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मनमाने डॉक्टर ने सीएचसी में लिखी एक रुपये के पर्चे पर 13 सौ की बाहरी दवा - गोरखपुर ताजा समाचार

उत्तर प्रदेश के गोरखपुर के सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में एक रुपये के पर्चे पर डॉक्टर हजारों रुपये की बाहरी दवाई लिख रहे हैं. जबकि मुख्य चिकित्साधिकारी का कहना है कि बाहरी दवाईयां लिखना किसी के भी अधिकार क्षेत्र में नहीं है.

डॉक्टर ने सीएचसी में लिखी एक रुपये के पर्चे पर 13 सौ की बाहरी दवा.
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Published : Nov 24, 2019, 11:43 AM IST

गोरखपुर: जिले के भटहट सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में पर्ची पर बाहरी दवा लिखने का मामला सामने आया है. जिम्मेदारों को इसकी जानकारी होने के बावजूद वह शिकायत मिलने के इंतजार में इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं. इस बारे में सीएमओ का कहना है कि बाहरी दवा लिखना किसी के अधिकार क्षेत्र से बाहर है. बता दें कि डॉक्टर एक रुपये की पर्ची पर हजारों रुपये की बाहरी दवा लिख रहे हैं, जिससे मरीज परेशान हैं.

डॉक्टर ने सीएचसी में लिखी एक रुपये के पर्चे पर 13 सौ की बाहरी दवा.


क्या है पूरा मामला

मामला गोरखपुर के भटहट सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र का है. सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में बनने वाले एक रुपये के पर्चे पर डॉक्टर हजारों रुपये की बाहरी दवाई लिख रहे हैं. मामला तब सामने आया जब शुक्रवार को एक महिला नेत्र परीक्षण अधिकारी के पास चश्मे की शिकायत लेकर पहुंची. डॉक्टर नहीं मिले तो महिला ने स्वास्थ्यकर्मियों से अपना दर्द बयां किया.

जानिए महिला ने क्या कहा

भटहट के बड़हरियां निवासी हाजरा को आखों से नजदीक का कम दिखाई देता है. वह अपना इलाज कराने कुछ दिन पहले भटहट सीएचसी पर गई थी. जांच उपरांत नेत्र परीक्षण अधिकारी ने एक रुपये की सरकारी पर्ची पर बाहरी दवाओं की लम्बी फेहरिस्त लिख दी. उसको बताया भी गया कि दवा अन्दर नहीं, बाहर मिलेगी. डॉक्टर ने चश्मा लगाने की सलाह दी और चश्मा बनवाने का खर्च 650 रुपये बताया.

हाजरा बताती हैं कि डॉक्टर की सलाह पर बाहर से पांच इंजेक्शन, दो आई ड्रॉप करीब 1300 रुपये का खरीदा और चश्मा के लिए 500 रुपया भुगतान किया. ड्रॉप डालने और इंजेक्शन लगवाने के बाद भी उसके आंखों की रोशनी जस की तस है, उससे कोई फर्क नहीं पड़ा. हाजरा का कहना है कि डॉक्टर द्वारा दिए गए चश्मे को लगाने पर आखों से नजदीकी वस्तुएं दिखाई नहीं देती हैं.

जानिए मुख्य चिकित्साधिकारी ने क्या कहा

मुख्य चिकित्सा अधिकारी श्रीकांत तिवारी का कहना है कि जिस सेन्टर पर आई के डॉक्टर नियुक्त नहीं है, वहां के नेत्र परीक्षक अधिकारी आंख की कॉमन बीमारियों की दवा भी लिख सकते हैं. चश्मा भी टेस्ट करा सकते हैं, लेकिन जो दवाएं सीएचसी पर उपलब्ध हैं, सिर्फ वही दवा लिख सकते हैं. बाहरी दवा लिखना किसी के अधिकर क्षेत्र में नहीं है और बिल्कुल गलत है. शिकायत मिलने पर औचक जांच की जाएगी.

गोरखपुर: जिले के भटहट सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में पर्ची पर बाहरी दवा लिखने का मामला सामने आया है. जिम्मेदारों को इसकी जानकारी होने के बावजूद वह शिकायत मिलने के इंतजार में इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं. इस बारे में सीएमओ का कहना है कि बाहरी दवा लिखना किसी के अधिकार क्षेत्र से बाहर है. बता दें कि डॉक्टर एक रुपये की पर्ची पर हजारों रुपये की बाहरी दवा लिख रहे हैं, जिससे मरीज परेशान हैं.

डॉक्टर ने सीएचसी में लिखी एक रुपये के पर्चे पर 13 सौ की बाहरी दवा.


क्या है पूरा मामला

मामला गोरखपुर के भटहट सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र का है. सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में बनने वाले एक रुपये के पर्चे पर डॉक्टर हजारों रुपये की बाहरी दवाई लिख रहे हैं. मामला तब सामने आया जब शुक्रवार को एक महिला नेत्र परीक्षण अधिकारी के पास चश्मे की शिकायत लेकर पहुंची. डॉक्टर नहीं मिले तो महिला ने स्वास्थ्यकर्मियों से अपना दर्द बयां किया.

जानिए महिला ने क्या कहा

भटहट के बड़हरियां निवासी हाजरा को आखों से नजदीक का कम दिखाई देता है. वह अपना इलाज कराने कुछ दिन पहले भटहट सीएचसी पर गई थी. जांच उपरांत नेत्र परीक्षण अधिकारी ने एक रुपये की सरकारी पर्ची पर बाहरी दवाओं की लम्बी फेहरिस्त लिख दी. उसको बताया भी गया कि दवा अन्दर नहीं, बाहर मिलेगी. डॉक्टर ने चश्मा लगाने की सलाह दी और चश्मा बनवाने का खर्च 650 रुपये बताया.

हाजरा बताती हैं कि डॉक्टर की सलाह पर बाहर से पांच इंजेक्शन, दो आई ड्रॉप करीब 1300 रुपये का खरीदा और चश्मा के लिए 500 रुपया भुगतान किया. ड्रॉप डालने और इंजेक्शन लगवाने के बाद भी उसके आंखों की रोशनी जस की तस है, उससे कोई फर्क नहीं पड़ा. हाजरा का कहना है कि डॉक्टर द्वारा दिए गए चश्मे को लगाने पर आखों से नजदीकी वस्तुएं दिखाई नहीं देती हैं.

जानिए मुख्य चिकित्साधिकारी ने क्या कहा

मुख्य चिकित्सा अधिकारी श्रीकांत तिवारी का कहना है कि जिस सेन्टर पर आई के डॉक्टर नियुक्त नहीं है, वहां के नेत्र परीक्षक अधिकारी आंख की कॉमन बीमारियों की दवा भी लिख सकते हैं. चश्मा भी टेस्ट करा सकते हैं, लेकिन जो दवाएं सीएचसी पर उपलब्ध हैं, सिर्फ वही दवा लिख सकते हैं. बाहरी दवा लिखना किसी के अधिकर क्षेत्र में नहीं है और बिल्कुल गलत है. शिकायत मिलने पर औचक जांच की जाएगी.

Intro:गोरखपुर के भटहट सीएचसी पर चिकित्सक एक रुपये के पर्ची पर हजारों की बाहरी लेने की सलाह दे रहे है. जिम्मेदार शिकायत मिलने के इन्ताजार में हाथ पर हाथ धरे बैठे है. वहीं सीएमओ ने कहा बाहरी दवा लिखना किसी के अधिकारी क्षेत्र में नही है.

पिपराइच गोरखपुर:भटहट समुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र पर चिकित्सकों की मनमौजी चरम सीमा पर है. बाहरी दवा लिखने की उनके आदतों में सुधार आने का नाम नही ले रहा है. ऐसा नही है कि वहीं जिम्मेदार को इसकी जानकारी नही है. लेकिन जिम्मेदार शिकायत मिलने के इन्तजाम में इस ओर ध्यान नही दे रहे है. जबकि सीएमओ ने कहा बाहरी दवा लिखना किसी के अधिकार क्षेत्र से बाहर है. वहीं सारे मानक ताक पर रखकर एक रुपये की पर्ची पर हजारों रुपये की बाहरी दवा लिखी जा रही है. मामला तब प्रकाश में आया जब शुक्रवार को एक महिला नेत्र परीक्षण अधिकारी के पास चश्मे की शिकायत लेकर 3:30 बजे पहूंची. चिकित्सक नहीं मिले तो स्वास्थ्य कर्मियों से दर्द व्यां कर दिया.
Body:जनपद के भटहट के बड़हरियां निवासी इम्तियाज की पत्नी हाजरा (28) की आखों से नजदीकी कम दिखाई देता है. वह अपना इलाज कराने कुछ दिन पहले भटहट सीएचसी पर गई. जांच उपरांत नेत्र परीक्षण अधिकारी ने एक रुपये की सरकारी पर्ची पर बाहरी दवाओं की लम्बी फेहरिस्त लिख दिया. उसको बताया भी गया कि दवा अन्दर नही बाहर मिलेगी. यही काफी नही है चिकित्सक ने चश्मा लगाने की सलाह दिया और चश्मा बनाने का खर्च 650 रुपया बताया.

हाजरा बताती है कि चिकित्सक की सलाह पर बाहर से पांच इंजेक्शन दो आई ड्राप करीब 1300 रुपये का खरीदा और चश्मा के लिए 500 रुपया भुगतान करके चश्मा लिया. ड्राप डालने और इंजेक्शन लगवाने के बाद भी उसके आखों की रोशनी जस का तस है कोई फर्क नही पड़ा. चिकित्सक द्वारा दिए गए चश्मे को लगाने पर आखों से नजदीकी बस्तुएं देखने पर अधेरा दिखाई देता है.

बाइट- हाजरा (मरीज)
Conclusion:$दवा कम्पनियों से होती है सेटिंग्स$
सूत्रों की माने तो चिकित्सकों की एमआर से लेकर दवा दुकानदारों तक सेटिंग होती है। जिस कम्पनी के एमआर से चिकित्सक की अच्छी बनती है दवा उसी कम्पनी का लिखते है। इसके एवज में दवा कम्पनियां चिकित्सकों को अनेकों प्रकार की सुविधा और गिफ्ट प्रजेंट करतीं है। सुख सुविधा प्राप्ति के प्रलोभन में आकर चिकित्सक मरीजों को मंहगी से मंहगी दवा फजूल में लिखते है।

इस संबंध में जब मुख्य चिकित्सा अधिकारी श्रीकांत तिवारी से फोन पर बात की गई तो उन्होंने कहा कि जिस सेन्टर पर आई चिकित्सक नियुक्त नही है वहां के नेत्र परीक्षक अधिकारी आख के कामन वीमारियों की दवा भी लिख सकते है चश्मा भी टेस्ट कर सकत है. लेकिन जो दवाएं सीएचसी पर उपलब्ध सिर्फ वही दवा लिख सकते है. बाहरी दवा लिखना किसी के अधिकर क्षेत्र में है. बिल्कुल गलत है. शिकायत मिलने पर अथवा औचक जांच करी जायेगी.

रफिउल्लाह अन्सारी-8318103822
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