गोरखपुर: जिले के भटहट सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में पर्ची पर बाहरी दवा लिखने का मामला सामने आया है. जिम्मेदारों को इसकी जानकारी होने के बावजूद वह शिकायत मिलने के इंतजार में इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं. इस बारे में सीएमओ का कहना है कि बाहरी दवा लिखना किसी के अधिकार क्षेत्र से बाहर है. बता दें कि डॉक्टर एक रुपये की पर्ची पर हजारों रुपये की बाहरी दवा लिख रहे हैं, जिससे मरीज परेशान हैं.
क्या है पूरा मामला
मामला गोरखपुर के भटहट सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र का है. सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में बनने वाले एक रुपये के पर्चे पर डॉक्टर हजारों रुपये की बाहरी दवाई लिख रहे हैं. मामला तब सामने आया जब शुक्रवार को एक महिला नेत्र परीक्षण अधिकारी के पास चश्मे की शिकायत लेकर पहुंची. डॉक्टर नहीं मिले तो महिला ने स्वास्थ्यकर्मियों से अपना दर्द बयां किया.
जानिए महिला ने क्या कहा
भटहट के बड़हरियां निवासी हाजरा को आखों से नजदीक का कम दिखाई देता है. वह अपना इलाज कराने कुछ दिन पहले भटहट सीएचसी पर गई थी. जांच उपरांत नेत्र परीक्षण अधिकारी ने एक रुपये की सरकारी पर्ची पर बाहरी दवाओं की लम्बी फेहरिस्त लिख दी. उसको बताया भी गया कि दवा अन्दर नहीं, बाहर मिलेगी. डॉक्टर ने चश्मा लगाने की सलाह दी और चश्मा बनवाने का खर्च 650 रुपये बताया.
हाजरा बताती हैं कि डॉक्टर की सलाह पर बाहर से पांच इंजेक्शन, दो आई ड्रॉप करीब 1300 रुपये का खरीदा और चश्मा के लिए 500 रुपया भुगतान किया. ड्रॉप डालने और इंजेक्शन लगवाने के बाद भी उसके आंखों की रोशनी जस की तस है, उससे कोई फर्क नहीं पड़ा. हाजरा का कहना है कि डॉक्टर द्वारा दिए गए चश्मे को लगाने पर आखों से नजदीकी वस्तुएं दिखाई नहीं देती हैं.
जानिए मुख्य चिकित्साधिकारी ने क्या कहा
मुख्य चिकित्सा अधिकारी श्रीकांत तिवारी का कहना है कि जिस सेन्टर पर आई के डॉक्टर नियुक्त नहीं है, वहां के नेत्र परीक्षक अधिकारी आंख की कॉमन बीमारियों की दवा भी लिख सकते हैं. चश्मा भी टेस्ट करा सकते हैं, लेकिन जो दवाएं सीएचसी पर उपलब्ध हैं, सिर्फ वही दवा लिख सकते हैं. बाहरी दवा लिखना किसी के अधिकर क्षेत्र में नहीं है और बिल्कुल गलत है. शिकायत मिलने पर औचक जांच की जाएगी.