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गोरखपुर: 'राख का बुधवार' आज, ईसाई समाज ने शुरू किया 40 दिन का उपवास

उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में विशेष प्रार्थना के साथ मसीही समाज ने 'राख का बुधवार' मनाया. बड़ी संख्या में मसीही समाज के लोगों ने रोजा रखा. मसीही समाज का यह रोजा 40 दिन तक चलेगा.

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राख का बुधवार आज.
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Published : Feb 26, 2020, 10:29 PM IST

गोरखपुर: ईसा मसीह के क्रूसीकरण से 40 दिन पहले पड़ने वाला बुधवार 26 फरवरी से शुरू हुआ है. मसीही समाज में इसकी मान्यता 'राख के बुधवार' के तौर पर होती है. इस बुधवार से मसीही विश्वासियों का 40 दिन का उपवास भी शुरू हो जाता है. साथ ही शुरू हो जाती है 'गुड फ्राइडे' की तैयारी. इस बार गुड फ्राइडे 10 अप्रैल को और ईस्टर 12 को मनाया जाएगा. 40 दिन के उपवास के दौरान मसीही समाज अपने जीवन का मूल्यांकन करते हैं और ईश्वर के करीब पहुंचने का प्रयास करते हैं.

'राख का बुधवार' आज.
चर्च में इस दौरान प्रार्थना होती है और पूजा-पाठ के दौरान यह समाज अपने गुनाहों से तौबा भी करता है. उपवास के दौरान विश्वासी प्रतिदिन बाइबिल का पाठ करते हैं. पूरे दिन अन्न-जल ग्रहण नहीं करते. 24 घंटे में एक बार रात को सात्विक भोजन करते हैं. रविवार को उपवास नहीं रखा जाता, क्योंकि प्रभु यीशु ने इस दिन को पवित्र दिन कहा था.

ये भी पढ़ें- बिजनौर: कार और दो बाइकों में भिड़ंत, एक ही परिवार के तीन लोगों की मौत

गोरखपुर के क्राइस्ट चर्च के पादरी सीएल लाल का कहना है कि रोजा का यह पर्व अपने गुनाहों का प्रायश्चित करने और मानव जीवन में प्रेम फैलाने का संदेश देता है. साथ ही बुधवार का दिन 'राख का बुधवार' इसलिए कहा जाता है, क्योंकि पापों का प्रायश्चित करने का माध्यम आज से दो हजार साल पहले शरीर पर राख का लेप लगाना बताया गया था.

उपवास के 40 दिन के दौरान मसीही समाज में मांगलिक कार्य नहीं किए जाते. बाइबिल के अनुसार विश्वासियों को यह निर्देश है कि वह उपवास की कहीं चर्चा न करें. यही वजह है कि गिरजाघरों में मसीह समाज के लोग एकत्रित होकर भगवान ईसा मसीह के समक्ष प्रार्थना करते हैं और बाइबिल का पाठ करते हैं.

गोरखपुर: ईसा मसीह के क्रूसीकरण से 40 दिन पहले पड़ने वाला बुधवार 26 फरवरी से शुरू हुआ है. मसीही समाज में इसकी मान्यता 'राख के बुधवार' के तौर पर होती है. इस बुधवार से मसीही विश्वासियों का 40 दिन का उपवास भी शुरू हो जाता है. साथ ही शुरू हो जाती है 'गुड फ्राइडे' की तैयारी. इस बार गुड फ्राइडे 10 अप्रैल को और ईस्टर 12 को मनाया जाएगा. 40 दिन के उपवास के दौरान मसीही समाज अपने जीवन का मूल्यांकन करते हैं और ईश्वर के करीब पहुंचने का प्रयास करते हैं.

'राख का बुधवार' आज.
चर्च में इस दौरान प्रार्थना होती है और पूजा-पाठ के दौरान यह समाज अपने गुनाहों से तौबा भी करता है. उपवास के दौरान विश्वासी प्रतिदिन बाइबिल का पाठ करते हैं. पूरे दिन अन्न-जल ग्रहण नहीं करते. 24 घंटे में एक बार रात को सात्विक भोजन करते हैं. रविवार को उपवास नहीं रखा जाता, क्योंकि प्रभु यीशु ने इस दिन को पवित्र दिन कहा था.

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गोरखपुर के क्राइस्ट चर्च के पादरी सीएल लाल का कहना है कि रोजा का यह पर्व अपने गुनाहों का प्रायश्चित करने और मानव जीवन में प्रेम फैलाने का संदेश देता है. साथ ही बुधवार का दिन 'राख का बुधवार' इसलिए कहा जाता है, क्योंकि पापों का प्रायश्चित करने का माध्यम आज से दो हजार साल पहले शरीर पर राख का लेप लगाना बताया गया था.

उपवास के 40 दिन के दौरान मसीही समाज में मांगलिक कार्य नहीं किए जाते. बाइबिल के अनुसार विश्वासियों को यह निर्देश है कि वह उपवास की कहीं चर्चा न करें. यही वजह है कि गिरजाघरों में मसीह समाज के लोग एकत्रित होकर भगवान ईसा मसीह के समक्ष प्रार्थना करते हैं और बाइबिल का पाठ करते हैं.

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