प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एसिड अटैक पीड़िता को मुआवजा देने में लापरवाही बरतने पर डीएम मेरठ की आलोचना की है. कोर्ट ने कहा कि यह उनकी अक्षमता व करुणा की कमी दर्शाता है. कोर्ट ने कहा कि अधिकारियों का प्राथमिक दायित्व है कि लोगों को सेवा प्रदान करें और डीएम मेरठ ने केंद्र सरकार के स्पष्ट निर्देश के बावजूद पीड़िता को एक लाख रुपये अतिरिक्त मुआवजे का भुगतान नहीं किया.
कोर्ट ने डीएम मेरठ को केंद्र सरकार के तीन सितंबर 2024 के पत्र का एक सप्ताह में पालन कर केंद्र सरकार को भेजने और केंद्र सरकार को युद्ध स्तर पर कार्रवाई कर छह सप्ताह में पीड़िता को मुआवजे का भुगतान करने का निर्देश दिया है. साथ ही प्रदेश के प्रमुख सचिव गृह को सभी जिलाधिकारियों को इस आशय का सर्कुलर जारी करने का निर्देश दिया है कि भविष्य में एसिड अटैक पीड़िता को मुआवजे के भुगतान में देरी न हो.
यह आदेश न्यायमूर्ति शेखर बी सराफ एवं न्यायमूर्ति विपिन चंद्र दीक्षित की खंडपीठ ने रजनीता की याचिका को निस्तारित करते हुए दिया है. एसिड अटैक पीड़िता को प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत फंड से मुआवजा दिया जाता है. पीड़िता पर वर्ष 2013 में एसिड अटैक हुआ था. सरकार ने उसे कुछ मुआवजे का भुगतान भी किया. याची को सर्जरी व चिकित्सा सहायता के लिए एक लाख रुपये अतिरिक्त की आवश्यकता है.
केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय के महिला सुरक्षा विभाग के अनुसचिव ने डीएम मेरठ को पत्र लिखा है लेकिन डीएम कोई कार्रवाई नहीं कर रहे. डीएम से जानकारी मांगी गई तो कोई जवाब नहीं आया. कोर्ट ने इसे एलार्मिग स्थिति करार दिया और जिलाधिकारी की आलोचना की है.
ये भी पढ़ें- यूपी को मिले 8.8 लाख करोड़ रुपये; लोग बोले- सही तरह से खर्च हो बजट, भ्रष्टाचार पर कदम उठाएं सीए योगी