पाइप को डालकर नाले के निर्माण को पूर्ण किया जाएगा.

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