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गोरखपुरः सीएम योगी के ड्रीम प्रोजेक्ट पर अधिकारी लगा रहे पलीता, प्रभारी मंत्री भी बचा रहे अधिकारियों को - सीएम योगी

उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में अधिकारियों की लापरवाही देखने को मिल रही है. सीएम अपने ड्रीम प्रोजेक्ट के तहत जिले को स्मार्ट सिटी बनाने की कवायद में जुटे हैं, लेकिन अधिकारियों ने अभी भी आवारा पशुओं को गोशालाओं में नहीं भेजा है. इसकी वजह से पशु शहरों की सड़कों पर घूम रहे हैं. वहीं इसके चलते पिछले तीन महीने में करीब तीन लोगों की मौत हो गई है.

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समाज कल्याण मंत्री रमापति शास्त्री.
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Published : Nov 26, 2019, 7:14 PM IST

गोरखपुरः मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ड्रीम प्रोजेक्ट को गोरखपुर के अधिकारी पलीता लगाने में जुटे हैं. सीएम जहां जिले को स्मार्ट सिटी बनाने के लिए सारी कवायद कर रहे हैं, वहीं अभी तक नगर निगम क्षेत्र से आवारा और बेसहारा पशुओं को हटाया नहीं जा सका है. यह पशु सभी प्रमुख बाजारों और सड़कों पर पूरे झुंड में दिखाई देते हैं. बावजूद इसके जिम्मेदारों के कान पर जूं नहीं रेंग रही है. गोरखपुर के प्रभारी और प्रदेश के समाज कल्याण मंत्री रमापति शास्त्री भी अधिकारियों की कार्यशैली पर सवाल उठाने के बजाय उनको बचाते हुए नजर आ रहे हैं.

सीएम योगी का ड्रीम प्रोजेक्ट.

अधिकारियों की लापरवाही से नहीं हटाए जा सके हैं आवारा पशु
योगी सरकार में बेसहारा और आवारा पशुओं को नगरी क्षेत्र से हटाकर हर शहर में बनाए गए कान्हा उपवन और गो सदन में भेजे जाने का सख्त फरमान है, लेकिन उनके ही शहर में उनके ही आदेश का पालन होता नजर नहीं आ रहा है. सड़कों पर पूरी संख्या बल के साथ ऐसे जानवर दिखाई देते हैं जो गोरखपुर नगर निगम और प्रशासनिक अधिकारियों की कार्यशैली को आईना दिखाता है. इन पशुओं की वजह से पिछले दो-तीन माह के अंदर तीन लोगों की मौत हो चुकी है तो दर्जनों लोग घायल हुए हैं.

इसे भी पढ़ें- योगी सरकार ने बदला गोरखपुर के विंध्यवासनी पार्क का नाम, लोगों ने जताया विरोध

प्रदेश सरकार के समाज कल्याण मंत्री रमापति शास्त्री अधिकारियों को बचाने वाला ही बयान देते हैं. वह कहते हैं कि सीएम योगी गोरखपुरी नहीं प्रदेश के अन्य शहरों को भी स्मार्ट सिटी बनाकर रहेंगे. मतलब साफ है कि किसी भी योजना और आदेश पर जिले के अधिकारी गंभीरता से काम नहीं करते. अगर करते तो इतने पुराने आदेश का गोरखपुर में अक्षरसः पालन दिखता. सड़क पर न जानवर दिखते और न ही लोगों की जान जाती. गोरखपुर का ह्रदय स्थली गोलघर हो या फिर अस्पताल के आसपास का इलाका या प्रमुख व्यवसायिक चौराहे. हर जगह जानवर अपनी मौजूदगी दिखाते हैं, फिर भी अधिकारियों को यह नजर नहीं आते हैं.

गोरखपुरः मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ड्रीम प्रोजेक्ट को गोरखपुर के अधिकारी पलीता लगाने में जुटे हैं. सीएम जहां जिले को स्मार्ट सिटी बनाने के लिए सारी कवायद कर रहे हैं, वहीं अभी तक नगर निगम क्षेत्र से आवारा और बेसहारा पशुओं को हटाया नहीं जा सका है. यह पशु सभी प्रमुख बाजारों और सड़कों पर पूरे झुंड में दिखाई देते हैं. बावजूद इसके जिम्मेदारों के कान पर जूं नहीं रेंग रही है. गोरखपुर के प्रभारी और प्रदेश के समाज कल्याण मंत्री रमापति शास्त्री भी अधिकारियों की कार्यशैली पर सवाल उठाने के बजाय उनको बचाते हुए नजर आ रहे हैं.

सीएम योगी का ड्रीम प्रोजेक्ट.

अधिकारियों की लापरवाही से नहीं हटाए जा सके हैं आवारा पशु
योगी सरकार में बेसहारा और आवारा पशुओं को नगरी क्षेत्र से हटाकर हर शहर में बनाए गए कान्हा उपवन और गो सदन में भेजे जाने का सख्त फरमान है, लेकिन उनके ही शहर में उनके ही आदेश का पालन होता नजर नहीं आ रहा है. सड़कों पर पूरी संख्या बल के साथ ऐसे जानवर दिखाई देते हैं जो गोरखपुर नगर निगम और प्रशासनिक अधिकारियों की कार्यशैली को आईना दिखाता है. इन पशुओं की वजह से पिछले दो-तीन माह के अंदर तीन लोगों की मौत हो चुकी है तो दर्जनों लोग घायल हुए हैं.

इसे भी पढ़ें- योगी सरकार ने बदला गोरखपुर के विंध्यवासनी पार्क का नाम, लोगों ने जताया विरोध

प्रदेश सरकार के समाज कल्याण मंत्री रमापति शास्त्री अधिकारियों को बचाने वाला ही बयान देते हैं. वह कहते हैं कि सीएम योगी गोरखपुरी नहीं प्रदेश के अन्य शहरों को भी स्मार्ट सिटी बनाकर रहेंगे. मतलब साफ है कि किसी भी योजना और आदेश पर जिले के अधिकारी गंभीरता से काम नहीं करते. अगर करते तो इतने पुराने आदेश का गोरखपुर में अक्षरसः पालन दिखता. सड़क पर न जानवर दिखते और न ही लोगों की जान जाती. गोरखपुर का ह्रदय स्थली गोलघर हो या फिर अस्पताल के आसपास का इलाका या प्रमुख व्यवसायिक चौराहे. हर जगह जानवर अपनी मौजूदगी दिखाते हैं, फिर भी अधिकारियों को यह नजर नहीं आते हैं.

Intro:गोरखपुर। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ड्रीम प्रोजेक्ट को गोरखपुर के अधिकारी पलीता लगाने में जुटे हैं। सीएम जहां गोरखपुर को स्मार्ट सिटी बनाने के लिए सारी कवायद कर रहे हैं। वहीं अभी तक नगर निगम क्षेत्र से आवारा और बेसहारा पशुओं को हटाया नहीं जा सका है। यह पशु सभी प्रमुख बाजारों और सड़कों पर पूरे झुंड में दिखाई देते हैं।बावजूद इसके जिम्मेदारों के कान पर जूं नहीं रेंग रहा। गोरखपुर के प्रभारी और के प्रदेश के समाज कल्याण मंत्री रमापति शास्त्री भी अधिकारियों की कार्यशैली पर सवाल उठाने के बजाय उनको बचाते हुए नजर आते हैं।

नोट--कम्प्लीट पैकेज, वॉइस ओवर अटैच है। स्पेशल है।


Body:योगी सरकार में बेसहारा और आवारा पशुओं को नगरी क्षेत्र से हटाकर हर शहर में बनाए गए कान्हा उपवन और गौ सदन में भेजे जाने का सख्त फरमान है। लेकिन उनके ही शहर में उनके ही आदेश का पालन होता नजर नहीं आता। सड़कों पर पूरी संख्या बल के साथ ऐसे जानवर दिखाई देते हैं जो गोरखपुर नगर निगम और प्रशासनिक अधिकारियों की कार्यशैली को अपने आप आईना दिखाता है। इन पशुओं को हर हाल में हटा दिया जाना चाहिए क्योंकि पिछले दो-तीन माह के अंदर तीन लोगों की मौत हो चुकी है तो दर्जनों लोग घायल हुए हैं बावजूद इसके नगर आयुक्त इस पर कोई बयान नहीं देते। मातहत बोलते हैं तो संभल कर बोलते हैं। और प्रदेश सरकार के समाज कल्याण मंत्री रमापति शास्त्री जिनके पास गोरखपुर के प्रभारी मंत्री का दायित्व है वह भी अधिकारियों को बचाने वाला ही बयान देते हैं। वह कहते हैं कि सीएम योगी गोरखपुरी नहीं प्रदेश के अन्य शहरों को भी स्मार्ट सिटी बनाकर रहेंगे।

बाइट--सुरेश चंद्र, चीफ इंजीनियर, नगर निगम, गोरखपुर
बाइट--रमापति शास्त्री, समाज कल्याण मंत्री, यूपी


Conclusion:मतलब साफ है कि किसी भी योजना और आदेश पर जिले के अधिकारी गंभीरता से काम नहीं करते। अगर करते तो इतने पुराने आदेश का गोरखपुर में अक्षरसः पालन दिखता। सड़क पर न जानवर दिखते और ना ही लोगों की जान जाती। यह खबर यही बताती है और दिखाती है कि सीएम के आदेश के प्रति उनके अधिकारी कितने गंभीर हैं। गोरखपुर का ह्रदय स्थली गोलघर हो या फिर अस्पताल के आसपास का इलाका या प्रमुख व्यवसायिक चौराहे। हर जगह जानवर अपनी मौजूदगी दिखाते हैं फिर भी अधिकारियों को यह नजर नहीं आते हैं। यही बात हैरान करने वाली है।

क्लोजिंग पीटीसी...
मुकेश पाण्डेय
Etv भारत, गोरखपुर
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