गोरखपुरः सैयद सालार मसऊद गाजी उर्फ बाले मियां का पर्व आगामी 17 मई रविवार को था, लेकिन कोरोना वायरस के चलते इसे रद्द कर दिया गया है. हर साल हजारों की संख्या में अकीदत मंद यहां पर आते हैं. बाले मियां के ईदगाह के पूरे परिसर में जहां मेला शुरू होने के 1 हफ्ते पहले से ही अकीदतमंदो का तांता लगा रहता था, आज वहां सन्नाटा पसरा है.
मान्यता है कि बाबा के आस्ताने पर सच्चे दिल से मांगी गई मन्नतें जरूर पूरी होती है, इसलिए यहां सभी धर्मों के अकीदतमंद बड़ी संख्या में पहुंचते हैं. आपसी सौहार्द के प्रतीक हजरत सैयद सालार मसउद गाजी उर्फ बाले मियां का मेला बहरामपुर के आस्ताने पर मनाया जाता है.
बाले मियां दरगाह के मुतवल्ली इस्लाम मोहम्मद इलियास की बहन राजिया हाशमी जो दरगाह की देखरेख करती हैं. उन्होंने बताया कि यह पूर्वांचल का ऐतिहासिक मेला है, जोकि एक महीने तक चलता है. मुख्य मेला 17 मई रविवार के दिन होना था. कोरोना वायरस के चलते इसे रद्द कर दिया गया है.
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यह मेला पूर्वांचल की धरती गोरखपुर से हिन्दू-मुस्लिम एकता का संदेश पिछले 1035 ईसवी से देता चला आ रहा है. इस मेले की विशेषता यह है कि यह मेला हिंदी पंचांग से लगाया जाता है. जेठ माह के प्रथम रविवार से शुरू होता है और पांच रविवार तक चलता है. इस बार का पांचवां रविवार 17 मई को पड़ रहा है, लेकिन कोरोना संकट की वजह से यहां पहली बार मेला नहीं लगाया जा सकेगा.